27 फरवरी, 2023, चेन्नई
श्री परशोत्तम रूपाला, केन्द्रीय मत्स्य पालन, पशुपालन एवं डेयरी मंत्री ने दो प्रमुख कार्यक्रमों अर्थात, मत्स्य रोगों पर राष्ट्रीय निगरानी कार्यक्रम (एनएसपीएएडी) - द्वितीय चरण और भारतीय सफेद झींगा (पेनियस इंडिकस) का आनुवंशिक सुधार कार्यक्रम (जीआईपीपीआई) आज यहां का शुभारंभ किया। उन्होंने सीबा द्वारा लाया गया एक एक्वाकल्चर बीमा उत्पाद भी लॉन्च किया तथा भाकृअनुप-केन्द्रीय खारा जलजीव पालन संस्थान (सीबा), चेन्नई में जेनेटिक इम्प्रूवमेंट फैसिलिटी की आधारशिला भी रखी।
केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि दोनों कार्यक्रम जलीय कृषि क्षेत्र के विकास और स्थिरता के लिए महत्वपूर्ण हैं जो अंततः भारत में नीली क्रांति की ओर ले जाते हैं। उन्होंने परियोजनाओं के लिए भाकृअनुप-सीबा तथा एनबीएफजीआर को बधाई दी और कार्यक्रमों से जुड़ी जिम्मेदारियों को रेखांकित किया। उन्होंने मत्स्य पालन क्षेत्र के समग्र विकास और नियोजित लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए किसानों, मछुआरों, उद्योग, शोधकर्ताओं के विकास विभागों और अन्य हितधारकों के सक्रिय समर्थन का आग्रह किया।
सम्मानित अतिथि, डॉ. एल. मुरुगन, केन्द्रीय मत्स्य पालन, पशुपालन एवं डेयरी तथा सूचना प्रसारण राज्य मंत्री ने कहा भारत सरकार द्वारा की गई विभिन्न पहलों द्वारा देश में मत्स्य विकास में वृद्धि हुई, जिसकी परिणति 16.50 मिलियन मीट्रिक टन के मत्स्य उत्पादन में हुई वृद्धि को दर्शाता है। उन्होंने भारत के स्टार्ट-अप पर प्रकाश डाला, जिसके द्वार शिक्षित युवाओं में मत्स्य पालन में उद्यमिता विकास को बढ़ावा दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि सब-डेर के तहत प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (पीएमएमएसवाई) के तहत इस वर्ष मुख्य रूप से मत्स्य पालन क्षेत्र के डिजिटलीकरण के लिए 6000 करोड़ रुपये निर्धारित किए गए हैं। इसके अलावा, डॉ. मुरुगन ने कहा कि मछली फ़ीड सामग्री पर आयात शुल्क हाल ही में 15% से घटाकर 5% कर दिया गया है और किसान क्रेडिट कार्ड की सुविधा मछुआरों तथा मछली किसानों को संस्थागत ऋण तक आसान पहुंच प्रदान करने के लिए बढ़ा दी गई है।
श्री जतिंद्र नाथ स्वैन, भारतीय प्रशासनिक सेवा, सचिव, मत्स्य विभाग, भारत सरकार ने स्पष्ट किया कि दो ऐतिहासिक योजनाएं, एनएसपीएएडी चरण- II और जीआईपीपीआई आज सीबा में लॉन्च की गईं। इस प्रकार उभरती हुई बीमारियों की रिपोर्ट करने और किसानों को सलाह प्रदान करने के लिए राज्य विभागों की भागीदारी के साथ जलीय रोगों पर राष्ट्रीय सूचना प्रणाली और प्रशिक्षित 'रोग निदान कर्मियों' का विकास करना एनएसपीएएडी का उद्देश्य है और इसके लिए 33.80 करोड़ रुपये मंजूर किए गए हैं। इसी तरह, विदेशी झींगा ब्रूडस्टॉक की निर्भरता को कम करने के लिए भारतीय सफेद झींगा के लिए आनुवंशिक सुधार कार्यक्रम महत्वपूर्ण है और इसके लिए भाकृअनुप-सीबा, चेन्नई को 25 करोड़ रुपये मंजूर किए गए हैं।
डॉ. जे.के. जेना, उप महानिदेशक (मत्स्य विज्ञान) ने अपने स्वागत संबोधन में कहा कि जलीय कृषि में जलीय रोग प्रमुख उत्पादन के लिए खतरा है और इसका उद्देश्य किसान आधारित रोग निगरानी प्रणाली को मजबूत करना है तथा उन्होंने जोर देकर कहा कि, इस प्रकार, रोग के मामलों की एक बार रिपोर्ट प्राप्त करना, इसकी जांच तथा वैज्ञानिकों का सलाह एवं समर्थन किसानों को प्रदान किया जा सके।
डॉ. जे. बालाजी, संयुक्त सचिव, मत्स्य पालन विभाग, भारत सरकार ने उल्लेख किया कि जलीय कृषि की स्थिरता के लिए रोगों का प्रबंधन और प्रजातियों का विविधीकरण दो प्रमुख पहलू हैं। उन्होंने जोर देकर कहा कि "सक्रिय निगरानी" कार्यक्रम बनाने के लिए राज्य के मत्स्य विभागों की भागीदारी महत्वपूर्ण है।
श्री. ए. कार्तिक, भारतीय प्रशासनिक सेवा, प्रमुख सचिव, मत्स्य विभाग, तमिलनाडु सरकार ने सीबा के वैज्ञानिकों को पी. इंडिकस झींगा के पूर्ण जीनोम अनुक्रम को प्रदर्शित करने के लिए बधाई दी, जिससे इस प्रजातियों पर आनुवंशिक सुधार कार्यक्रम को सुगम बनाया गया।
कार्यक्रम के दौरान एनएसपीएएडी तथा जीआईपीपीआई पर वीडियो क्लिपिंग और विशेष प्रकाशन भी दिखाए गए। उद्योग साझेदारों जैसे सुश्री वैशाकी झींगा हैचरी, मयंक एक्वाकल्चर, गुजरात और सुश्री ए.आर. झींगा हैचरी, तमिलनाडु को जीआईपीपीआई को आगे बढ़ाने तथा पी. इंडिकस कार्यक्रम को बढ़ाने के लिए साझेदारी एक नया मार्ग प्रशस्त हुआ।
डॉ. कुलदीप के. लाल, निदेशक, भाकृअनुप-सीबा, चेन्नई ने अपने वैज्ञानिकों और कर्मचारियों की टीम के साथ इस कार्यक्रम का समन्वय किया।
डॉ. यू.के. सरकार, निदेशक, भाकृअनुप-सीबा, लखनऊ ने अंत में धन्यवाद प्रस्ताव रखा।
(स्रोत: भाकृअनुप-केन्द्रीय खारा जलजीव पालन संस्थान, चेन्नई)
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