4 मार्च, 2023, नई दिल्ली
डॉ. हिमांशु पाठक, सचिव (डेयर) एवं महानिदेशक (भाकृअनुप) ने कहा, "खाद्य उत्पादन अब अधिक लचीला हो गया है और आधुनिक कृषि पद्धतियों ने उत्पादकता में वृद्धि की है और ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन को कम किया है।" डॉ. पाठक 4 से 6 मार्च, 2023 तक राष्ट्रीय कृषि विज्ञान परिसर केन्द्र, नई दिल्ली में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली द्वारा आयोजित "भाकृअनुप निदेशकों, कुलपतियों और उद्योगों के वार्षिक सम्मेलन - 2023" को संबोधित कर रहे थे।

महानिदेशक ने जोर देकर कहा कि आज का विज्ञान कल की तकनीक है, और एनएआरईएस की आकांक्षाओं को प्राप्त करने के लिए आवश्यक कार्रवाई के साथ-साथ राष्ट्रीय प्राथमिकताओं, अंतर्राष्ट्रीय प्रतिबद्धताओं और महत्वपूर्ण क्षेत्रों पर बात की। उन्होंने एनएआरईएस के पुनर्विन्यास पर भी जोर दिया।
श्री जतीन्द्र नाथ स्वैन, मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय के सचिव (मत्स्य पालन) ने भाकृअनुप से मत्स्य विभाग की अपेक्षाओं को रेखांकित किया। साथ ही मछली की प्रति व्यक्ति उपलब्धता को 6 किग्रा/ व्यक्ति/ वर्ष से 24 किग्रा/ व्यक्ति/ वर्ष करना बढ़ाने के अलावा, मछली पकड़ने की तकनीक पर भी अनुसंधान को प्राथमिकता दी जानी चाहिए।
श्री. मनोज आहूजा, सचिव, कृषि एवं किसान कल्याण विभाग ने अनुसंधान को प्राथमिकता देने और एक ही समस्या पर काम करने वाले संस्थानों की नेटवर्किंग के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि रॉ (RAWE) अवधि के दौरान छात्रों की भूमिका का उपयोग किसानों से सरकार को फीडबैक प्राप्त करने के लिए किया जाना चाहिए। श्री आहूजा ने कहा कि आज नए शोध/ विकसित प्रौद्योगिकी और क्षेत्र में इसे अपनाने के बीच के समय को कम करने की सख्त जरूरत है।
श्री संजय गर्ग, अतिरिक्त सचिव (डेयर) एवं सचिव (भाकृअनुप) ने जीवंत एवं गतिशील संगठन के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि प्रशासनिक दक्षता बढ़ाने के लिए, संगठन को अधिक लचीलेपन की प्रवृत्ति के साथ आगे बढ़ना है तथा झुकने तथा घुल-मिल जाने वाले व्यवहार को अपनाना है, इसके साथ ही बदलाव के लिए हमेशा तैयार भी रहने की जरूरत है।

सुश्री अलका नांगिया अरोड़ा, अतिरिक्त सचिव (डेयर) और वित्तीय सलाहकार (भाकृअनुप) ने वित्तीय कुप्रबंधन के बारे में चेतावनी दी। उन्होंने वकालत की कि संसाधनों के बेहतर और विवेकपूर्ण उपयोग के लिए वित्तीय प्रबंधन महत्वपूर्ण मापदंडों में से एक है।
इससे पहले स्वागत स्वागत संबोधन में, डॉ. आर.सी. अग्रवाल, उप महानिदेशक (कृषि शिक्षा) ने ‘अमृतकाल’ को ध्यान में रखकर एक मंच पर कुलपति, निदेशक और उद्योग की बैठक आयोजित करने के लिए महानिदेशक, भाकृअनुप के प्रयासों की सराहना की। उन्होंने अपने संबोधन में श्री अन्न के महत्व पर प्रकाश डाला।

छठी डीन कमेटी के अध्यक्ष और जीबीपीयूएटी के पूर्व कुलपति, डॉ. तेज प्रताप ने डॉ. पाठक को मसौदा रिपोर्ट सौंपी। यह रिपोर्ट नई शिक्षा नीति – 2020 के अनुसार कृषि में स्नातक के लिए संशोधित पाठ्यक्रम से संबन्धित था।

इस अवसर पर गणमान्य व्यक्तियों ने भाकृअनुप के विभिन्न प्रकाशनों का विमोचन भी किया।
राज्य कृषि विश्वविद्यालयों के कुलपति; भाकृअनुप के उप महानिदेशक, भाकृअनुप संस्थानों के निदेशक, भाकृअनुप के वरिष्ठ अधिकारियों ने सम्मेलन में भाग लिया।
(स्रोत: कृषि शिक्षा प्रभाग, भाकृअनुप)








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