4 अगस्त, 2021, पुणे
भाकृअनुप-कृषि प्रौद्योगिकी अनुप्रयोग अनुसंधान संस्थान, जोन-VIII, पुणे, महाराष्ट्र ने 4 से 6 अगस्त, 2021 तक '82 कृषि विज्ञान केंद्रों की चौथी वार्षिक क्षेत्रीय समीक्षा कार्यशाला' का आभासी तौर पर आयोजन किया है।
मुख्य अतिथि, डॉ. अशोक कुमार सिंह, उप महानिदेशक (कृषि विस्तार), भाकृअनुप ने किसानों की आय दोगुनी करने के लिए मौजूदा फसल प्रणाली के साथ कम-से-कम एक उद्यम जोड़ने का आग्रह किया। उन्होंने केवीके को फसल प्रणाली और पोषण सुरक्षा को बदलने पर ध्यान केंद्रित करने का भी सुझाव दिया। डीडीजी ने कृषि उद्यमियों को प्रसंस्करण और मूल्यवर्धन, एफपीओ को एकत्रीकरण मॉडल, उद्यमिता विकास, जल उपयोग दक्षता बढ़ाने, नैदानिक सुविधाओं और पोषण मानचित्रण पर ध्यान केंद्रित करने के लिए प्रोत्साहित करने पर जोर दिया।
डॉ. वी. एम. भाले, कुलपति, पंजाबराव देशमुख कृषि विद्यापीठ, अकोला, महाराष्ट्र ने फसलों पर बड़े पैमाने पर कीटों के प्रसार और एक एकीकृत तरीके से किए गए अभियान को रेखांकित किया। उन्होंने तिलहन उत्पादन में कमी को देखते हुए कुछ क्षेत्रों को तिलहन के लिए मोड़ने की आवश्यकता पर बल दिया।
अद्रुष्य कदसिद्धेश्वर स्वामी जी, अध्यक्ष, केवीके, कोल्हापुर, महाराष्ट्र ने कृषि वैज्ञानिकों और किसानों के बीच संवाद बढ़ाने और अनुभवों के आदान-प्रदान की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने फसल से लेकर भोजन तक अनाज के नुकसान को कम करने की बात काही। उन्होंने किसानों से उपलब्ध मशीनरी के कुशल उपयोग के लिए संस्थागत संरचना बनाने पर जोर दिया।
श्री अतुल जैन, महासचिव, दीनदयाल अनुसंधान संस्थान, नई दिल्ली ने पारंपरिक ज्ञान और आधुनिक कृषि ज्ञान के संगम की आवश्यकता पर प्रकाश डाला।
विशिष्ट अतिथि कृषिरत्न श्री राजेंद्र पवार, अध्यक्ष, कृषि विकास ट्रस्ट, बारामती ने सब्जियों की उच्च तकनीक की खेती एवं कलम बांधने का काम (ग्राफ्टिंग), आदर्श डेयरी फार्म विकसित करने, रोग निदान और सलाह के बारे में चर्चा की।
श्री विजय अन्ना बोराडे, अध्यक्ष, मराठवाड़ा कृषि सहायता बोर्ड, केवीके, जालना, महाराष्ट्र ने किसानों के उत्पादन को दोगुना करने के लिए उच्च प्रौद्योगिकी और जैविक खेती के उपयोग के महत्त्व पर प्रकाश डाला।
डॉ. जेड. पी. पटेल, कुलपति, नवसारी कृषि विश्वविद्यालय, नवसारी ने विश्वविद्यालय के जैविक घटक में विभिन्न नवीन शोधों को रेखांकित किया। उन्होंने स्वीट कॉर्न, ड्रैगन फ्रूट और छोटे बाजरा उगाने के लिए बेहतर विपणन की जरूरत पर जोर दिया।
इससे पहले अपने स्वागत संबोधन में, महाराष्ट्र, गुजरात और गोवा में केवीके द्वारा किए गए कार्यों को रेखांकित करते हुए, डॉ. लाखन सिंह, निदेशक, भाकृअनुप-अटारी, पुणे, महाराष्ट्र ने केवीके के माध्यम से शुरू की जा रही राज्य और केंद्र सरकार की विभिन्न परियोजनाओं और उनकी प्रगति के बारे में जानकारी दी। डॉ. लाखन के संबोधन में कुपोषण मुक्त गाँव बनाने के लिए केवीके द्वारा विकसित विभिन्न पोषण उद्यान मॉडल पर भी जोर दिया गया।
82 केवीके, भाकृअनुप-संस्थानों, राज्य कृषि विश्वविद्यालयों, गैर सरकारी संगठनों के प्रमुखों और किसानों के 280 से अधिक प्रतिभागियों ने आभासी तौर पर कार्यक्रम में भाग लिया।
(स्रोत: भाकृअनुप-कृषि प्रौद्योगिकी अनुप्रयोग अनुसंधान संस्थान, पुणे, महाराष्ट्र)
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