भाकृअनुप संस्थान ने मनाया किसान दिवस

भाकृअनुप संस्थान ने मनाया किसान दिवस

23 दिसंबर, 2022

राष्ट्रीय फामर्स डे जिसे किसान दिवस के रूप में भी जाना जाता है, भारत के 5 वें प्रधानमंत्री, श्री चौधरी चरण सिंह की जयंती को चिह्नित करने के लिए हर साल 23 दिसंबर को मनाया जाता है।

यह अवसर देश की अर्थव्यवस्था के विकास और प्रगति में किसानों के अद्वितीय योगदान पर विभिन्न कार्यक्रमों, बहसों, सेमिनारों, प्रतियोगिताओं, चर्चाओं, कार्यशालाओं, प्रदर्शनियों आदि की एक विस्तृत श्रृंखला को प्रदर्शित करता है।

भाकृअनुप-काजू अनुसंधान निदेशालय, पुत्तूर

किसान दिवस समारोह के अवसर पर निदेशालय में किसान-वैज्ञानिक इंटरफेस के लिए किसानों को आमंत्रित किया गया।

डॉ. जे. दिनकारा अडिगा, निदेशक, भाकृअनुप-डीसीआर, पुत्तूर ने काजू में भाकृअनुप-डीसीआर की उपलब्धियों के बारे में जानकारी दी और काजू की खेती के लिए उपलब्ध विभिन्न योजनाओं के बारे में भी जानकारी दी।

1

दो प्रगतिशील किसान, श्री कदमजालू सुभाष राय और श्री उदय कुमार एम. ने अन्य किसानों के साथ अपने अनुभव साझा किए।

निदेशालय के टीएसपी एवं एससीएसपी कार्यक्रम के तहत किसानों को सब्जी बीज किट वितरित किए गए।

"ब्रश कटर का उपयोग करके काजू के बगीचे में निराई" पर केमिन्जे फार्म में एक प्रदर्शन भी आयोजित किया गया था। इसके बाद जागरूकता फैलाने और किसानों को वैज्ञानिक काजू की खेती करने के लिए प्रेरित करने के लिए, श्री कदमजालु सुभाष राय के खेत में किसानों के लिए एक फील्ड एक्सपोजर दौरा किया गया।

कार्यक्रम में पुत्तूर, कर्नाटक के बेट्टमपडी, कुरिया और केमिन्जे गांवों और केरल के कासरगोड के कराड़का ब्लॉक के कुल 75 किसानों ने भाग लिया।

भाकृअनुप-केन्द्रीय खारा-जल जीवपालन संस्थान

भाकृअनुप-केन्द्रीय खारा-जल जीव पालन संस्थान (भाकृअनुप-सीआईबीए) के काकद्वीप रिसर्च सेंटर (केआरसी) ने केआरसी कैंपस में हाल ही में उद्घाटन की गई मछली अपशिष्ट प्रसंस्करण सुविधा केन्द्र में किसान दिवस मनाया।

कार्यक्रम में स्वयं सहायता समूह के सदस्यों, छात्रों, वैज्ञानिकों और सीबा के केआरसी के कर्मचारियों सहित लगभग 80 किसानों ने भाग लिया।

2

मछली के कचरे को धन में परिवर्तित करने तथा फर्म द्वारा सीबा की तकनीक, अपशिष्ट-से-धन बनाने के अनुभव को साझा करने के लिए एक जागरूकता कार्यक्रम: प्लैंकटन प्लस, का आयोजन किया।

डॉ. टी.के. घोषाल, प्रधान वैज्ञानिक, सीबा के केआरसी ने राष्ट्र के विकास के लिए स्वच्छता के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने संक्रमण और बीमारियों से बचने के लिए मछली और घरेलू कचरे के पुनर्चक्रण के महत्व पर भी प्रकाश डाला।

श्री बिस्वजीत सामंत, मैसर्स टी.के. इंटरप्राइज जिन उद्यमों को प्लैंकटन प्लस प्रौद्योगिकी हस्तांतरित की गई थी, उन्होंने झींगा और मछली पालन में प्लैंकटन प्लस के उत्पादन और प्रदर्शन पर अपने अनुभव और उनकी विपणन क्षमता को भी साझा किया। उन्होंने कहा कि प्लैंकटन प्लस का उपयोग करने वाले किसान उत्पाद से संतुष्ट हैं और उनकी राय है कि उत्पाद के उपयोग से फीड इनपुट कम करके उत्पादन लागत कम हो जाती है।

सीबा के वैज्ञानिकों ने मूल्य वर्धित उत्पादों के लिए मछली के कचरे के पुनर्चक्रण और वाणिज्यिक जलीय कृषि और कृषि में उनके उपयोग के लिए प्रोटोकॉल का प्रदर्शन किया। यहां, मूल्य वर्धित उत्पाद, प्लैंकटन प्लस और होरी प्लस स्वयं सहायता समूह के सदस्यों को वितरित किए गए।

भाकृअनुप-केन्द्रीय जूट और संबद्ध फाइबर अनुसंधान संस्थान (क्रिजाफ), बैरकपुर

भाकृअनुप-क्रिजाफ ने स्वच्छ और हरित भारत के लिए प्लास्टिक की जगह प्राकृतिक फाइबर के उपयोग को बढ़ाने के लिए किसान दिवस पर एक जागरूकता अभियान का आयोजन किया, जिसका मुख्य उद्देश्य किसानों को जूट और अन्य प्राकृतिक फाइबर फसलों की उन्नत वैज्ञानिक खेती तकनीक द्वारा इन फसलों का आर्थिक और पर्यावरणीय विस्तार करना था, ताकि किसानों को उत्पादन से अधिक लाभ प्राप्त हो सके।

मुख्य अतिथि, श्री सौरव बारिक, एसडीओ, बैरकपुर ने प्लास्टिक से उत्पन्न कई समस्याओं पर प्रमुख चिंता व्यक्त की और किसानों से फसल को "गोल्डन फाइबर" के रूप में फिर से स्थापित करने के लिए बड़े पैमाने पर जूट उगाने का आग्रह किया। श्री बारिक ने दोहराया कि उन्नत कृषि प्रौद्योगिकी को अपनाने के बाद, किसानों की उत्पादकता और आय में वृद्धि होगी और उन्होंने कृषक समुदाय से उत्पादकता और आय वृद्धि के लिए उन्नत वैज्ञानिक प्रौद्योगिकी से लाभ उठाने का आग्रह किया।

3

भाकृअनुप-क्रिजाफ के निदेशक, डॉ. गौरंगा कर ने अपने संबोधन में कहा कि प्लास्टिक प्रदूषण के परिणामों को महसूस करते हुए और 'प्लास्टिक के एकल उपयोग' पर प्रतिबंध लगाने से देश ने प्लास्टिक के विकल्प के लिए राष्ट्रव्यापी जागरूकता पैदा की है। उन्होंने कहा कि जूट, जिसका भारत, दुनिया का सबसे बड़ा उत्पादक है, प्लास्टिक का सबसे अच्छा विकल्प है। डॉ. कार ने किसानों से जूट की खेती को अधिक लाभदायक बनाने के लिए संस्थान द्वारा विकसित तकनीकों का अनुसरण करते हुए पारंपरिक फसल प्रणाली में जूट उगाने के अवसर से लाभ उठाने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि हाल के वर्षों में जूट आधारित वस्तुओं के निर्यात और घरेलू मांग में तेजी से वृद्धि हुई है। डॉ. कार ने जोर देकर कहा कि बायोडिग्रेडेबल फाइबर का उत्पादन करने के अलावा, जूट के पौधे नवीकरणीय बायोमास का एक बड़ा स्रोत हैं और जूट की फसल हरी पत्तियों को खेत में ही गिरा देती है जो मिट्टी की उर्वरता को बनाए रखने में मदद करती है।

किसानों ने भाकृअनुप-क्रिजाफ द्वारा विकसित जूट की खेती के लिए फाइबर संग्रहालय, प्रदर्शनी हॉल, इन-सीटू जूट रेटिंग तालाब आधारित एकीकृत फ्रेमिंग मॉडल, कंपोस्टिंग इकाइयों और उन्नत कृषि मशीनरी का दौरा किया।

इस अवसर पर किसान-वैज्ञानिक संवाद कार्यक्रम भी आयोजित किए गए।

टिकाऊ जूट की खेती के लिए किसानों के बीच नए उन्नत बीज, जैव नियंत्रण एजेंट, वनस्पति कीटनाशक और छोटे कृषि उपकरण वितरित किए गए।

इस किसान दिवस में 200 से अधिक किसान, वैज्ञानिक, एसएचजी और एफपीओ के सदस्य उपस्थित थे।

भाकृअनुप-राष्ट्रीय कृषि अनुसंधान प्रबंधन अकादमी, हैदराबाद

भाकृअनुप-एनएएआरएम ने तेलंगाना राज्य के महबूबनगर जिले के राजापुर मंडल के अग्रहारम पोटलापल्ली गांव में किसानों के साथ एक संवादात्मक बैठक आयोजित करके राष्ट्रीय किसान दिवस मनाया।

4

बातचीत के दौरान, डॉ. भरत एस. सोनटकी, प्रधान वैज्ञानिक और प्रमुख, और डॉ. पी. वेंकटेशन, प्रधान वैज्ञानिक, विस्तार प्रणाली प्रबंधन प्रभाग ने किसानों के स्वास्थ्य और आर्थिक स्थिति को बढ़ाने के लिए राष्ट्रीय किसान दिवस और औषधीय पौधों की खेती के महत्व के बारे में बताया।

औषधीय/हर्बल पौधों (कोस्टस इग्नियस और ओसिमम टेन्यूफ्लोरम) के नमूने किसान भागीदारों के बीच वितरित किए गए।

लगभग 100 किसानों ने उपस्थिति दर्ज कराई और कार्यक्रम में सक्रिय रूप से भाग लिया।

भाकृअनुप-क्रीडा ने हयातनगर रिसर्च फार्म (एचआरएफ) में किसान दिवस का आयोजन किया

भाकृअनुप-क्रीडा के वैज्ञानिक और तकनीकी कर्मचारी, केवीके रंगा रेड्डी और तेलंगाना के आदिलाबाद और मंचेरियल जिलों के लगभग 100 किसान के साथ किसान दिवस का आयोजन किया।

5

डॉ. एस.एस. बलोली, प्रधान वैज्ञानिक ने किसान समुदाय के लाभ के लिए चौधरी चरण सिंह द्वारा किए गए उल्लेखनीय योगदान के बारे में विस्तार से बताया।

बाद में, किसानों ने हाल की तकनीकों/पद्धतियों से रूबरू होने के लिए विभिन्न सुविधाओं का भी दौरा किया।

केन्द्रीय गोवंश अनुसंधान संस्थान, मेरठ द्वारा किसान दिवस का आयोजन

भाकृअनुप-केन्द्रीय गोवंश अनुसंधान संस्थान, मेरठ द्वारा दिनांक 16 से 22 दिसंबर तक प्रक्षेत्र दिवस मनाने के उपरांत आज ‘किसान दिवस’ का आयोजन “पशुपालन की चुनौतियाँ व वैज्ञानिक विधियों द्वारा उन्नत पशुपालन” की थीम पर झिटकरी गाँव में  किया गया। कार्यक्रम का आयोजन भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के कृषि विस्तार संभाग, नई दिल्ली द्वारा वित्तपोषित फार्मर फर्स्ट (Farmer First) प्रोग्राम के अंतर्गत शोध परियोजना के आलोक में "टिकाऊ डेरी एवं कृषि व्यवसाय हेतु उपयुक्त तकनीकों के प्रयोग द्वारा कृषक आजीविका में सुधार” के अंतर्गत किया  गया।

6

इस अवसर पर, श्री विजय पाल सिंह तोमर, राज्यसभा सांसद, मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित थे। संस्थान के निदेशक, डॉ उमेश सिंह ने मुख्य अतिथि का स्वागत किया एवं संस्थान के कार्यक्रमों व उपलब्धियों के बारे में बताया।

कार्यक्रम के दौरान सांसद ने स्व. श्री चौधरी चरण सिंह की तस्वीर पर माल्यार्पण के साथ-साथ वृक्षारोपण भी किया तथा संस्थान द्वारा प्रकाशित वैज्ञानिक तकनीकियों की प्रचार सामग्री का भी विमोचन किया। मुख्य अतिथि ने भाकृअनुप-केन्द्रीय गोवंश अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिकों और किसानों को संबोधित किया और सरधना क्षेत्र के किसानों को कृषि एवं पशुपालन से संबन्धित वैज्ञानिक तकनीकी जानकारी प्राप्त कर उसका समावेश दिन-प्रतिदिन के पशु प्रबंधन में करने के लिए जागरूक किया।

कार्यक्रम के दौरान विशेषज्ञों द्वारा किसानों को पशुपालन से संबन्धित नवीनतम तकनीकी जानकारी दी गयी तथा उन्नत पशुपालन हेतु दवाइयाँ जैसे - आंतरिक एवं बाह्य परजीवियों के लिए दवाएं, कैल्शियम, खनिज मिश्रण व प्रशिक्षण किट आदि का वितरण किया गया।

कार्यक्रम का संचालन फार्मर फर्स्ट परियोजना के प्रधान अन्वेषक एवं प्रधान वैज्ञानिक, डॉ. सुरेश कुमार डबास ने किया। डॉ. डबास  ने किसानों को देशी गोवंश की विभिन्न नस्लों के विकास हेतु संस्थान के प्रयासों के बारे में जानकारी दी व पशु प्रजनन के लिए वैज्ञानिक दृष्टिकोण को अपनाने की आवश्यकता पर बल दिया।

इस कार्यक्रम को सफल बनाने में संस्थान के वैज्ञानिक, डॉ नेमी चंद, डॉ. जितेन्द्र कुमार सिंह, डॉ. नरेश प्रसाद, डॉ. मेघा पांडे और श्रीमती सरमेश आर्य का महत्वपूर्ण योगदान रहा। साथ ही संदीप कुमार, आशीष मलिक और प्रमोद ने बढ़-चढकर भागीदारी की।

श्री अशोक सिरोही, पूर्व प्रधान एवं समाज सेवी, प्रगतिशील किसान, गाँव झिटकरी द्वारा धन्यवाद प्रस्ताव के उपरांत कार्यक्रम का समापन हुआ।

यहां कार्यक्रम में, 250 से अधिक किसानों ने भाग लिया।

 

भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (आईएआरआई), नई दिल्ली द्वारा “किसान दिवस एवं स्वच्छता अभियान”  कार्यक्रम आयोजित

भारतीय कृषि एवं कृषकों के उत्थान में पूर्व प्रधानमंत्री स्व. श्री चौधरी चरण सिंह जी के अद्वितीय योगदान एवं उनके स्मरण हेतु देश भर में हर साल 23 दिसंबर को राष्ट्रीय किसान दिवस के रूप में मनाया जाता है। जिन्होंने भारतीय किसानों के जीवन को बेहतर बनाने के लिए कई नीतियों की शुरुआत की। भाकृअनुप-भारतीय कृषि अनुसन्धान संस्थान, नई दिल्ली के निदेशक, डॉ. अशोक कुमार सिंह के मार्गदर्शन में आज “किसान दिवस एवं स्वच्छता अभियान” का आयोजन सुज्जानपुर आखाडा, गाज़ियाबाद (उ.प्र.) के आस-पास के गांवों के किसानों के साथ किया गया।

7

इस अवसर पर, स्व. श्री चौधरी चरण सिंह के स्मरणीय कार्यों व संकल्पों की चर्चा के साथ-साथ कृषकों को सामायिक फसलों के प्रबंधन की विभिन्न तकनीकों की जानकारी, पूसा संस्थान के विशेषज्ञों द्वारा दी गयी। साथ ही गेहूं एवं अन्य सब्जियों के विभिन्न कीट एवं रोगों के प्रबंधन, एकीकृत कृषि प्रणाली एवं पराली प्रबंधन हेतु पूसा संस्थान द्वारा विकसित ‘पूसा डीकंपोजर’के उपयोग कि विस्तृत जानकारी दी गई। ‘पूसाडीकंपोजर’ धान के त्वरित क्षरण के लिए आईएआरआई द्वारा विकसित कवक का एक माइक्रोबियल कंसोर्टियम है जो 20-25 दिनों में पुआल को खाद में परिवर्तित कर देता है। वर्ष 2021 में पूसा डीकम्पोजर को दिल्ली सहित देश के विभिन्न राज्यों में 13,420 हेक्टेयर में अपनाया गया है।

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि के रूप में, डॉ. रवीन्द्रनाथ पडारिया, संयुक्त निदेशक (प्रसार) तथा कार्यक्रम के अध्यक्ष, श्री अनिल गौतम, सदस्य जिला पंचायत उपस्थित रहे।

श्री अनिल गौतम, सदस्य जिला पंचायत, ने किसानों को संबोधित करते हुए किसानों को वैज्ञानिक तरीके से खेती करने तथा पूसा संस्थान से जुड़ने का आग्रह किया ।

इस कार्यक्रम में, डॉ. निर्मल चंद्रा, प्रधान वैज्ञानिक (प्रभारी, कैटैट); डॉ. जे पी सिंह, प्रधान वैज्ञानिक (कीट विज्ञान); डॉ. एम.एस. सहारन, प्रधान वैज्ञानिक (पादप रोग विज्ञान); डॉ. राज सिंह, अध्यक्ष (सस्य विज्ञान); डॉ. सुनील पब्बी, अध्यक्ष (सूक्ष्म जीव संभाग) तथा डॉ. एन.वी. कुंभारे, प्रधान वैज्ञानिक एवं प्रभारी एटिक उपस्थित रहे।

इस अवसर पर अखाड़ा एवं आस-पास के गाँवों के लगभग 300 किसानों ने भाग लिया। यहां,  “किसान दिवस” के शुभ अवसर पर आधुनिक तकनीकों के उपयोग एवं उन्नतशील कृषि को प्रोत्साहन करने हेतु 10 नवोन्मेषी किसानों को सम्मानित भी किया गया।

 

केवीके, भाकृअनुप-भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान, इज्जतनगर, बरेली द्वारा किसान सम्मान दिवस के अवसर पर फसल अवशेष प्रबंधन के अन्तर्गत मेला एवं प्रदर्शनी का आयोजन

कृषि विज्ञान केन्द्र, भाकृअनुप-भारतीय पशुचिकित्सा अनुसंधान संस्थान, इज्जतनगर, बरेली द्वारा किसान सम्मान दिवस के अवसर पर फसल अवशेष प्रबन्धन परियोजना के अन्तर्गत बहेड़ी विकास खण्ड के श्री सलीग राम, एस.वी.एम. इंटर कॉलेज में एक दिवसीय किसान मेले का आयोजन किया गया। इस अवसर पर आयोजित किसान गोष्ठी को संबोधित करते हुये मेले के मुख्य अतिथि, डॉ॰ महेश चन्द्र, संयुक्त निदेशक प्रसार शिक्षा ने मेले में बड़ी संख्या में आये किसान भाइयों तथा ग्रामीण महिलाओं का स्वागत करते हुये कहा कि भारतीय पशुचिकित्सा अनुसंधान संस्थान, इज्जतनगर स्थित यह कृषि विज्ञान केन्द्र बरेली जनपद के किसानों कि एक लम्बे समय से सेवा करता आ रहा है। उन्होने कृषि के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य कर रही महिलाओ को भी सम्मानित करने का सुझाव दिया। आज के इस मेले के माध्यम से फसल अवशेष प्रबन्धन का संदेश घर-घर तक जाए और अधिक से अधिक किसान भाई को एक मिशन के रूप में लेकर इस समस्या को समाप्त करने में सहयोग दें तो भूमि और पर्यावरण की स्थिति को सुधारने में समय नहीं लगेगा।

8

 

9

विशिष्ट अतिथि, श्री अंरिंदर सिंह, ब्लॉक प्रमुख, बहेड़ी विकास खण्ड ने किसानों को किसान सम्मान दिवस की शुभकामनायें देते हुये बताया कि हम इस धरती को अपनी माँ के समान पूजते हैं और यही हमारे जीवन यापन के लिए अन्न-जल का मुख्य स्रोत है। इसलिये इसकी उर्वरता को बनाये रखना हम सभी की जिम्मेदारी है।

श्री छत्रपाल सिंह, पूर्व विधायक के प्रतिनिधि, श्री सुरेश चन्द्र गंगवार ने कृषि विज्ञान केन्द्र के वैज्ञानिकों द्वारा फसल अवशेष प्रबंधन के सम्बन्ध कृषको को दी गई जानकारी को अत्यधिक उपयोगी बताते हुए सरकार की विभिन्न योजनाओं में कृषि यंत्रो को क्रय करने के साथ-साथ अन्य सभी योजनाओं का अधिक से अधिक लाभ उठाने के लिये प्रोत्साहित किया। 

तकनीकी सत्र में, डॉ अखिलेश, वरिष्ठ वैज्ञानिक पशु औषधि विभाग ने पशुओं में होने वाली विभिन्न बीमारियों के संबंध में विस्तार से जानकारी देते हुए बताया कि यदि हम पशुओ के व्यवहार को नियमित रूप से देखते रहे और उनकी बीमारियों को आरंभिक अवस्था में ही पकड़ ले तो कम लागत में बहुत आसानी से उनका उपचार कराया जा सकता है । उन्होने थनैला एवं संक्रामक रोगो के बारे में कृषको के प्रश्नों के उत्तर भी दिये। डॉ. शशिकांत गुप्ता, पशु पुनरुत्पादन विभाग ने पशुओं के गर्भधारण संबंधी समस्याओं एवं उनके निवारण के संबंध में जानकारी प्रदान की। श्री आर.एल. सागर, विषय विशेषज्ञ ने फसल अवशेषों को जलाने से होने वाले नुकसान और इसके खेत में ही प्रबन्धन से होने वाले फायदों के सम्बन्ध में, श्री राकेश पाण्डे ने फसल अवशेष प्रबन्धन के यन्त्रों तथा विभिन्न परिस्थितियों में उनके उपयोग करने के तरीकों तथा सुश्री वाणी यादव ने फसल अवशेष प्रबन्धन के मृदा पर पड़ने वाले प्रभावों के सम्बन्ध में जानकारी दी।

मुख्य अतिथि, श्री अमरिंदर सिंह एवं संयुक्त निदेशक, डॉ महेश चंद्र ने फसल अवशेष प्रबंधन क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य कर रहे प्रगतिशील कृषको को सम्मानित किया तथा सांस्कृतिक कार्यक्रमों के माध्यम से संदेश देने वाले 15 छात्र छात्राओं को भी सम्मानित किया। श्री रंजीत सिंह, बागवानी विशेषज्ञ ने स्व. श्री चौधरी चरण सिंह के जीवनवृत पर प्रकाश डाला एवं कार्यक्रम का संचालन किया।

इस अवसर पर मेले में फसल अवशेष प्रबंधन विषय पर प्रदर्शनी का भी आयोजन किया जिसमे महिला समूहो तथा छात्र छात्राओं ने कृषि एवं विज्ञान संबंधी अपने मॉडल भी प्रस्तुत किए जिसकी सभी उपस्थित अतिथियों ने सराहना की। उक्त किसान सम्मान समारोह एवं किसान मेले में लगभग 782 किसानों, कृषक महिलायों एवं छात्र छात्राओं ने भागीदारी की।

इसके अतिरिक्त, कृषि विज्ञान केंद्र के विशेषज्ञों व भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान की टीम ने कृषि विभाग, बरेली द्वारा विल्वाफार्म पर आयोजित किसान सम्मान दिवस में प्रतिभागिता दर्ज की जिसमे एक पशु विज्ञान प्रदर्शिनी में एक स्टाल लगाया गया जिस पर बड़ी संख्या में किसानो ने जानकारी प्राप्त की साथ ही कृषि विज्ञान केन्द्र एवं संस्थान के वैज्ञानिको ने किसान मेले में फसल उत्पादन तथा पशु पालन संबंधी जानकारी प्रदान की। इस कार्यक्रम में लगभग 950 किसानों तथा किसान महिलाओं ने भागीदारी की।

(Source: Respective Institutes)

×