10 फरवरी, 2023
नए भारत के कृषि क्षेत्र के विकास में ग्रामीण महिलाएं प्रमुख हितधारक हैं। कृषि मशीनीकरण आधुनिक कृषि के लिए उत्पादकता बढ़ाने और अन्य आदानों जैसे बीज, उर्वरक, रसायन और कीटनाशकों और प्राकृतिक संसाधनों जैसे पानी, मिट्टी के पोषक तत्वों आदि का विवेकपूर्ण उपयोग करने के अलावा मानव परिश्रम और खेती की लागत को कम करने के लिए एक आवश्यक इनपुट है। कस्टम हायरिंग सेंटर उत्पादन क्षेत्र में महिलाओं, छोटे और सीमांत किसानों को कृषि मशीनरी और उपकरण उपलब्ध कराते हैं।

इस प्रकार फील्ड संचालन की दक्षता बढ़ाने के लिए, आज एससीएसपी के तहत, भाकृअनुप-केन्द्रीय कृषि महिला संस्थान (सीआईडब्ल्यूए), भुवनेश्वर द्वारा दो महिला स्वयं सहायता समूह (एसएचजी) के नेतृत्व वाले कस्टम हायरिंग सेंटर लॉन्च किया गया।

ओडिशा के पुरी जिले में मां मंगला सांच्य समिति, ओलिकोना, निमापाड़ा और सुभाश्री स्वयं सहायक गोस्ती, गुआलीगोराडा, सत्यबाड़ी नाम की अनुसूचित जाति की दो महिला किसान एसएचजी प्रमुख हितधारक थीं। दिए गए प्रमुख उपकरण तथा इस उपकरण में बीज उपचार ड्रम, ड्रम सीडर, कोनो वीडर, धान थ्रेशर सह विनोवर, मूंगफली डीकार्टिकेटर और मक्का शेलर शामिल थे।
डॉ. मृदुला देवी, निदेशक, भाकृअनुप-सीआईडब्ल्यूए ने उद्घाटन संबोधन में कहा कि कस्टम हायरिंग सेंटर न केवल फील्ड कौशल को बढ़ाएंगे बल्कि बीज उपचार, बुवाई, निराई, कटाई और कटाई के बाद फसलों का संचालन के साथ खेतिहर महिलाओं की कड़ी मेहनत को भी कम करेंगे। उन्होंने पोषण और स्वास्थ्य के लिए आहार में बाजरे के महत्व पर भी प्रकाश डाला और उनसे उद्यमिता मोड में बाजरा आधारित उत्पाद तैयार करने और बेचने का आग्रह किया।
कार्यक्रम में दो स्थानों पर कुल 150 कृषक महिलाओं ने भाग लिया।
(स्रोत: भाकृअनुप-केन्द्रीय कृषि महिला संस्थान, भुवनेश्वर)








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