30 जून, 2022, नई दिल्ली
राष्ट्रीय कृषि विज्ञान केंद्र परिसर, नई दिल्ली में आयोजित भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, सोसायटी के शासी निकाय की 256 वीं बैठक के दौरान सिंगल यूज प्लास्टिक के प्रतिस्थापन के लिए बायोडिग्रेडेबल फिल्म का विमोचन किया गया।
पीएलए (पॉली लैक्टिक एसिड) और कॉर्न स्टार्च आधारित बायोडिग्रेडेबल फिल्म्स को व्यावसायिक एक्सट्रैक्शन ब्लो मोल्डिंग विधि का उपयोग करके विकसित किया गया था। विकसित फिल्मों की मोटाई 20 से 90 µm के बीच वैरी करती है। विकसित फिल्मों के लिए तन्य शक्ति, ऑक्सीजन संचरण दर और जल वाष्प संचरण दर क्रमशः 25.18 से 75.49 एमपीए, 171.35 से 209.40 cc/m2/दिन और 83 से 101.47 g/m2/ दिन के बीच थी। इस फिल्म की मोटाई, पारदर्शिता और वहन क्षमता वर्तमान में उपयोग किए जाने वाले पारंपरिक प्लास्टिक के साथ तुलना करने योग्य है, जिसमें सिंगल यूज प्लास्टिक भी शामिल है। विभिन्न आकारों के कैरी बैग - 350x300 मिमी; 400x300 मिमी; 450x450 एमएम 1 से 2 किलोग्राम फलों और सब्जियों; खाद्यान्न / कपड़ों के जोड़े और साड़ी जैसे कपड़े को कैरी करने के लिए बनाया गया। इस प्रकार विकसित कैरी बैग का उपयोग प्याज, दालों और कपड़े, जैसे साड़ी को कैरी करने के लिए परीक्षण किया गया और उन्हें उपयुक्त पाया गया।
इसको मृदा के नीचे दफन करके परीक्षण करने के बाद, विकसित फिल्मों के बायो डिग्रेडेबिलिटी अध्ययन ने 365 दिनों के बाद वजन घटाने में 80% से 90% का संकेत दिया। एक किलोग्राम जैव सामग्री से 21 मीटर लंबाई फिल्म (90 µm मोटी) का उत्पादन होता है। व्यावसायिक रूप से उपलब्ध 1 किलोग्राम पॉलीमेरिक फिल्म रोल की लागत लगभग रु 200 से रु. 250/- होता है। बड़े पैमाने पर उत्पादन पर बायोडिग्रेडेबल फिल्म की लागत वाणिज्यिक प्लास्टिक फिल्म के समान होने की उम्मीद है। इस प्रकार विकसित बायोडिग्रेडेबल फिल्म को वर्तमान में उपयोग किए जाने वाले सिंगल यूज प्लास्टिक के वास्तविक प्रतिस्थापन के रूप में माना जा सकता है।
इस तरह के जैव-पॉलिमर संचालित अनुसंधान एक स्थायी पर्यावरण, अर्थव्यवस्था (कृषि फीड स्टॉक से उच्च मूल्य का उत्पादन) और समाज (स्वस्थ जीवन के लिए पर्यावरण के अनुकूल कच्चे माल) में योगदान देंगे और वर्तमान में उपयोग किए जाने वाले सिंगल यूज प्लास्टिक और अन्य प्रकार के मोटे प्लास्टिक के विकल्पों की आवश्यकता को पूरा कर सकते हैं।
(स्रोत: कृषि इंजीनियरिंग विभाग, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली)
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