4 जुलाई, 2022, बैरकपुर
श्री कैलाश चौधरी, केंद्रीय कृषि और किसान कल्याण राज्य मंत्री ने कहा, "स्वरोजगार के अवसर पैदा करने और स्वच्छ और हरा-भरा भारत बनाने के लिए जूट, मेस्टा, सिसल, फ्लेक्स, रेमी और सनहेम्प आदि जैसे प्राकृतिक रेशों की बहुत बड़ी गुंजाइश है।" मंत्री ने आज यहां भाकृअनुप-केंद्रीय जूट और संबद्ध फाइबर अनुसंधान संस्थान, बैरकपुर, कोलकाता द्वारा आयोजित "क्षेत्र दिवस-सह-किसान सम्मेलन" का उद्घाटन किया।

मंत्री ने जलवायु परिवर्तन और रसायनों, सिंथेटिक्स और प्लास्टिक के निरंतर उपयोग के कारण पर्यावरण की बिगड़ती स्थिति पर चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि प्लास्टिक और सिंथेटिक्स के बहु उपयोग ने बड़ी समस्याएं पैदा की हैं क्योंकि वे जल निकासी चैनल को अवरुद्ध करते हैं, जल निकायों को प्रदूषित करते हैं और मिट्टी की प्राकृतिक उर्वरता को भी कम करते हैं।

श्री चौधरी ने भारत सरकार द्वारा चरणबद्ध तरीके से प्लास्टिक के उपयोग पर प्रतिबंध की सराहना की। उन्होंने पश्चिमी देशों में बायोडिग्रेडेबल फाइबर की भारी मांग के कारण हाल के वर्षों में जूट और जूट आधारित उत्पादों के निर्यात में वृद्धि को रेखांकित किया। उन्होंने अपने संबोधन में बताया भारत सरकार की नीतियां जैसे "अनिवार्य जूट पैकेजिंग अधिनियम", "एकल उपयोग प्लास्टिक पर प्रतिबंध" और "हर साल जूट के न्यूनतम समर्थन मूल्य में संशोधन" के साथ-साथ "किसान सम्मान निधि", "कृषि अवसंरचना कोष" आदि को उल्लिखित किया।
मंत्री ने वैज्ञानिकों से स्थानीय भाषाओं में कृषि-प्रौद्योगिकी पर साहित्य और वीडियो के माध्यम से व्यवहार्य जूट और संबद्ध फाइबर खेती प्रौद्योगिकी का प्रसार करने का आग्रह किया ताकि उनकी बेहतर समझ हो सके।
इससे पहले, डॉ. गौरंगा कार, निदेशक, भाकृअनुप-क्रिजफ, बैरकपुर ने गणमान्य व्यक्तियों का स्वागत करते हुए ग्रामीण क्षेत्रों में जूट की खेती के तरीकों और जूट आधारित सूक्ष्म उद्यमों को लोकप्रिय बनाकर जूट किसानों का सामाजिक-आर्थिक विकास के लिए संस्थान के विभिन्न अनुसंधान, विकास और विस्तार गतिविधियों के बारे में जानकारी दी।
इस आयोजन में लगभग 250 किसानों, कृषि महिलाओं और स्वयं सहायता समूह के सदस्यों और संस्थान के स्टाफ सदस्यों ने भाग लिया।
(स्रोत: भाकृअनुप-केंद्रीय जूट और संबद्ध फाइबर अनुसंधान संस्थान, बैरकपुर, कोलकाता)








Like on Facebook
Subscribe on Youtube
Follow on X X
Like on instagram