13 जुलाई, 2022, बरेली
कृषि विज्ञान केन्द्र बरेली एवं भाकृअनुप-भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान, इज्जतनगर, बरेली द्वारा संयुक्त रूप से गौ आधारित प्राकृतिक खेती पर एक दिवसीय प्रशिक्षण एवं विधि प्रदर्शन का आयोजन किया गया।
मुख्य अतिथि, डॉ. महेश चंद्र, संयुक्त निदेशक, प्रसार शिक्षा ने अपने संबोधन में किसानों को जैविक एवं प्राकृतिक खेती में अंतर को समझाते हुए, वर्तमान समय में प्राकृतिक खेती के महत्व पर विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने यह भी बताया कि भारत सरकार किसानों को प्राकृतिक खेती को अपनाने के लिए प्रोत्साहन दे रही है।
श्री राकेश पांडेय, विषय वस्तु विशेषज्ञ (सस्य विज्ञान) ने प्राकृतिक खेती में उपयोग होने वाले जीवामृत, बीजामृत, घनजीवामृत, पंचगव्य, अग्नि अस्त्र, ब्रम्हास्त्र, नीमास्त्र, दशपर्णी अर्क, सप्त धान्यांकुर आदि को बनाने तथा उसकी भंडारण क्षमता के सम्बन्ध में विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने बताया कि पलेवा के समय तथा खड़ी फसल में जीवामृत, घनजीवामृत, पंचगव्य; फसल पोषण हेतु सप्त धान्यांकुर; बीज उपचार हेतु बीजामृत एवं रोगों तथा कीटों से बचाने हेतु अग्नि अस्त्र, ब्रम्हास्त्र, नीमास्त्र, दशपर्णी अर्क का प्रयोग किया जाता है। डॉ. पाण्डेय ने किसानों को यह भी बताया कि मृदा में रहने वाले जीवाणु, जो मिट्टी से पोषक तत्वो को पौधो को उपलब्ध कराती है, उन्ही जीवाणुओं को प्राकृतिक खेती द्वारा सशक्त किया जाता है तथा इन जीवाणुओं की संख्या प्राकृतिक खेती द्वारा बढ़ायी भी जा सकती है।
डॉ बी.पी. सिंह, अध्यक्ष कृषि विज्ञान केंद्र ने अपने सम्बोधन में कृषको को प्राकृतिक खेती के गुणों, जैसे- कम लागत ज़्यादा मुनाफा, गाँव के युवकों को इस खेती में आगे बढानें, अपने गाँव में बदलाव लाने तथा प्राकृतिक खेती से प्राप्त उत्पादों के विक्रय हेतु कृषक उत्पादक संगठन (एफपीओ) को माध्यम बनाने तथा इस पर कार्य करने के लिए प्रोत्साहित किया।
इसके अलावा, किसानों को गोमूत्र से हैंड सैनेटाइजर बनाने, फ्लोर क्लीनर आदि बनाने की भी जानकारी दी गई। इस एक दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम के दौरान कृषको को घनजीवामृत बनाने की विधि को प्रदर्शित भी किया गया, जिसमें लगभग 100 किलो देसी गाय का गोबर, 10 लीटर देसी गाय का गोमूत्र, 1 किलो बेसन, 1 किलो गुड़ एवं एक मुट्ठी नीम एवं बरगद के पेड़ के नीचे की मिट्टी प्रयोग करके 1 क्विंटल घनजीवामृत तैयार किया गया, जिसे 2-3 दिन बाद एक एकड़ खेत में प्रयोग करने के लिए उपयुक्त माना।
इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में 28 किसान युवकों ने सहभागिता दर्ज कराई।
(स्रोत: केवीके-आईवीआरआई, इज्जतनगर, बरेली)
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