जैविक खेती केंद्र पर अखिल भारतीय नेटवर्क कार्यक्रम के तहत भाकृअनुप-भारतीय मृदा विज्ञान संस्थान, भोपाल ने आज भारत के स्वतंत्रता के 75 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में "गाय के गोबर-खाद-कार्बन और जलवायु थीम के तहत: जैविक / प्राकृतिक खेती" पर एक जन जागरूकता अभियान का आयोजन किया।
जन जागरूकता अभियान का उद्देश्य कार्बन के साथ मिट्टी को समृद्ध करने के लिए गाय के गोबर और उनसे बने खाद के बारे में जागरूकता और महत्व पैदा करना था, जो जलवायु परिवर्तन को कम करने के में सहायता के लिए जुड़ा है।
यह कार्यक्रम संयुक्त रूप से भाकृअनुप-भारतीय कृषि प्रणाली अनुसंधान संस्थान (आईआईएफएसआर), मोदीपुरम और भारतीय मृदा विज्ञान संस्थान, भोपाल द्वारा आयोजित किया गया था।
मुख्य अतिथि, श्री कमल पटेल, कृषि मंत्री, मध्य प्रदेश सरकार ने बताया कि गाय आधारित खेती और उत्पादन कृषि में आने वाली सभी समस्याओं का समाधान प्रदान कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि सरकार विभिन्न योजनाओं के माध्यम से देसी गाय आधारित खेती को बढ़ावा दे रही है और प्रोत्साहित भी कर रही है।
विशिष्ट अतिथि, श्री शैलेन्द्र सिंह, आईएएस, कृषि उत्पादन आयुक्त, और मध्य प्रदेश सरकार ने एक सरल मॉडल प्रदान करने का आग्रह किया जिसे किसान अपना सकते हैं।
डॉ. ए.के. पात्रा, निदेशक, भाकृअनुप-भारतीय मृदा विज्ञान संस्थान, भोपाल ने कंपोस्टिंग/समृद्ध खाद, अवशेषों/प्रबंधन के इन-सीटू रीसाइक्लिंग के लिए माइक्रोबियल कंसोर्टियम, जलवायु परिवर्तन शमन, और मिट्टी के स्वास्थ्य पर विकसित संस्थान की तकनीक के बारे में जानकारी दी।
डॉ. (श्रीमती) सुमन प्रसाद (डीडीए, आत्मा, भोपाल) ने राज्य में जैविक खेती की स्थिति की जानकारी दी और संस्थान को ऐसी तकनीक प्रदान करने का अनुरोध किया जिसे किसानों के खेत में ले जाया जा सके।
अभियान के आयोजन में सचिव, डॉ. सोमसुंदरम जयरामन ने मृदा स्वास्थ्य प्रबंधन में खाद और कार्बन के महत्व पर प्रकाश डाला।
प्रगतिशील किसान, श्री नारायण सिंह पटेल, श्री कृष्ण पाल सिंह लोधी और श्री अशोक मीणा ने प्राकृतिक खेती के लिए जीवामृत और घन जीवामृत तैयार करने पर अपने अनुभव साझा किए।
कार्यक्रम के दौरान किसानों के साथ संवाद सत्र भी आयोजित किया गया।
वर्चुअल प्लेटफॉर्म आधारित कार्यक्रम में किसानों, वैज्ञानिकों, छात्रों, विस्तार कार्यकर्ताओं और अन्य अधिकारियों सहित 250 से अधिक प्रतिभागियों ने शिरकत की।
(स्रोत: भाकृअनुप-भारतीय मृदा विज्ञान संस्थान, भोपाल)
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