16 दिसंबर, 2022, बांकुड़ा
इस कार्यशाला का उद्घाटन आज प्रभारी मंत्री, श्री प्रदीप मजूमदार, पंचायत एवं ग्रामीण विकास, पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा किया गया। श्री मजूमदार ने जिले के एफपीसी/एफपीओ के लिए इस तरह की कार्यशाला आयोजित करने के प्रयास की सराहना की और उल्लेख किया कि एफपीसी किसान समुदाय का भविष्य हैं। उन्होंने खेती में स्थिरता प्राप्त करने के लिए प्रौद्योगिकी बैकस्टॉपिंग और मतिर सृष्टि प्रोकोल्पो और कृषक बीमा योजना जैसी योजनाओं पर भी जोर दिया है, जिसने जिले के कृषक समुदाय के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।


डॉ. हिमांशु पाठक, सचिव (डेयर) एवं महानिदेशक (भाकृअनुप) ने जिले के एफपीसी/एफपीओ गतिविधियों पर एक दिवसीय कार्यशाला के अवसर पर एनआईआरडी कोल्ड रूम का उद्घाटन किया।
डॉ. एच. पाठक ने कार्यशाला को संबोधित करते हुए कहा कि एफपीसी/एफपीओ की पूरी क्षमता को समझने के लिए अधिक तकनीकी कौशल-उन्मुख प्रशिक्षण की आवश्यकता है। उन्होंने जिला और राज्य स्तर पर लाइन विभागों के अभिसरण और उनके व्यापार पर नियंत्रण में तेजी लाने के लिए एफपीसी की अंतर्राज्यीय एक्सपोजर यात्रा में गहरी रुचि ली है। उन्होंने डब्ल्यूबीसीसीएडी-कृषि विज्ञान केन्द्र, बांकुरा द्वारा एफपीसी/एफपीओ उत्पादों की मृत्तिका की ब्रांडिंग की अवधारणा की सराहना की।
श्रीमती राधिका अय्यर, जिला मजिस्ट्रेट बांकुड़ा, डॉ. एफ.एच. रहमान, प्रधान वैज्ञानिक, पश्चिम बंगाल सरकार के वरिष्ठ अधिकारी और लगभग 150 एफपीसी, एफपीओ, किसान समूह और एसएचजी क्लस्टर सदस्य कार्यशाला में उपस्थित थे।
डॉ. एफ.एच. रहमान, प्रधान वैज्ञानिक, भाकृअनुप-अटारी कोलकाता ने अतिथियों का स्वागत करते हुए स्थायी आजीविका और सुरक्षा प्राप्त करने के लिए एफपीसी/एफपीओ की आवश्यकता पर प्रकाश डाला। उन्होंने उत्पाद मदों में विविधता लाने और नवीन विपणन चैनल बनाने की आवश्यकता के बारे में भी बताया।
सीएडीसी-केवीके, बांकुड़ा की प्रमुख, डॉ मौमिता डे गुप्ता ने जिले के एफपीसी को बढ़ावा देने के लिए की गई पहलों एवं गतिविधियों के बारे में जानकारी दी।
[स्रोत: भाकृअनुप-अटारी कोलकाता]
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