9 जनवरी, 2023, तिरुकुरुंगुडी एवं 31 जनवरी, 2023, वरदराजपुरम
तिरुनेलवेली जिले का कलक्कड़ ब्लॉक तमिलनाडु में केले की खेती के लिए जाना जाता है। यहां पर लीफ स्पॉट रोग के अचानक प्रकोप ने किसानों के लिए एक बड़ी चिंता पैदा कर दी।
भाकृअनुप-राष्ट्रीय केला अनुसंधान केन्द्र, तिरुचिरापल्ली ने 9 जनवरी को कलक्कड़ ब्लॉक के तिरुकुरुंगुडी में किसानों के लिए एक जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया। केले में लीफ स्पॉट रोग के प्रबंधन के लिए किसानों द्वारा किए जाने वाले उपायों से किसानों को अवगत कराया गया। ड्रोन तकनीक के माध्यम से कवकनाशी के प्रयोग के बारे में गांव में इसके प्रदर्शन का आयोजन किया गया। लगभग 25 एकड़ के प्रभावित क्षेत्र को ड्रोन तकनीक के माध्यम से कवकनाशी के प्रयोग के लिए कवर किया गया था।
भाकृअनुप-एनआरसीबी के निदेशक, डॉ. आर. सेल्वराजन ने रेखांकित किया कि कलाक्कड़ क्षेत्र में लगभग 2400 हेक्टेयर प्रभावित हुआ है, जिससे लगभग 5 करोड़ रुपये का आर्थिक नुकसान हो सकता है। उन्होंने आह्वान किया कि उचित प्रबंधन पद्धतियों का पालन करके नुकसान को कम किया जा सकता है और ड्रोन तकनीक द्वारा बड़े पैमाने पर कवकनाशी स्प्रे के लिए 15 लाख रुपये का खर्च किया जा सकता है।
31 जनवरी, 2023 को थोट्टियम बनाना प्रोड्यूसर ग्रुप के सहयोग से थोट्टियम, तिरुचिरापल्ली, तमिलनाडु के पास वरदराजा पुरम में केले की खेती में माइक्रो न्यूट्रिएंट (बनाना शक्ति) छिड़काव करने के लिए ड्रोन तकनीक के उपयोग के बारे में जागरूकता अभियान चलाया गया।
डॉ. आर. सेल्वराजन, निदेशक, भाकृअनुप-एनआरसीबी ने उल्लेख किया कि केले की खेती के लिए सूक्ष्म पोषक तत्व का उपयोग उपज बढ़ाने के लिए महत्वपूर्ण है और यह एन, पी और के जैसे अन्य मैक्रोन्यूट्रिएंट्स के सेवन में भी सुधार करता है, इसके अलावा, उन्होंने कहा कि श्रम की कमी के परिदृश्य में ड्रोन तकनीक के माध्यम से कीटनाशकों और सूक्ष्म पोषक तत्वों जैसे आदानों के उपयोग से न केवल खेती की लागत कम होगी बल्कि किसानों के लाभ में भी वृद्धि होगी।
डॉ. सी. करपगम, प्रधान अन्वेषक, ड्रोन परियोजना, ने परियोजना के उद्देश्य को रेखांकित किया।
थोट्टियम में, 35 एकड़ केले के खेतों को ड्रोन तकनीक के माध्यम से सूक्ष्म पोषक अनुप्रयोग के तहत कवर किया गया।
यहां, कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय द्वारा प्रवर्तित कृषि मशीनीकरण पर उप-मिशन के तहत ये दो प्रदर्शन, केले के रोग और सूक्ष्म पोषक तत्व प्रबंधन में ड्रोन का उपयोग, कृषि ड्रोन प्रौद्योगिकी प्रदर्शन परियोजना का हिस्सा था।
कार्यक्रम में श्री रंगम केला उत्पादक समूह, सिरुगमनी किसान समूह और अन्नामलाई किसान समूह के एफपीओ सदस्यों ने भाग लिया।
कार्यक्रम में थोट्टियम के केले के किसानों, नालंदा कृषि महाविद्यालय तथा अंबिल धर्मलिंगम महाविद्यालय के कृषि छात्रों ने भी भाग लिया।
(स्रोत: भाकृअनुप-राष्ट्रीय केला अनुसंधान केन्द्र, तिरुचिरापल्ली द्वारा आयोजित)
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