26 सितंबर, 2025, कोलकाता
हमारी राज भाषा को बढ़ावा देने की भावना एक बार फिर जीवंत हुई, जब, भाकृअनुप-राष्ट्रीय प्राकृतिक रेशा अभियांत्रिकी एवं प्रौद्योगिकी संस्थान (निनफेट), कोलकाता ने हिंदी पखवाड़ा (15 से 26 सितंबर तक) का आयोजन किया। इस कार्यक्रम में कर्मचारियों, संविदा कर्मचारियों, परियोजना कर्मचारियों तथा छात्रों ने बड़े उत्साह एवं पूरे दिल से भागीदारी की।
समारोह का एक प्रमुख आकर्षण, 25 सितंबर, 2025 को आयोजित पाँचवीं हिंदी वैज्ञानिक संगोष्ठी थी, जिसका विषय “विकसित भारत- 2047 का लक्ष्य प्राप्त करने हेतु कृषि में यंत्रीकरण, कृत्रिम बुद्धिमत्ता, एवं रोबोटिक की भूमिका” था। इस संगोष्ठी में मुख्य अतिथि के रूप में डॉ. के. नरसैया, सहायक महानिदेशक (पीई), भाकृअनुप और विशिष्ट अतिथि के रूप में डॉ. प्रदीप डे, निदेशक, अटारी, कोलकाता उपस्थित थे।
अपने उद्घाटन संबोधन में, डॉ. नरसैया ने इस आयोजन में भाग लेने पर प्रसन्नता व्यक्त की और इस बात पर ज़ोर दिया कि मशीनीकरण, कृत्रिम बुद्धिमत्ता और रोबोटिक्स जैसी उन्नत प्रौद्योगिकियों भारतीय कृषि में बदलाव लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएँगी। उन्होंने हिंदी में इस तरह की वैज्ञानिक चर्चाओं के आयोजन की भी सराहना की, जिससे जटिल विषय और भी सुलभ हो जाते हैं और शोध एवं नवाचार में राष्ट्रीय भाषा को बढ़ावा मिलता है।
तीन तकनीकी सत्रों में विभाजित इस संगोष्ठी में भारत के 14 राज्यों के 30 संस्थानों वैज्ञानिकों, विद्वानों और शोध विद्यार्थियों द्वारा 37 शोध पत्र के सारांश को प्रस्तुतीकरण के लिए भेजा गया था जिसमे से की 32 प्रतिभागियों ने अपनी प्रस्तुति भी की। संगोष्ठी में शामिल किये गए सरांशो को एक पुस्तिका के रूप में संगोष्ठी में उपस्थित अतिथियों द्वारा विमोचन भी किया गया।
पखवाड़े भर चले इस उत्सव का समापन 26 सितंबर, 2025 को श्री नवीन कुमार प्रजापति, मुख्य अतिथि तथा डॉ. डी.बी. शाक्यवार, निदेशक, भाकृअनुप-निनफेट की उपस्थिति में एक भव्य समापन समारोह के साथ हुआ, जिसमें उन्होंने विभिन्न प्रतियोगिताओं के विजेताओं को सम्मानित भी किया।
श्री प्रजापति जी ने अपने संबोधन में भाषा के महत्व, भाषा के सटीक प्रयोग से व्यक्तित्व गठन, अधिकारियों तथा कर्मचारियों के गुण, कर्तव्य और जिम्मेदारियों के बारे में चर्चा की। श्री प्रजापति ने सभी प्रतिभागियों को उनकी सक्रिय भागीदारी के लिए बधाई दी और सभी से अपने व्यावसायिक कार्यों में हिंदी के प्रचार-प्रसार में योगदान जारी रखने का आग्रह किया।
इस समारोह की शुरुआत, डॉ. शाक्यवार के द्वारा 15 सितंबर, 2025 को औपचारिक उद्घाटन के साथ हुआ था। आज समापन समारोह में, निदेशक ने आधिकारिक कामकाज में हिंदी के प्रयोग को बढ़ाने के महत्व पर ज़ोर दिया तथा सभी को प्रशासन, विज्ञान एवं संचार के माध्यम के रूप में हिंदी को मज़बूत बनाने में सक्रिय योगदान देने के लिए प्रोत्साहित किया। उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि वैज्ञानिक संवाद में हिंदी के व्यापक प्रयोग के साथ नवाचार को एकीकृत करने से कृषि में विकास के साथ-साथ राष्ट्रीय पहचान दोनों को बल मिलेगा।
समन्वित समापन सत्र में, डॉ. प्रतीक श्रीवास्तव, वैज्ञानिक, भाकृअनुप-निनफेट, डॉ. वेद प्रकाश चौधरी (सीआईएई, भोपाल), डॉ. जितेंद्र सिन्हा (बीआरएसएम, रायपुर), डॉ. डी. नाग (पूर्व निदेशक, भाकृअनुप-निनफेट और डॉ. डी.बी. शाक्यवार, निदेशक, भाकृअनुप- निनफेट सहित प्रख्यात विशेषज्ञों की बहुमूल्य अंतर्दृष्टि शामिल थी।
इस कार्यक्रम के अंतर्गत, पांच विभिन्न प्रतियोगिताएं: हिंदी निबंध लेखन (15 सितंबर), हिंदी काव्य आवृत्ति (16 सितंबर), हिंदी में अधिकतम कार्य (19 सितंबर), हिन्दी टिप्पणी एवं मसौदा लेखन (22 सितंबर), और आशुभाषण प्रतियोगिता (23 सितंबर) आयोजित की गयी, सभी प्रतियोगिता में प्रतिभागियों की उत्साहपूर्ण भागीदारी देखी गई। इन आयोजनों ने रचनात्मकता, भाषा कौशल और सहजता के प्रदर्शन हेतु एक जीवंत मंच प्रदान किया।
विभिन्न शोध संस्थानों, संगठनों, विश्वविद्यालयों से लगभग 60 से अधिक वैज्ञानिकों, शिक्षण पेशेवरों, शोधकर्ताओं, तकनीकी व्यक्तियों और छात्रों इस कार्यक्रम में बड़े उत्साह के साथ शिरकत की।
(सूत्र: भाकृअनुप-राष्ट्रीय प्राकृतिक रेशा अभियांत्रिकी एवं प्रौद्योगिकी संस्थान, कोलकाता)
Like on Facebook
Subscribe on Youtube
Follow on X X
Like on instagram