21 जनवरी, 2019, टोंक, राजस्थान
बनस्थली विद्यापीठ, टोंक, राजस्थान में आज कृषि विज्ञान केंद्रों के लिए राज्य स्तरीय कार्य योजना (2019-20) कार्यशाला का उद्घाटन किया गया।
प्रो. सिद्धार्थ शास्त्री, उपाध्यक्ष, बनस्थली विद्यापीठ, बनस्थली, टोंक ने मुख्य अतिथि के रूप में इस अवसर पर कहा कि महिलाओं और विशेष रूप से किसान महिलाओं के लिए शिक्षा समाज का एक महत्त्वपूर्ण तत्त्व है। किसानों के लिए कौशल विकास को कृषि विज्ञान केंद्र द्वारा योजनाबद्ध तरीके से संबोधित करने की आवश्यकता है।
डॉ. ए के तोमर, निदेशक, भाकृअनुप-केंद्रीय भेड़ और ऊन अनुसंधान संस्थान, अविकानगर ने सम्माननीय अतिथि के तौर पर आजादी से पहले और बाद की फसलों/फलों आदि में आयातक से निर्यातक के रूप में परिवर्तित होते कृषि के परिदृश्य पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि किसानों को कृषिपालकों में बदलने के लिए कृषि विज्ञान केंद्र जमीनी स्तर पर कार्यरत है, जहाँ एकीकृत कृषि प्रणाली के माध्यम से पशुधन का समावेश आय और पोषण सुरक्षा की वृद्धि में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
डॉ. एस के सिंह, निदेशक, भाकृअनुप-कृषि तकनीकी अनुप्रयोग संस्थान, जोधपुर ने अपनी परिचयात्मक टिप्पणियों में उल्लेख किया कि कृषि विज्ञान केंद्र की गतिविधियों की पूर्व-योजना अनिवार्य गतिविधियों के कार्यान्वयन में बहुत आवश्यक है। उन्होंने आग्रह किया कि संसाधन संरक्षण प्रौद्योगिकियों को एक कुशल तरीके से लिया जाना चाहिए।
इस अवसर पर मुख्य अतिथि द्वारा तिलहन पर सीएफएलडी (CFLD - क्लस्टर फ्रंट लाइन डेमोंस्ट्रेशन) की वार्षिक रिपोर्ट के साथ कृषि विज्ञान केंद्र के प्रकाशन जारी किए गए।
राजस्थान के एसएयू के विस्तार शिक्षा के निदेशकों सहित कृषि विज्ञान केंद्र के 44 वैज्ञानिक बैठक में भाग ले रहे हैं और वर्ष 2019 के लिए अपनी कार्य योजना प्रस्तुत करेंगे।
(स्त्रोत: भाकृअनुप-अटारी, जोधपुर)
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