4-6 जून, 2019, हैदराबाद
भाकृअनुप-केंद्रीय बारानी कृषि अनुसंधान संस्थान (क्रीडा) ने 4 से 6 जून, 2019 तक अपने कैंपस में तीन दिवसीय ‘जलवायु लचीलापन कृषि में राष्ट्रीय नवाचारों के प्रौद्योगिकी प्रदर्शन घटक में शामिल 121 केवीके की वार्षिक समीक्षा कार्यशाला (निक्रा)’ का आयोजन किया।
डॉ. ए. के. सिंह, उप महानिदेशक (कृषि विस्तार) ने अपने उद्घाटन भाषण में परियोजना की विशिष्टता और कार्यक्रम की मुख्य उपलब्धियों पर प्रकाश डाला। उन्होंने लचीली प्रथाओं को फैलाने की आवश्यकता पर बल दिया। डॉ. सिंह ने बेहतरीन लचीले प्रौद्योगिकियों के दस्तावेज की आवश्यकता पर जोर दिया, जिन्हें एकीकरण और विकासात्मक कार्यक्रमों के लिए सूचित किया जा सके।
डॉ. एस. भास्कर, सहायक महानिदेशक (ए, एएफ और सीसी) ने जलवायु परिवर्तन के संबंध में जोखिम मूल्यांकन पर हाल के घटनाक्रम, प्रदर्शन की गई प्रौद्योगिकियों के प्रभावों और वृक्ष आधारित प्रणालियों पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता के बारे में कहा। डॉ. भास्कर ने निक्रा के कस्टम हायरिंग केंद्रों के प्रसार और उसके मॉडल, मसलन विकास कार्यक्रमों, पोक्रा के प्रभाव के बारे में भी बताया।
डॉ. जी. रवींद्र चैरी, निदेशक-क्रीडा ने इससे पहले गणमान्य व्यक्तियों और प्रतिभागियों का स्वागत किया। उन्होंने जलवायु परिवर्तनशीलता के प्रभाव को कम करने के लिए वास्तविक समय के उपायों को लागू करने की आवश्यकता पर जोर दिया।
7 अटारी के निदेशक; विस्तार के निदेशक/उप निदेशक; अध्यक्ष, आंचलिक निगरानी समितियों और अटारी के नोडल अधिकारियों, 121 केवीके और क्रीडा के वैज्ञानिकों ने कार्यशाला में अपनी भागीदारी दर्ज की।
परियोजना में 22 सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाले केवीके को सम्मानित किया गया और इस अवसर के दौरान दो प्रकाशन जारी किए गए।
वर्ष 2019-20 के लिए लागू किए जाने वाले कार्य बिंदुओं को भी अंतिम रूप दिया गया।
(स्रोत: भाकृअनुप-केंद्रीय बारानी कृषि अनुसंधान संस्थान, हैदराबाद)
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