21 जुलाई, 2020, कोलकाता
भाकृअनुप-कृषि प्रौद्योगिकी अनुप्रयोग अनुसंधान संस्थान, कोलकाता ने आज ‘ओडिशा और पश्चिम बंगाल राज्यों के 24 केवीके को शामिल करते हुए ग्रामीण कृषि मौसम सेवा की आभासी पहली वार्षिक क्षेत्रीय समीक्षा कार्यशाला’ का आयोजन किया।
डॉ. के. के. सिंह, प्रमुख, भारतीय मौसम विज्ञान विभाग, नई दिल्ली ने मुख्य रूप से सामग्री निर्माण में कुछ नुकसान और सलाहकार ज्ञान के लिए पूर्वानुमान का अनुवाद करने में विशेषज्ञता की आवश्यकता पर ध्यान केंद्रित किया।
डॉ. गोकुल देबनाथ, प्रमुख, मौसम विज्ञान विभाग, कोलकाता एयरपोर्ट ने वर्तमान जलवायु परिवर्तन परिदृश्य के साथ कृषि उत्पादन में योजना के महत्त्व पर जोर दिया।
डॉ. रणधीर सिंह, अतिरिक्त महानिदेशक, (कृषि विस्तार), भाकृअनुप, नई दिल्ली ने नुकसान को कम करने के लिए किसानों की विभिन्न चुनौतियों को अपनाने में उपयोगिता के साथ-साथ कृषि मौसम परामर्श सेवा के महत्त्व पर प्रकाश डाला।
डॉ. पी. के. अग्रवाल, कुलपति, ओडिशा कृषि और प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, ओडिशा ने कृषि मौसम परामर्श सेवा के समय पर प्रसार के महत्त्व पर प्रकाश डालते हुए अपने अनुभव को साझा किया कि किस तरह इसने ओडिशा जैसे चक्रवात संभावित क्षेत्रों में किसानों के जीवन और फसल के नुकसान को कम किया।
डॉ. सी. चट्टोपाध्याय, कुलपति, उत्तर बंग कृषि विश्वविद्यालय, कूच बेहर ने अधिक-से-अधिक संख्या में किसानों तक पहुँचने के लिए प्रसार प्रणाली के तंत्र को मजबूत करने का आग्रह किया।
डॉ. सी. गुहा, कुलपति, पश्चिम बंगाल पशु एवं मत्स्य विज्ञान विश्वविद्यालय, कोलकाता ने एम्फन चक्रवात की व्यापकता के दौरान मानव जीवन और संपत्तियों के भारी नुकसान को रोकने के लिए केवीके के वैज्ञानिकों के प्रदर्शन की सराहना की।
डॉ. एफ. एच. रहमान, प्रधान नोडल अधिकारी, जीकेएमएस ने विभिन्न कृषि विज्ञान केंद्रों की डीएएमयू इकाई की गतिविधियों और प्रगति को रेखांकित करते हुए जीकेएमएस योजना की मुख्य गतिविधियों और उपलब्धियों के बारे में जानकारी दी।
डॉ. एस. के. रॉय, निदेशक, भाकृअनुप-अटारी, कोलकाता ने इससे पहले अपने स्वागत संबोधन में कार्यशाला के मुख्य उद्देश्य को रेखांकित किया।
एक तकनीकी बुलेटिन - जीकेएमएस न्यूज़लेटर इस अवसर के दौरान जारी किया गया था।
डॉ. एस. बंदोपाध्याय, डीडीजीएम, क्षेत्रीय मौसम विज्ञान केंद्र, कोलकाता और 24 केवीके के प्रमुखों एवं एसएमएस ने भी आभासी कार्यशाला में भाग लिया।
(स्रोत: भाकृअनुप-कृषि प्रौद्योगिकी अनुप्रयोग अनुसंधान संस्थान, कोलकाता)
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