28 सितंबर, 2020, जोधपुर
भाकृअनुप-कृषि प्रौद्योगिकी अनुप्रयोग अनुसंधान संस्थान, जोन-II, जोधपुर, राजस्थान ने आज “क्षेत्र-II की जनजातीय उप-योजना (टीएसपी) के तहत 24 केवीके और अनुसूचित उप-योजना (एससीएसपी) के तहत पाँच केवीके की आभासी वार्षिक समीक्षा बैठक का आयोजन किया।
डॉ. एस. के. सिंह, निदेशक, भाकृअनुप-अटारी, जोधपुर, राजस्थान ने इस बात पर जोर दिया कि टीएसपी स्वास्थ्य, शिक्षा और खाद्य सुरक्षा तक पहुँच को बढ़ाने तथा उत्पीड़न से रोकथाम व विभिन्न कार्यक्रमों के माध्यम से विकास के लिए केंद्र सरकार के लाभ के प्रवाह को चैनलाइज करने की अवधारणा है। उन्होंने जनजातीय आबादी के सामाजिक-आर्थिक उत्थान के लिए आवंटित धनराशि का विशेष उपयोग करने का आग्रह किया ताकि उन्हें क्रमिक आधार पर मुख्यधारा के अंतर्गत लाया जा सके।
डॉ. एस. के. शर्मा, निदेशक, डीईई, बीकानेर, राजस्थान ने बैकयार्ड मुर्गी पालन के माध्यम से हस्तक्षेप करते हुए विभिन्न नस्लों अर्थात प्रतापधन, कड़कनाथ, अंकलेश्वर आदि के मिश्रण से बचने का आग्रह किया ताकि अधिक कमाई के लिए नस्ल की शुद्धता बनी रहे।
डॉ. ईश्वर सिंह, निदेशक, डीईई, जोधपुर, राजस्थान ने कृषि विज्ञान केंद्रों द्वारा टीएसपी/एससीएसपी फंड के उचित और कुशल उपयोग की आवश्यकता पर जोर दिया।
टीएसपी को लागू करने वाले लगभग 24 केवीके और एससीएसपी को लागू करने वाले 5 केवीके ने बैठक के दौरान वर्ष 2019-20 के लिए अपनी प्रगति और वर्ष 2020-21 के लिए कार्य योजना प्रस्तुत की।
(स्रोत: भाकृअनुप-कृषि प्रौद्योगिकी अनुप्रयोग अनुसंधान संस्थान, जोन-II, जोधपुर, राजस्थान)
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