3-5 मई, 2021
भाकृअनुप-कृषि प्रौद्योगिकी अनुप्रयोग अनुसंधान संस्थान, पुणे, महाराष्ट्र और आणंद कृषि विश्वविद्यालय, आणंद, गुजरात ने संयुक्त रूप से 3 से 5 मई, 2021 तक महाराष्ट्र, गुजरात और गोवा के ‘केवीके के नवनियुक्त विषय-विशेषज्ञों के लिए आभासी अभिविन्यास प्रशिक्षण कार्यक्रम’ का आयोजन किया।
डॉ. अशोक कुमार सिंह, उप महानिदेशक (कृषि विस्तार), भाकृअनुप ने बतौर मुख्य अतिथि नवनियुक्त विषय-विशेषज्ञों को सभी प्रकार की उपलब्ध सूचनाओं और प्रौद्योगिकियों से पूरी तरह सुसज्जित करने का आग्रह किया। उन्होंने अर्थशास्त्र-उन्मुख गतिविधियों के महत्त्व और उच्च मुनाफे के लिए उचित विपणन माध्यमों के साथ इसके जुड़ाव पर प्रकाश डाला। उपमहानिदेशक ने इस बात पर जोर दिया कि प्रौद्योगिकियों का प्रदर्शन और उनकी अनुमापन वृद्धि समानांतर होनी चाहिए। डॉ. सिंह ने एकल फसल उत्पादन के जोखिम को कम करने और किसानों की आजीविका को सुरक्षित करने के लिए क्षेत्र में विविधीकरण को अपनाने की आवश्यकता पर बल दिया।


डॉ. के. बी. कथिरिया, कुलपति, आनंद कृषि विश्वविद्यालय, आनंद, गुजरात ने केवीके के नवनियुक्त विषय-विशेषज्ञों को अपने ज्ञान को अद्यतन करने और नई जारी किस्मों एवं प्रौद्योगिकियों के लिए कृषि विश्वविद्यालयों के साथ मिलकर काम करने हेतु प्रोत्साहित किया। डॉ. कथिरिया ने उपयोगी प्रौद्योगिकियों को अंतिम उपयोगकर्ताओं तक लोकप्रिय बनाने पर जोर दिया।
डॉ. रणधीर सिंह, सहायक महानिदेशक (कृषि विस्तार), भाकृअनुप ने केवीके से किसानों के खेतों में प्रभावी कार्यान्वयन के साथ नई जिम्मेदारियाँ लेने के लिए विषय-विशेषज्ञों को उन्मुख करने का आग्रह किया। डॉ. सिंह ने नवनियुक्त विषय-विशेषज्ञों को अन्य विषयों के सहयोग से काम करने के लिए पूरी तरह से उन्मुख करने और केवीके को जिले में सर्वोच्च रैंकिंग कृषि संस्थान के रूप में और अधिक जीवंत बनाने पर जोर दिया।
डॉ. के. डी. कोकाटे, पूर्व उप महानिदेशक (कृषि विस्तार), भाकृअनुप ने अर्थव्यवस्था में कृषि के योगदान पर प्रकाश डाला। उन्होंने विषय-विशेषज्ञों से कृषि और संबद्ध क्षेत्रों में उनके कौशल को विकसित करने का आग्रह किया।
अपने समापन संबोधन में डॉ. वी.एम. भाले, कुलपति, पीडीकेवी, अकोला, महाराष्ट्र ने विषय-विशेषज्ञों को किसानों की आय दोगुनी करने और उनकी आजीविका सुरक्षित करने के लिए रणनीति विकसित करने की दिशा में काम करने की सलाह दी। डॉ. भाले ने विभिन्न फसलों के उपज अंतराल को कम करने पर जोर दिया।
डॉ. लाखन सिंह, निदेशक, भाकृअनुप-अटारी, पुणे, महाराष्ट्र ने नवनियुक्त विषय-विशेषज्ञों के लिए सिंहावलोकन और प्रशिक्षण कार्यक्रम की आवश्यकता को रेखांकित किया। डॉ. सिंह ने केवीके के वैज्ञानिकों से प्रौद्योगिकी का गहन ज्ञान, सहकर्मियों के रूप में काम करने की क्षमता, एक मॉडल के रूप में निर्देशात्मक फार्म बनाने, बीमारी/कीट प्रकोप आदि पर सतर्क रहने का आग्रह किया।
भाकृअनुप और उसके संस्थानों सहित राज्य कृषि विश्वविद्यालयों के वरिष्ठ अधिकारियों ने आभासी तौर पर कार्यक्रम में भाग लिया।
(स्रोत: भाकृअनुप-कृषि प्रौद्योगिकी अनुप्रयोग अनुसंधान संस्थान, पुणे, महाराष्ट्र)
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