16 सितम्बर, 2022, सिरसा
भाकृअनुप-केन्द्रीय कपास अनुसंधान संस्थान, क्षेत्रीय स्टेशन ने आज यहां उत्तरी क्षेत्र में प्रचलित कपास के मुद्दों पर तीसरी "हितधारक इंटरफेस बैठक" का आयोजन किया।
प्रो. बी.आर. काम्बोज, कुलपति, चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय, हिसार ने अपने उद्घाटन संबोधन में किसानों को समय पर फसल सलाह प्रदान करने के लिए सभी हितधारकों के सहकारी संयुक्त प्रयासों की सराहना की एवं दोहराया कि नहर के पानी को समय पर छोड़ने से हरियाणा और पंजाब के सिंचित उत्तरी जोन राज्य में समय पर बुवाई कार्यों को बढ़ावा मिल सकता है।


डॉ. आर.के. सिंह, सहायक महानिदेशक (सीसी), भाकृअनुप ने क्षेत्र में कपास की कम उत्पादकता के कारणों का पता लगाने, व्हाइटफ्लाई और लीफ कर्ल प्रतिरोध के लिए प्रजनन और किसानों को बीज की गुणवत्ता के आश्वासन के लिए कदम उठाने पर जोर दिया।
डॉ. वाई.जी. प्रसाद, निदेशक, भाकृअनुप-केन्द्रीय कपास अनुसंधान संस्थान, नागपुर ने उत्तर क्षेत्र में कपास उत्पादकता को सीमित करने वाले जैविक और अजैविक तनावों की बढ़ती आवृत्ति के समग्र प्रबंधन के लिए कृषि-पारिस्थितिकी तंत्र विश्लेषण दृष्टिकोण अपनाने तथा सही समय पर सही सलाह द्वारा सभी हितधारक किसानों को बेहतर फसल देखभाल की आवश्यकता पर बल दिया।
डॉ. ए.एच. प्रकाश, कपास के लिए पीसी-एआईसीआरपी एंड प्रमुख, भाकृअनुप-सीआईसीआर आरएस, कोयंबटूर ने कपास के लिए एआईसीआरपी के तहत उत्तरी क्षेत्र के लिए विकसित प्रौद्योगिकियों के संकर/किस्मों पर प्रकाश डाला।
प्रारंभ में, डॉ. एस.के. वर्मा, प्रमुख (आई/सी), भाकृअनुप-सीआईसीआर आरएस, सिरसा और संयोजक ने उत्तरी क्षेत्र में कपास की फसल की स्थिति का अवलोकन प्रस्तुत किया।
डॉ. ए.एस. दत्त, पीएयू, लुधियाना और डॉ. पी.एस. शेखावत, एसकेआरएयू, बीकानेर, अनुसंधान निदेशक; डॉ. राजबीर सिंह, निदेशक भाकृअनुप-अटारी (जोन-I); बैठक में राज्य के कृषि विभाग के संयुक्त निदेशक, निजी बीज और इनपुट उद्योग के प्रतिनिधि, तीनों राज्य कृषि विश्वविद्यालयों के कपास वैज्ञानिकों और प्रगतिशील किसानों ने भाग लिया।
इस अवसर पर, गणमान्य व्यक्तियों द्वारा "उत्तर क्षेत्र में कपास कीट एवं रोग प्रबंधन के लिए परामर्श" पर एक प्रकाशन का विमोचन भी किया गया।
डॉ. वाई.जी. प्रसाद, निदेशक, भाकृअनुप-सीआईसीआर की अध्यक्षता में, तीनों राज्यों में बीज, मिट्टी के स्वास्थ्य, पानी और पोषण प्रबंधन, कीट और रोग की स्थिति से संबंधित कपास के मौजूदा मुद्दों पर एक पैनल चर्चा सत्र भी आयोजित किया गया।
पैनल ने नोट किया कि पिंक बॉलवॉर्म (पीबीडब्ल्यू) का प्रकोप बढ़ रहा है और इस क्षेत्र में महत्वपूर्ण फसल चरण के आर्थिक क्षति को कम करने के लिए फेरोमोन ट्रैप कैच, ग्रीन बॉल्स के विनाशकारी नमूने और आर्थिक सीमा (ईटीएल) आधारित कीटनाशक स्प्रे के माध्यम से उचित निगरानी की तत्काल आवश्यकता है। पैनल ने कई ऑफ-सीजन और प्री-सीजन प्रबंधन कदम का भी सुझाव दिया।
(स्रोत: भाकृअनुप-केन्द्रीय कपास अनुसंधान संस्थान (सीआईसीआर), क्षेत्रीय स्टेशन, सिरसा)








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