बाढ़ क्षेत्र वाले आद्रभूमि में "जलवायु लचीला प्रौद्योगिकी प्रदर्शन और मत्स्य पैदावार"

बाढ़ क्षेत्र वाले आद्रभूमि में "जलवायु लचीला प्रौद्योगिकी प्रदर्शन और मत्स्य पैदावार"

19 अगस्त, 2022, गोबरदंगा

भाकृअनुप-केंद्रीय अंतर्देशीय मत्स्य अनुसंधान संस्थान, बैरकपुर ने आज निक्रा परियोजना के तहत मीडिया वेटलैंड, गोबरदंगा, उत्तर-24 परगना, पश्चिम बंगाल में "जलवायु लचीला प्रौद्योगिकी प्रदर्शन और मत्स्य पैदावार कार्यक्रम" का आयोजन किया। हस्तक्षेप का उद्देश्य लचीलापन विकसित करना, मछली उत्पादन में वृद्धि और आर्द्रभूमि के जैव विविधता संरक्षण को बढ़ाना है।

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कार्यक्रम को, डॉ. बी. के. दास, निदेशक, भाकृअनुप-सीआईएफआरआई के मार्गदर्शन में कार्यान्वित किया गया।

डॉ. यू.के. सरकार, विभागाध्यक्ष, आरडब्ल्यूएफ डिवीजन, भाकृअनुप-सीआईएफआरआई, पीआई, एनआईसीआरए परियोजना ने आर्द्रभूमि के मछुआरों के लिए भाकृअनुप-सीआईएफआरआई के जलवायु लचीला केज कल्चर प्रणाली (सीआरसीएस) और जलवायु लचीला कल्चर-आधारित मत्स्य पालन (सीआरसीबीएफ) के तकनीकी हस्तक्षेपों को रेखांकित किया।

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जलवायु लचीला मछली प्रजातियों के मछली बीज अर्थात सीआरसीएस में सिस्टोमस सरना, लैबियो बाटा के साथ लेबियो रोहिता, लैबियो कतला, सिरहिनस मृगला का स्टॉक और पालन-पोषण किया गया। जलवायु परिवर्तन और स्वदेशी जीवों की घटती आबादी के संदर्भ में 500 किलोग्राम से अधिक जलवायु लचीला प्रजातियों को केज कल्चर से संबंधित पैदावार को संग्रहित किया गया और स्टॉक बढ़ाने के लिए खुली आर्द्रभूमि में रखा गया।

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कार्यक्रम में वैज्ञानिक और निक्रा के परियोजना कर्मचारी ने भाग लिया। लगभग 30 मछुआरे मत्स्य पैदावार से संबंधित कार्यक्रम में सक्रिय रूप से शामिल थे।

(स्रोत: भाकृअनुप-केंद्रीय अंतर्देशीय मत्स्य अनुसंधान संस्थान, बैरकपुर)

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