23 अगस्त, 2022, मोतीहारी
भाकृअनुप-महात्मा गांधी एकीकृत कृषि अनुसंधान संस्थान, मोतिहारी ने आज यहां अपना 8वां स्थापना दिवस मनाया।

मुख्य अतिथि, डॉ. सुरेश कुमार चौधरी, उप महानिदेशक (प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन), भाकृअनुप, नई दिल्ली ने कहा कि संस्थान का एक ऐतिहासिक महत्व है, क्योंकि यह वह स्थान है जहां महात्मा गांधी के नेतृत्व में चंपारण सत्याग्रह का आयोजन किया गया था। उन्होंने चुनौतीपूर्ण पारिस्थितिक तंत्रों के समाधान प्रदान करने के लिए बाढ़-प्रवण, बाढ़-प्रभावित और पानी की अधिकता वाले क्षेत्रों, विशेषकर उत्तर बिहार में एकीकृत खेती की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने संस्थान के आगे विकास और उचित आर्थिक विश्लेषण, किसानों के क्षेत्र में मान्यता और प्रौद्योगिकी विकास के साथ एकीकृत खेती के अधिक गहन और व्यवस्थित वैज्ञानिक अंतःविषय अध्ययन करने का आग्रह किया; जिसमें किसानों सहित सभी हितधारकों का क्षमता निर्माण भी शामिल है। उन्होंने कहा कि इससे जलभराव वाले क्षेत्रों को अधिक उत्पादक और लाभदायक बनाने में मदद मिलेगी।

डॉ. एस. भास्कर, एडीजी (एएएफ और सीसी), एनआरएम, भाकृअनुप, नई दिल्ली ने कहा कि संस्थान द्वारा नियोजित कार्यक्रम निश्चित रूप से बिहार के बाढ़ प्रभावित क्षेत्र की चुनौतियों का समाधान करेंगे। उन्होंने इस अवसर पर 'बाढ़ प्रवण और जलभराव की स्थिति के लिए एकीकृत कृषि प्रणाली' पर विचार-मंथन सत्र आयोजित किये जाने के लिए सराहना की। उन्होंने संगठन के महत्व को उजागर करने के लिए राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर सहयोग विकसित करने की सलाह दी।
इससे पूर्व अपने स्वागत संबोधन में, डॉ. के.जी. मंडल, निदेशक, भाकृअनुप-एमजीआईएफआरआई, बिहार ने गणमान्य व्यक्तियों को संस्थान के बुनियादी ढांचे के विकास की प्रगति सृजित किए जाने के लिए अधिक सुविधाओं, अनुसंधान गतिविधियों, भविष्य की योजनाओं और कार्यक्रमों से अवगत कराया।
डॉ. पी.एस. ब्रम्हानंद, निदेशक अनुसंधान, डॉ. आरपीसीएयू, पूसा, समस्तीपुर, बिहार ने मुख्य व्याख्यान दिया।
इस अवसर पर, डॉ. ए. उपाध्याय, निदेशक (कार्यवाहक), भाकृअनुप-आरसीईआर, पटन; डॉ. एस.डी. पांडे, निदेशक (कार्यवाहक), लीची के लिए भाकृअनुप-एनआरसी, मुजफ्फरपुर; डॉ. पी.एस. ब्रम्हानंद, निदेशक अनुसंधान; डॉ. आरपीसीएयू, पूसा, समस्तीपुर और बिहार में स्थित अन्य भाकृअनुप इकाइयों के प्रमुख, प्रधानाचार्य, जवाहर नवोदय विद्यालय; पिपराकोठी, केवीके के प्रमुख भी उपस्थित थे।
इस अवसर पर कुछ चयनित आईएफएस किसानों को भी सम्मानित किया गया।
(स्रोत: भाकृअनुप-महात्मा गांधी एकीकृत कृषि अनुसंधान संस्थान, मोतिहारी, बिहार)








Like on Facebook
Subscribe on Youtube
Follow on X X
Like on instagram