पार्थेनियम हिस्टरोफोरस को देश के अलग-अलग हिस्सों में अलग-अलग नामों से जाना जाता है, इसके दुष्परिणाम, मुख्य रूप से फसल उत्पादन में कमी और मनुष्यों में एक्जिमा, अस्थमा और एलर्जी आदि रोगों के रूप में देखे गए हैं।
पार्थेनियम और उसके प्रबंधन के हानिकारक प्रभावों के बारे में किसानों को अवगत कराने के लिए, विभिन्न भाकृअनुप संस्थानों ने 16 से 22 अगस्त, 2021 तक "पार्थेनियम जागरूकता सप्ताह" का आयोजन किया।
भाकृअनुप-केंद्रीय शुष्क भूमि कृषि अनुसंधान संस्थान (क्रीडा), हैदराबाद
19 अगस्त, 2022 को डॉ. वी. के. सिंह, निदेशक, भाकृअनुप-केंद्रीय शुष्क भूमि कृषि अनुसंधान संस्थान ने पार्थेनियम सप्ताह मनाने के महत्व से अवगत कराया। उन्होंने मानव में त्वचा में एलर्जी (त्वचाशोथ), तेज बुखार और अस्थमा जैसे, पार्थेनियम के, हानिकारक प्रभावों पर भी प्रकाश डाला और इस खरपतवार को एक एकीकृत मोड यानी यांत्रिक, सांस्कृतिक और जैव नियंत्रण विधियों के माध्यम से प्रबंधित करने की आवश्यकता पर बल दिया। डॉ. सिंह ने इस बात पर जोर दिया कि गैर-फसली क्षेत्रों जैसे आवासीय क्षेत्रों, पार्कों, सड़क के किनारे, रेलवे ट्रैक, आदि के अलावा फसल उत्पादन में भी बाधा बन रहा है।

यहां, वैज्ञानिकों, कर्मचारियों और आरएडब्ल्यूईपी के छात्रों ने सीआरआईडीए के मुख्य परिसर में और उसके आसपास पार्थेनियम पौधों कों पूर्णतया हटाने में भाग लिया और इसे पार्थेनियम मुक्त परिसर बनाने में मदद की।
केवीके - हयातनगर रिसर्च फार्म
भाकृअनुप-क्रीड़ा के कृषि विज्ञान केंद्र, रंगा रेड्डी जिला ने 19 अगस्त 2022 को केवीके, हयातनगर रिसर्च फार्म में पार्थेनियम जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किया।
केवीके और आरएडब्ल्यूई के छात्रों तथा स्टाफ सदस्यों के बीच जागरूकता फैलाने के लिए कई तरह की गतिविधियां आयोजित की गईं।

आरएडब्ल्यूई के छात्रों के साथ केवीके के कर्मचारियों ने सक्रिय रूप से भाग लिया और फल के बागानों से पार्थेनियम को हटाने का काम किया।
भाकृअनुप-केन्द्रीय द्वीपीय कृषि अनुसंधान संस्थान (सीआईएआरआई), लक्षद्वीप का क्षेत्रीय स्टेशन मिनिकॉय
भाकृअनुप-सीआईएआरआई पोर्ट ब्लेयर के क्षेत्रीय स्टेशन, मिनिकॉय ने 16 से 22 अगस्त 2022 तक मिनीकॉय के स्कूली छात्रों और आदिवासी किसानों के एकीकृत प्रबंधन पर "पार्थेनियम जागरूकता सप्ताह" और इसके एकीकृत प्रबंधन पर संवेदीकरण कार्यक्रम का आयोजन किया।
20 अगस्त 2022 को, मुख्य अतिथि, श्री इब्राहिम मानिकफान एल.जी., जिला पंचायत प्रतिनिधि, लक्षद्वीप, द्वीप समूह ने भाकृअनुप-सीआईएआरआई क्षेत्रीय स्टेशन, मिनिकॉय की नई पहल पर प्रसन्नता व्यक्त की। उन्होंने मानव और अन्य जानवरों पर पार्थेनियम के हानिकारक प्रभाव, मिट्टी की उत्पादकता एवं जैव विविधता पर इसके प्रभाव के बारे में भी जानकारी दी।

वैज्ञानिक टीम ने स्कूली छात्रों और शिक्षकों के साथ बातचीत की और पार्थेनियम के एकीकृत प्रबंधन और इसके उन्मूलन, जैविक नियंत्रण और इसके खाद बनाने पर प्रकाश डाला।
पार्थेनियम के सहभागी तरीके से खाद बनाने पर एक ऑन स्टेशन का प्रदर्शन भी किया गया।
यहां पर, छात्रों एवं शिक्षकों को भाकृअनुप-सीआईएआरआई, आरएस मिनिकॉय की कृषि और अन्य तकनीकों से भी अवगत कराया गया।
कार्यक्रम में कुल 25 छात्रों और 4 शिक्षकों ने भाग लिया।
वैज्ञानिक दल ने बाडा, औमागु, बोडुअथिरी, न्यू बोडुअथिरी, राममेदु, सादिवलु, आलूदी, फनहिलोल, कुदेही, फालेसेरी, केंडीपार्टी और दक्षिण पंडारम का दौरा किया और पार्थेनियम और इसके प्रबंधन के हानिकारक प्रभावों के बारे में जागरूकता अभियान का आयोजन किया।
कार्यक्रम में 75 से अधिक प्रतिभागियों ने शिरकत की।
इस कार्यक्रम का संचालन, डॉ. एकनाथ बी. चाकुरकर, निदेशक, भाकृअनुप-सीआईएआरआई, पोर्ट ब्लेयर की अध्यक्षता में की गई।
भाकृअनुप-भारतीय सोयाबीन अनुसंधान संस्थान (आईआईएसआर), खंडवा रोड, इंदौर

इस जागरूकता सप्ताह में, भाकृअनुप-भारतीय सोयाबीन अनुसंधान संस्थान, इंदौर में एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसमें प्रतिभागियों को पार्थेनियम हिस्टेरोफोरस से होने वाली समस्याओं से अवगत कराया गया। साथ ही घास को नियंत्रित करने के उपायों पर चर्चा की गई। यहां बरसात के मौसम में, घास को फूल आने से पहले उखाड़ कर कम्पोस्ट बनाना चाहिए, ताकि इसको फैलने से रोकने वाले पौधों जैसे गेंदा को घर के आसपास और खेतों में भी लगाया जा सके। इसके अलावा, असिंचित क्षेत्रों में फूल आने से पहले शाकनाशी (रसायन ग्लाइफोसेट और मेट्रिब्यूजिन) के उपयोग की भी सलाह दी जाती है।
(स्रोत: संबंधित संस्थान)








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