18 अगस्त, 2022, लुधियाना
भाकृअनुप-कृषि प्रौद्योगिकी अनुप्रयोग अनुसंधान संस्थान (अटारी), लुधियाना ने जलवायु स्मार्ट कृषि पर विभिन्न हितधारकों को आमंत्रित कर अनके अनुभवों और दृष्टिकोणों को एक दूसरे से सीखने के लिए आज "जलवायु स्मार्ट कृषि पर हितधारक संवाद" का आयोजन किया।
संबोधन के दौरान, मुख्य अतिथि, डॉ सुरेश कुमार चौधरी, उप महानिदेशक (प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन) एवं संवाद ने देश में कृषि नवाचारों को आगे बढ़ाने के लिए पंजाब के किसानों और शोधकर्ताओं की प्रशंसा की। उन्होंने कृषि के क्षेत्र में प्रमुख उपलब्धियों पर प्रकाश डाला और अर्थशास्त्र और उद्यमिता के साथ पर्यावरण और पारिस्थितिकी तंत्र प्रबंधन पर कार्रवाई करने का आह्वान किया। डीडीजी ने जल संसाधनों के बेहतर प्रबंधन पर जोर दिया और टिकाऊ कृषि के लिए फसलों के विविधीकरण का आह्वान किया। डॉ. चौधरी ने हाल ही में मौसम में उतार-चढ़ाव की घटनाओं और फसल और घरेलू पशुओं पर उनके प्रभावों के बारे में बात की। उन्होंने किसानों से इस तरह की प्रतिकूल घटनाओं के कारण होने वाले नुकसान को कम करने के लिए विशेषज्ञों की सलाह के आधार पर आवश्यक उपाय करने का आग्रह किया।

डॉ. अशोक कुमार, निदेशक, विस्तार शिक्षा, पंजाब कृषि विश्वविद्यालय, लुधियाना ने कृषि आदानों के बेहतर उपयोग के लिए सटीक कृषि प्रौद्योगिकियों और ड्रोन प्रौद्योगिकी को तैनात करने की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने टिकाऊ उत्पादन सुनिश्चित करने और नुकसान को कम करने के लिए जलवायु स्मार्ट प्रौद्योगिकियों की भूमिका पर प्रकाश डाला।
डॉ. सुजय रक्षित, निदेशक, भाकृअनुप-भारतीय मक्का अनुसंधान संस्थान (आईआईएमआर), लुधियाना ने किसानों से मक्का की खेती अपनाने और ज्ञान आधारित आधुनिक तकनीकों का पालन करने का आग्रह किया।
डॉ. नचिकेत कोतवालीवाले, निदेशक, भाकृअनुप-केन्द्रीय कटाई-उपरान्त अभियांत्रिकी एवं प्रौद्य़ोगिकी संस्थान (सिफेट), लुधियाना ने किसानों के लिए उपलब्ध प्रसंस्करण और मूल्य संवर्धन प्रौद्योगिकियों पर जोर दिया।
इससे पहले, डॉ. राजबीर सिंह, निदेशक, भाकृअनुप-अटारी, लुधियाना ने संवाद के उद्देश्य के बारे में विस्तार से बताया और देश के उत्तरी राज्यों में वर्ष 2022 में गर्मी की लहर के प्रतिकूल प्रभाव के बारे में बताया। उन्होंने स्पष्ट रणनीति और दूरदृष्टि की आवश्यकता पर बल दिया जो जलवायु परिवर्तन के मद्देनजर क्षेत्र में कृषि के लिए आवश्यक है। डॉ. सिंह ने परियोजना गतिविधियों के लिए बेहतर कार्यान्वयन और अतिरिक्त धन जुटाने के लिए सभी हितधारकों के साथ मिलकर काम करने का आग्रह किया।
एस संवाद सत्र में, भाकृअनुप संस्थानों, राज्य विश्वविद्यालयों और केवीके के वैज्ञानिकों एवं विशेषज्ञों के साथ-साथ सरपंचों, अभिनव किसानों और कृषि हस्तक्षेप से जुड़े गांवों के युवाओं सहित 120 से अधिक प्रतिभागियों ने विचार-विमर्श किया।
कार्यक्रम के दौरान, फसल अवशेष प्रबंधन के लिए कार्यशाला का भी आयोजन किया गया। प्रतिभागियों के बीच गहन विचार-विमर्श किया गया और सभी कृषि विज्ञान केंद्रों के लिए फसल अवशेष प्रबंधन की कार्य योजनाओं को अंतिम रूप दिया गया।
संवाद के दौरान मुख्य अतिथि द्वारा "उत्तर भारत में हीट वेव: किसानों का परिप्रेक्ष्य" नामक एक प्रकाशन का विमोचन भी किया गया।
(स्रोत: भाकृअनुप-कृषि प्रौद्योगिकी अनुप्रयोग अनुसंधान संस्थान, लुधियाना)








Like on Facebook
Subscribe on Youtube
Follow on X X
Like on instagram