25-26 अगस्त, 2022, पोर्ट ब्लेयर
भाकृअनुप-केंद्रीय द्वीप कृषि अनुसंधान संस्थान, पोर्ट ब्लेयर, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में "सुअर के लिए अखिल भारतीय समन्वित अनुसंधान परियोजना" और "सुअर के लिए मेगा सीड परियोजना" की वार्षिक समीक्षा बैठक 25 से 26 अगस्त, 2022 तक आयोजित की गई।

डॉ. भूपेंद्र नाथ त्रिपाठी, उप महानिदेशक (पशु विज्ञान), भाकृअनुप ने देश में विशेष रूप से समाज के कमजोर वर्गों के बीच भोजन और आर्थिक सुरक्षा के लिए सुअर के महत्व पर प्रकाश डाला। डीडीजी ने देश में सुअर पालन पर आधारित अनुसंधान के लिए स्थान विशिष्ट प्रौद्योगिकियों के विकास की दिशा में अनुसंधान की आवश्यकता पर जोर दिया। डॉ. त्रिपाठी ने स्वदेशी सुअर के जर्मप्लाज्म के लक्षण वर्णन और संरक्षण पर भी जोर दिया।

डॉ. त्रिपाठी ने गणमान्य व्यक्तियों की उपस्थिति में देशी बकरी के जर्मप्लाज्म के लिए एक संरक्षण इकाई की आधारशिला भी रखी।
कार्यक्रम के दौरान, डॉ. वी.के. सक्सेना, सहायक महानिदेशक (एपी एंड बी), भाकृअनुप ने बेहतर जर्मप्लाज्म की पहचान और प्रजनन के लिए जीनोमिक प्रौद्योगिकियों के अनुप्रयोग पर प्रकाश डाला।
डॉ. वी.के.गुप्ता, निदेशक, सूअर के लिए भाकृअनुप-एनआरसी एंड प्रोजेक्ट कोऑर्डिनेटर ने वर्ष 2021-22 के लिए समन्वयक रिपोर्ट प्रस्तुत की और केंद्रों को आर्थिक उत्थान और आजीविका सुरक्षा के लिए प्रौद्योगिकियों के प्रसार के लिए किसानों का समर्थन करने की दिशा में काम करने का सुझाव दिया।
डॉ. ई.बी. चाकुरकर, निदेशक, भाकृअनुप-सीआईएआरआई ने अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह के देशी सुअर जर्मप्लाज्म की भूमिका और पोषण सुरक्षा और उद्यमिता विकास के लिए भाकृअनुप-सीआईएआरआई, पोर्ट ब्लेयर के योगदान पर प्रकाश डाला।
बैठक में देश भर में फैले 21 सहयोगी केंद्रों के प्रधान अन्वेषक और भाकृअनुप-सीआईएआरआई, पोर्ट ब्लेयर एवं सूअर के लिए भाकृअनुप-एनआरसी, असम के वैज्ञानिकों ने भाग लिया।
(स्रोत: भाकृअनुप-राष्ट्रीय सुअर अनुसंधान केंद्र, असम और भाकृअनुप-सीआईएआरआई, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह)








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