भाकृअनुप-भारतीय चरागाह एवं चारा अनुसंधान संस्थान, झांसी ने आज यहां 61वां स्थापना दिवस मनाया।
मुख्य अतिथि, डॉ. ए.के. सिंह, कुलपति, रानी लक्ष्मी बाई केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालय, झांसी ने स्थापना दिवस व्याख्यान दिया। उन्होंने चारा और पशुधन प्रौद्योगिकियों और उनके विस्तार की आवश्यकता पर प्रकाश डाला। डॉ. सिंह ने कहा कि विकसित प्रौद्योगिकियों को किसानों या अन्य हितधारकों तक पहुंचना चाहिए और फीडबैक के आधार पर परिष्कृत किया जाना चाहिए। उन्होंने चारा और चरागाह विकास के विभिन्न पहलुओं के बारे में भी जानकारी दी।

विशिष्ट अतिथि, डॉ. ए. अरुणाचलम, निदेशक, भाकृअनुप-सीएएफआरआई, झांसी ने बुंदेलखंड के ग्रामीण लोगों के लिए बेहतर आजीविका विकल्पों के लिए प्रौद्योगिकियों को विकसित करने के लिए भाकृअनुप-सीएएफआरआई और भाकृअनुप-आईजीएफआरआई के बीच अधिक प्रभावी सहयोग की आवश्यकता पर बल दिया।
विशिष्ट अतिथि, डॉ. एन.पी. सिंह, कुलपति, बांदा कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, बांदा ने बुंदेलखंड में आजीविका के विकल्पों के विकास के लिए कृषि की भूमिका के बारे में संक्षेप में बताया और चारा एवं पशुधन प्रौद्योगिकियों की आवश्यकता पर प्रकाश डाला।
डॉ. एस.के. राव, कुलपति, राजमाता विजयाराजे सिंधिया कृषि विश्वविद्यालय, ग्वालियर और विशिष्ट अतिथि ने क्षेत्र के लिए चारा बीज उत्पादन आपूर्ति नेटवर्क की आवश्यकता पर प्रकाश डाला।
विशिष्ट अतिथि, डॉ. मुकेश पांडे, कुलपति, बुंदेलखंड विश्वविद्यालय, झांसी ने प्रकाशन और किस्मों के विकास के साथ-साथ आने वाले वर्षों में बेहतर उपलब्धियों की आशा के के साथ संस्थान की सराहना की।
विशिष्ट अतिथि, पदम श्री डॉ. बी.एस. ढिल्लों, पूर्व कुलपति, पीएयू, लुधियाना ने बेहतर रूप से दोहरे उद्देश्य, मल्टी कट किस्मों को विकसित करने के उद्देश्य से आईजीएफआरआई के साथ मक्का, बाजरा, ज्वार फसलों के संस्थानों के बीच समन्वय की आवश्यकता पर बल दिया।
डॉ. अमरेश चंद्र, निदेशक भाकृअनुप-आईजीएफआरआई ने पिछले वर्ष के दौरान संस्थान की प्रमुख उपलब्धियों को प्रस्तुत किया। उन्होंने उपजाऊ बाजरा संकर प्रौद्योगिकी के विकास, पांच उच्च उपज वाली चारा फसल किस्मों के विकास, सिंचित और बारानी परिस्थितियों में उच्च उत्पादन के लिए प्रौद्योगिकियों आदि पर प्रकाश डाला। उन्होंने विभिन्न आउटरीच कार्यक्रमों, मानव संसाधन विकास गतिविधियों और बुनियादी ढांचे में इस अवधि के दौरान संस्थान द्वारा की गई महत्वपूर्ण उपलब्धियों के बारे में भी जानकारी दी।
इससे पहले, डॉ. ए.के. राय, परियोजना समन्वयक ने स्वागत संबोधन दिया।
इस अवसर पर, विभिन्न हितधारकों के लाभ के लिए प्रौद्योगिकी प्रदर्शनी का आयोजन किया गया। कई सार्वजनिक और निजी क्षेत्र के संस्थानों, एफपीओ, बीज कंपनियों आदि ने प्रदर्शनी में भाग लिया और अपनी गतिविधियों, सफलता तथा उत्पादों का प्रदर्शन किया।
गणमान्य व्यक्तियों द्वारा तकनीकी बुलेटिन और स्थानीय भाषा तथा हिंदी में पुस्तिका सहित कई अन्य प्रकाशन जारी किए गए।








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