28 अगस्त, 2022, जोधपुर
केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री, श्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने आज भाकृअनुप-केन्द्रीय शुष्क क्षेत्र अनुसंधान संस्थान, जोधपुर में सभागार, इंडोर स्पोर्ट्स हॉल, सीवेज वाटर ट्रीटमेंट प्लांट और कृषि-व्यवसाय इनक्यूबेशन (एबीआई) केंद्र का उद्घाटन किया।

इस अवसर पर केन्द्रीय जल शक्ति मंत्री, श्री गजेन्द्र सिंह शेखावत; केन्द्रीय कृषि और किसान कल्याण राज्य मंत्री, श्री कैलाश चौधरी; सचिव डेयर और महानिदेशक, भाकृअनुप, डॉ. हिमांशु पाठक और उप महानिदेशक (एनआरएम), भाकृअनुप, डॉ. एस.के. चौधरी उपस्थित थे।

श्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने भाकृअनुप-काजरी की सराहना करते हुए कहा कि यह पिछले छह दशकों से अधिक समय से विभिन्न कृषि-पारिस्थितिकी तकनीकों के हस्तक्षेप के माध्यम से थार रेगिस्तान को हरा-भरा बनाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। उन्होंने उल्लेख किया कि जल संरक्षण प्रौद्योगिकियों और कम लागत वाली संरक्षित खेती के विकास में काजरी का काम, इजरायल की तुलना में, बहुत अधिक प्रभावी रहा है, जिसे अक्सर उद्धृत किया जाता रहा है।

श्री गजेन्द्र सिंह शेखावत ने खेती के पारंपरिक तरीकों और उन्हें नए ज्ञान के साथ समाहित करने की आवश्यकता पर प्रकाश डाला ताकि भविष्य में चुनौती का सामना किया जा सके। उन्होंने बदलती जरूरतों और चुनौतियों को देखते हुए नियमित आधार पर अपनी सुविधाओं और अनुसंधान-क्षमताओं के आधुनिकीकरण में संस्थान के प्रयासों की सराहना की।

मरुस्थलीय कृषि को बदलने में काजरी के योगदान को पूरी तरह से स्वीकार करते हुए, श्री कैलाश चौधरी ने कम पानी की आवश्यकता वाली नई फसलों को बढ़ावा देने और बेहतर बीज और गुणवत्ता रोपण सामग्री की आपूर्ति की क्षमता बढ़ाने का आह्वान किया।
डॉ. हिमांशु पाठक ने पर्यावरण और जलवायु पर किसी भी नकारात्मक प्रभाव के बिना अनुसंधान प्रयासों के माध्यम से शुष्क क्षेत्रों के भोजन और चारे की आवश्यकता को पूरा करने के लिए इन क्षेत्रों में उन्नत खेती के महत्व को बताया।
डॉ. एस.के. चौधरी ने जलवायु अनुकूल खेती और उत्पादकता बढ़ाने के लिए क्षेत्र में एकीकृत कृषि प्रणाली को बढ़ावा देने के लिए भाकृअनुप-काजरी द्वारा अपनाए गए दृष्टिकोण पर प्रकाश डाला।
डॉ. पाठक और डॉ. चौधरी दोनों ने प्रायोगिक एवं बीज उत्पादन क्षेत्र का भी दौरा किया।
इससे पहले, डॉ. ओ.पी. यादव, निदेशक, भाकृअनुप-काजरी ने काजरी की प्रमुख उपलब्धियों की एक प्रस्तुति दी और उन ऐतिहासिक प्रौद्योगिकियों पर प्रकाश डाला जिसने जमीनी स्तर पर सकारात्मक प्रभाव को सामने लाया है।
कार्यक्रम के दौरान क्षेत्र के सफल किसानों, जिसने संस्थान की तकनीक को अपनाया है, को विशिष्ट प्रतिनिधियों द्वारा सम्मानित किया गया।
इस अवसर पर क्षेत्र के अन्य भाकृअनुप अनुसंधान संस्थानों के निदेशक भी उपस्थित थे।
(स्रोत: भाकृअनुप-केंद्रीय शुष्क क्षेत्र अनुसंधान संस्थान, जोधपुर)








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