पतंजलि ने मानव स्वास्थ्य के लिए मादा ऊंट के दूध की उपयोगिता पर एनआरसीसी के प्रयासों का किया समर्थन

पतंजलि ने मानव स्वास्थ्य के लिए मादा ऊंट के दूध की उपयोगिता पर एनआरसीसी के प्रयासों का किया समर्थन

पतंजलि योगपीठ हरिद्वार के 95 संन्यासियों, आचार्यों और ब्रह्मचारियों की एक टीम ने भाकृअनुप-राष्ट्रीय ऊंट अनुसंधान केन्द्र का दौरा किया। उन्हें एनआरसीसी द्वारा की गई अनुसंधान गतिविधियों के बारे में जानकारी दी गई और ऊंट फार्म के दौरे के दौरान विभिन्न गतिविधियों से भी अवगत कराया गया। इसके अन्तर्गत, डेयरी प्रौद्योगिकी और प्रसंस्करण इकाई, आउटडोर पर्यटन विकास गतिविधियों और ऊंट की सवारी, सफारी, ऊंट सजावट, ऊंट नृत्य और ऊंट खेल के अलावा इनडोर और आउटडोर संग्रहालय जैसी सुविधाएं का भी जिक्र किया गया। एक अन्य अवसर पर जयपुर संभाग के सभी केन्द्रीय विद्यालयों के 312 स्काउट शिक्षकों की एक टीम को भी प्रमुख केन्द्र द्वारा ऊंट पालन और विकास पर किए गए जनादेश और विभिन्न गतिविधियों के बारे में शिक्षित किया गया।

यात्रा के दौरान उन्होंने, डॉ. अर्तबंधु साहू, निदेशक के साथ मधुमेह, तपेदिक और ऑटिज्म सम्बंधी विकारों जैसे विभिन्न मानव रोगों में मादा ऊंट के दूध की चिकित्सकीय उपयोगिता पर बातचीत की। मादा ऊंट के दूध के अद्वितीय न्यूट्रास्यूटिकल गुण और उसकी हाइपोएलर्जेनिक प्रकृति, प्रतिरक्षा में भूमिका तथा रोगियों को बीमारी से तेजी से ठीक होने में मदद करती है और इस प्रकार 'रेगिस्तान के जहाज' को 'स्टोर-हाउस ऑफ मेडिसिन' भी कहा जा सकता है। उन्हें ऊंट के दूध से विकसित विभिन्न स्वादिष्ट मूल्य वर्धित उत्पादों से भी अवगत कराया गया, जो अन्य भारतीय राज्यों में इसकी पहुंचने का मार्ग प्रशस्त कर सकते हैं और ऊंट प्रजनकों को राजस्व में वृद्धि कर सकते हैं। मानव स्वास्थ्य के लिए ऊंटनी के दूध के औषधीय महत्व को लोकप्रिय बनाने के लिए पतंजलि योगपीठ, हरिद्वार के प्रयासों की सराहना की गई। अन्य आजीविका गतिविधियों में ऊन, त्वचा, हड्डी आदि से संबंधित कुटीर उद्योग भी पर्यटकों के बीच उत्पादों की मांग के कारण कारीगरों को आकर्षित करते हैं।

पतंजलि की टीम के प्रतिनिधि, स्वामी (डॉ.) परमार्थ देव और विभिन्न राज्यों के प्रतिनिधियों ने मानव स्वास्थ्य के लिए दूध की उपलब्धता और स्वीकार्यता बढ़ाने के लिए ऊंटों की संख्या बढ़ाने के अपने विचार का समर्थन किया, जो बदले में ऊंट मालिकों और लोगों की आजीविका और समाज में पशु की उपयोगिता में सुधार तथा श्रृंखला को बनाए रखने में मदद करेगा।

स्रोत: भाकृअनुप-राष्ट्रीय ऊंट अनुसंधान केन्द्र

पोस्ट बैग नंबर 07, जोरबीर

बीकानेर: 334001

राजस्थान, भारत

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