16 सितंबर, 2022, नई दिल्ली
डॉ हिमांशु पाठक, सचिव (डेयर) एवं महानिदेशक (भाकृअनुप) और अध्यक्ष, एग्रीइनोवेट इंडिया लिमिटेड (एजीआईएन) ने आज "भाकृअनुप-इक्वाइन्स के लिए नेशनल रिसर्च सेंटर, हिसार और भाकृअनुप-भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान, इज्जतनगर द्वारा विकसित लम्पी-प्रोवेकइंड टेक्नोलॉजी जिसके हस्तांतरण कार्यक्रम के आयोजन के दौरान कहा "एग्रीनोवेट इंडिया द्वारा किया गया यह प्रयास सराहनीय है"। भाकृअनुप की वाणिज्यिक शाखा, एग्रीनोवेट ने बायोवेट प्राइवेट लिमिटेड को एक गैर-अनन्य लाइसेंस प्रदान किया।

डॉ. पाठक ने बायोवेट प्रा. लिमिटेड, भाकृअनुप-एनआरसी, भाकृअनुप-आईवीआरआई और एजीआईएन प्रौद्योगिकी के सफल हस्तांतरण के लिए धन्यवाद दिया। उन्होंने आगे विस्तार से बताया कि यह प्रौद्योगिकी निश्चित रूप से बाजार के मानक को पूरा करेगी और विनाशकारी लम्पी त्वचा रोग को नियंत्रित करने के लिए एक रक्षा तंत्र की तरह काम करेगी।
डॉ. भूपेंद्र नाथ त्रिपाठी, उप महानिदेशक (पशु विज्ञान) ने प्रौद्योगिकी की प्रासंगिकता पर प्रकाश डाला और कहा कि वैक्सीन को कंपनी द्वारा जल्द से जल्द निर्माण शुरू करनी चाहिए ताकि वैक्सीन बाजार में उपलब्ध हो जिससे सभी पशुपालक किसान इस रोग के आगे प्रसार होने से रोक सके।
डॉ. सुधा मैसूर, सीईओ, एग्रीनोवेट इंडिया लिमिटेड ने संकेत दिया कि यह प्रौद्योगिकी हस्तांतरण एजीआईएन के लिए एक प्रमुख गेम चेंजर है, इस हस्तांतरण के साथ एजीआईएन का सकल कारोबार 2018-19 से 17 करोड़ रु. हो जाएगा।

डॉ. यश पाल, निदेशक, भाकृअनुप-एनआरसीई ने कहा लम्पी-प्रोवेकइंड प्रौद्योगिकी के तकनीकी परिणामों और क्षेत्र के परिणाम उत्साहजनक हैं और डॉ. त्रिवेणी दत्त, निदेशक, भाकृअनुप-आईवीआरआई ने समय पर परिषद के समर्थन के लिए का आभार व्यक्त किया।
डॉ. श्रीनिवासुलु किलारी, कार्यकारी निदेशक, बायोवेट प्रा. लिमिटेड ने उल्लेख किया कि संगठन लम्पी-प्रोवेकइंड के लिए लाइसेंस प्राप्त करने से प्रसन्न हैं और प्रौद्योगिकी हस्तांतरण प्रक्रिया में एग्रीनोवेट के साथ उस अनुभव को असाधारण रूप से व्यक्त किया।
लम्पी-प्रोवेकइंड जानवरों के लिए सुरक्षित है तथा घातक एलएसडीबी (LSDV) के चुनौती के खिलाफ पूर्ण रूप से सुरक्षा प्रदान करने के अलावा, एलएसडीवी-विशिष्ट एंटीबॉडी और सेल-मध्यस्थता प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया को प्रेरित करता है। लम्पी-प्रोवेकइंड का उपयोग लम्पी त्वचा रोग के खिलाफ जानवरों के रोगनिरोधी टीकाकरण के लिए किया जाता है। सजातीय जीवित-क्षीण एलएसडी से प्रेरित टीकों द्वारा प्रतिरक्षा आमतौर पर कम से कम 1 वर्ष की अवधि के लिए बनी रहती है। टीके की एकल खुराक में जीवित क्षीणित एलएसडीवी (रांची स्ट्रेन) की 103.5 टीसीआईडी 50 होती है। वैक्सीन को 4°C पर स्टोर किया जाता है। वैक्सीन को बर्फ जैसे स्टोरेज में रखा जाना चाहिए और पुनर्संयोजन के कुछ घंटों के भीतर इसका इस्तेमाल किया जाना चाहिए। इस प्रौद्योगिकी के लिए पेटेंट दायर किया गया है।
(स्रोत: एग्रीइनोवेट इंडिया लिमिटेड)








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