17 अक्टूबर, 2022, नई दिल्ली
प्रधान मंत्री किसान समृद्धि केन्द्रों का उद्घाटन
प्रधानमंत्री भारतीय जन उर्वरक परियोजना - एक राष्ट्र एक उर्वरक की शुरुआत
भारत यूरिया बैग लॉन्च किया
16,000 करोड़ रुपये के पीएम-किसान फंड जारी किए
3.5 लाख उर्वरक खुदरा दुकानों को चरणबद्ध तरीके से प्रधान मंत्री किसान समृद्धि केन्द्रों में परिवर्तित किया जाएगा; जिससे किसानों की विभिन्न प्रकार की जरूरतों को पूरा करने में मदद करेगा
"प्रौद्योगिकी आधारित आधुनिक कृषि तकनीकों को अपनाना समय की मांग है"
"पिछले 7-8 वर्षों में 70 लाख हेक्टेयर से अधिक भूमि सूक्ष्म सिंचाई के तहत लाई गई है"
1.75 करोड़ से अधिक किसानों तथा 2.5 लाख व्यापारियों को ई-नाम से जोड़ा गया है। ई-नाम के माध्यम से लेनदेन 2 लाख करोड़ रुपये से अधिक हो गया है”
"कृषि क्षेत्र में अधिक से अधिक स्टार्टअप इस क्षेत्र एवं ग्रामीण अर्थव्यवस्था के लिए शुभ संकेत हैं"
प्रधानमंत्री, श्री नरेंद्र मोदी ने आज नई दिल्ली में भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान में पीएम किसान सम्मान सम्मेलन 2022 का उद्घाटन किया। प्रधान मंत्री ने रसायन और उर्वरक मंत्रालय के तहत 600 प्रधान मंत्री किसान समृद्धि केन्द्रों (पीएमकेएसके) का भी उद्घाटन किया। इसके अलावा, प्रधान मंत्री ने प्रधानमंत्री भारतीय जन उर्वरक परियोजना - एक राष्ट्र एक उर्वरक भी लॉन्च किया। प्रधानमंत्री ने कार्यक्रम के दौरान प्रधान मंत्री किसान सम्मान निधि (पीएम-किसान) के तहत प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण के माध्यम से 16,000 करोड़ की 12वीं किस्त की राशि भी जारी की। कृषि स्टार्टअप कॉन्क्लेव और प्रदर्शनी का भी उद्घाटन किया। कार्यक्रम के दौरान, प्रधान मंत्री ने उर्वरक पर एक ई-पत्रिका 'इंडियन एज' का भी शुभारंभ किया। श्री मोदी ने स्टार्टअप प्रदर्शनी के थीम पवेलियन का भ्रमण किया और प्रदर्शित उत्पादों का निरीक्षण भी किया।

सभा को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने एक परिसर में जय जवान, जय किसान, जय विज्ञान और जय अनुसंधान की उपस्थिति को स्वीकार करते हुए शुरुआत की और कहा कि हम आज यहां इस मंत्र का जीवंत रूप देख सकते हैं। उन्होंने आगे विस्तार से बताया कि किसान सम्मेलन किसानों के जीवन को आसान बनाने, उनकी क्षमता को बढ़ाने और उन्नत कृषि तकनीकों को बढ़ावा देने का एक साधन है।
श्री मोदी ने कहा, "आज 600 से अधिक प्रधान मंत्री समृद्धि केंद्र का उद्घाटन किया गया है।" उन्होंने आगे विस्तार से बताया कि ये केन्द्र न केवल उर्वरक के लिए बिक्री केन्द्र हैं बल्कि देश के किसानों के साथ एक गहरा बंधन स्थापित करने का एक तंत्र हैं। प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि (पीएम-किसान) की नई किस्त के संबम्ध में प्रधानमंत्री ने कहा कि बिना किसी बिचौलिए को शामिल किए पैसा सीधे किसानों के खातों में पहुंचता है। श्री मोदी ने कहा “पीएम किसान सम्मान निधि के रूप में करोड़ों किसान परिवारों को 16,000 करोड़ रुपये की एक और किस्त भी जारी की गई है” और खुशी व्यक्त की कि यह किस्त दिवाली से ठीक पहले किसानों तक पहुंच रही है। प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि आज प्रधानमंत्री भारतीय जन उर्वरक परियोजना - एक राष्ट्र एक उर्वरक भी शुरू किया गया है जो कि किसानों को भारत ब्रांड का वहनीय गुणवत्तायुक्त उर्वरक सुनिश्चित करने की एक योजना है।

2014 से पहले के उस समय को याद करते हुए जब किसानों को संकटग्रस्त कृषि क्षेत्र और यूरिया की कालाबाजारी से जूझना पड़ा था, प्रधानमंत्री ने कहा कि किसानों को उनका हक जताने के लिए डंडों का खामियाजा भुगतना पड़ा। प्रधानमंत्री ने कहा कि सरकार ने यूरिया पर 100% नीम का लेप लगाकर उसकी कालाबाजारी को रोका है। उन्होंने कहा, "हमने देश की 6 सबसे बड़ी यूरिया फैक्ट्रियों को फिर से शुरू करने के लिए कड़ी मेहनत की, जो सालों से बंद थीं।"
मेहनती किसानों को अत्यधिक लाभान्वित करने वाले कदमों पर प्रकाश डालते हुए, प्रधान मंत्री ने टिप्पणी की कि भारत तेजी से तरल नैनो यूरिया उत्पादन में आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ रहा है। श्री मोदी ने कहा, "नैनो यूरिया कम लागत में अधिक उत्पादन का माध्यम है।" इसके फायदे बताते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि यूरिया से भरी एक बोरी को अब नैनो यूरिया की एक बोतल से बदला जा सकता है। उन्होंने आगे कहा कि यूरिया की परिवहन लागत में काफी कमी आएगी।

प्रधानमंत्री ने भारत के उर्वरक सुधार की पहल में दो नए उपायों का जिक्र किया। सबसे पहले देश भर में 3.25 लाख से अधिक उर्वरक दुकानों को प्रधानमंत्री किसान समृद्धि केंद्रों के रूप में विकसित करने के लिए आज एक अभियान शुरू किया जा रहा है। ये ऐसे केंद्र होंगे जहां किसान न केवल उर्वरक और बीज खरीद सकते हैं बल्कि मिट्टी परीक्षण भी लागू कर सकते हैं और कृषि तकनीकों के बारे में उपयोगी जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। दूसरे, वन नेशन, वन फर्टिलाइजर से किसान को खाद की गुणवत्ता और उसकी उपलब्धता को लेकर हर तरह के भ्रम से मुक्ति मिलने वाली है। श्री मोदी ने कहा “अब देश में बिकने वाली यूरिया एक ही नाम, एक ही ब्रांड और एक ही गुणवत्ता का होगा और यह ब्रांड भारत है! अब यूरिया पूरे देश में केवल 'भारत' ब्रांड नाम के तहत उपलब्ध होगा"। उन्होंने आगे कहा कि इससे उर्वरकों की लागत कम होगी और उनकी उपलब्धता बढ़ेगी।
प्रधानमंत्री ने प्रौद्योगिकी आधारित आधुनिक कृषि तकनीकों को अपनाने की समय की आवश्यकता पर बल देते हुए कहा कि हमें कृषि में नए प्रतिमान बनाने होंगे साथ ही खुले दिमाग से अधिक वैज्ञानिक तथा तकनीकी तरीकों को अपनाना होगा। इसी सोच के साथ हमने कृषि में वैज्ञानिक तरीकों को बढ़ावा देने और प्रौद्योगिकी के अधिकतम उपयोग पर जोर दिया है। प्रधानमंत्री ने बताया कि अब तक 22 करोड़ मृदा स्वास्थ्य कार्ड वितरित किए जा चुके हैं तथा सर्वोत्तम गुणवत्ता वाले बीज उपलब्ध कराने के लिए वैज्ञानिक प्रयास जारी हैं। उन्होंने कहा, "पिछले 7-8 वर्षों के दौरान किसानों को बदली हुई जलवायु परिस्थितियों के अनुकूल लगभग 1700 नई किस्मों के बीज उपलब्ध कराए गए हैं।"
प्रधान मंत्री ने वैश्विक स्तर पर बाजरा के बारे में बढ़ती जिज्ञासा पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने कहा, "आज हमारे यहां पारंपरिक मोटे अनाज - बाजरा के बीजों की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए देश में कई हब बनाए जा रहे हैं।" प्रधानमंत्री ने पूरे विश्व में भारत के मोटे अनाज को प्रोत्साहित करने के सरकार के प्रयासों पर प्रकाश डालते हुए बताया कि अगले वर्ष (2023) को मोटे अनाज का “अंतर्राष्ट्रीय वर्ष” घोषित किया गया है।
प्रधान मंत्री ने सिंचाई के लिए अविवेकपूर्ण मात्रा में पानी का उपयोग करने के प्रति आगाह किया तथा प्रति बूंद अधिक फसल, सूक्ष्म सिंचाई और ड्रिप सिंचाई की दिशा में सरकार के प्रयासों को दोहराया। उन्होंने बताया कि पिछले 7-8 वर्षों में 70 लाख हेक्टेयर से अधिक भूमि को सूक्ष्म सिंचाई के तहत आच्छादित किया गया है।

प्राकृतिक खेती को प्रोत्साहित करने की आवश्यकता पर बल देते हुए प्रधानमंत्री ने बताया कि यह भविष्य की चुनौतियों को हल करने के लिए एक महत्वपूर्ण माध्यम प्रदान करता है। प्रधानमंत्री ने कहा कि आज हम पूरे देश में काफी जागरूकता का अनुभव कर रहे हैं। प्राकृतिक खेती के लिए किसान गुजरात, हिमाचल प्रदेश और आंध्र प्रदेश के साथ-साथ यूपी, उत्तराखंड में बड़े पैमाने पर काम कर रहे हैं। गुजरात में इसके लिए जिला और ग्राम पंचायत स्तर पर भी योजना बनाई जा रही है।
पीएम-किसान की परिवर्तनकारी पहल पर प्रकाश डालते हुए, प्रधान मंत्री ने टिप्पणी की कि पीएम किसान सम्मान निधि इस बात का उदाहरण है कि आधुनिक तकनीक के उपयोग से छोटे किसान भी, कैसे, लाभान्वित होते हैं। “इस योजना के शुरू होने के बाद से, 2 लाख करोड़ रुपये से अधिक सीधे किसानों के बैंक खातों में स्थानांतरित किए गए हैं। उन्होंने कहा कि छोटे किसानों के लिए, जो देश के 85 प्रतिशत से अधिक किसान हैं, यह एक बहुत बड़ा समर्थन है”।
"कदम जो आज हमारे किसानों के लिए 'ईज ऑफ लिविंग' सुनिश्चित करते हैं", साथ ही प्रधान मंत्री ने आगे कहा कि "बेहतर और आधुनिक तकनीक का उपयोग करके, हम खेत तथा बाजार के बीच की दूरी को भी कम कर रहे हैं।" इसका सबसे बड़ा लाभ छोटे किसानों को है, जो फल, सब्जियां, दूध तथा मछली जैसे खराब होने वाले उत्पादों से जुड़े हैं। इसमें किसान रेल और कृषि उड़ान हवाई सेवा काफी मदद कर रही है। ये आधुनिक सुविधाएं आज किसानों के खेतों को देश भर के प्रमुख शहरों और विदेशों के बाजारों से जोड़ रही हैं। उन्होंने बताया कि भारत कृषि निर्यात के मामले में शीर्ष 10 देशों में शामिल है। विश्वव्यापी महामारी की समस्याओं के बावजूद कृषि निर्यात में 18 प्रतिशत की वृद्धि हुई। प्रधानमंत्री ने विभिन्न क्षेत्र में निर्यात का उल्लेख करते हुए कहा कि इन पहलों को एक जिला एक उत्पाद योजना के तहत समर्थन दिया जा रहा है और जिला स्तर पर निर्यात हब स्थापित किए जा रहे हैं। इसी तरह प्रोसेस्ड फूड से किसानों को ज्यादा आमदनी हो रही है। बड़े फूड पार्कों की संख्या 2 से बढ़कर 23 हो गई। साथ ही एफपीओ और एसएचजी को इन पार्कों से जोड़ा जा रहा है। ई-नाम (e-NAM) ने किसानों के जीवन पर सकारात्मक प्रभाव डाला है। ई-नाम प्रौद्योगिकी के उपयोग से किसानों द्वरा देश के किसी भी बाजार में अपनी उपज बेचने में सक्षम बनाता है। उन्होंने बताया 1.75 करोड़ से अधिक किसानों और 2.5 लाख व्यापारियों को ई-नाम से जोड़ा गया है तथा ई-नाम के माध्यम से लेनदेन 2 लाख करोड़ रुपये से भी अधिक हो गया है।
देश में कृषि क्षेत्र में स्टार्टअप की बढ़ती संख्या पर प्रकाश डालते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि यह इस क्षेत्र तथा ग्रामीण अर्थव्यवस्था के लिए शुभ संकेत है। श्री मोदी ने कहा “स्टार्टअप और अभिनव युवा भारतीय कृषि और भारत की ग्रामीण अर्थव्यवस्था का भविष्य हैं। लागत से लेकर परिवहन तक, हमारे स्टार्टअप के पास हर समस्या का समाधान है”।
प्रधान मंत्री ने आत्मनिर्भर भारत पर अपने अथक प्रयास के कारणों के बारे में बताते हुए, कहा कि खाद्य तेल, उर्वरक और कच्चे तेल जैसे प्रमुख उत्पाद भारी वित्तीय व्यय और वैश्विक स्थितियों के लिए जिम्मेदार हैं, जो आपूर्ति को भी प्रभावित करते हैं। उन्होंने डीएपी और अन्य उर्वरकों का उदाहरण दिया, जिनकी कीमतों में अत्यधिक वृद्धि हुई और भारत को 75-80 रुपये प्रति किलो की दर से यूरिया खरीदना पड़ा, हालांकि इसकी आपूर्ति किसानों को 5-6 रुपये प्रति किलो की दर से प्रदान की गई थी। श्री मोदी ने कहा कि सरकार इस साल भी किसानों को किफायती खाद सुनिश्चित करने के लिए 2.5 लाख करोड़ रुपये खर्च करेगी। उन्होंने कच्चे तेल और गैस के संबंध में विदेशी निर्भरता को कम करने के लिए जैव-ईंधन और इथेनॉल के संबंध में उपायों का उल्लेख किया।
अपने संबोधन का समापन करते हुए, प्रधान मंत्री ने भारत के किसानों से मिशन ऑयल पाम का अधिक से अधिक लाभ उठाने का आग्रह किया, जो खाद्य तेल के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता प्राप्त करने की दिशा में एक कदम है। उन्होंने आगे कहा कि तिलहन का उत्पादन बढ़ाकर भारत खाद्य तेलों की खपत को कम कर सकता है। श्री मोदी ने कहा "हमारे किसान इस क्षेत्र में सक्षम और जागरूक भी हैं"। दलहन उत्पादन के संबंध में 2015 में अपने आह्वान को याद करते हुए, प्रधान मंत्री ने दलहन उत्पादन में 70% की वृद्धि प्रप्त करने पर प्रसन्नता व्यक्त की और किसानों को धन्यवाद दिया। प्रधानमंत्री ने कहा "आजादी के अमृत महोत्सव में हम कृषि को आकर्षक और समृद्ध बनाएंगे", तथा सभी किसानों और स्टार्टअप को शुभकामनाएं देते हुए अपना संबोधन समाप्त किया।
केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री, श्री नरेन्द्र सिंह तोमर; केन्द्रीय रसायन एवं उर्वरक मंत्री, श्री मनसुख मंडाविया; केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री, सुश्री शोभा करंदलाजे और श्री कैलाश चौधरी तथा केन्द्रीय रसायन और उर्वरक राज्य मंत्री, श्री भगवंत खुबा अन्य लोगों के साथ इस अवसर पर उपस्थित थे।
बैकग्राउंड
यह आयोजन देश भर के 13,500 से अधिक किसानों और लगभग 1500 कृषि स्टार्टअप को एक साथ लाता है। इस कार्यक्रम में विभिन्न संस्थानों के 1 करोड़ से अधिक किसानों के आभासी रूप से भाग लेने की उम्मीद है। सम्मेलन में शोधकर्ताओं, नीति निर्माताओं और अन्य हितधारकों की भागीदारी भी देखी जाएगी।
प्रधान मंत्री ने रसायन और उर्वरक मंत्रालय के तहत 600 प्रधान मंत्री किसान समृद्धि केंद्रों (पीएमकेएसके) का उद्घाटन किया। इस योजना के तहत देश में खुदरा खाद की दुकानों को चरणबद्ध तरीके से पीएमकेएसके में बदला जाएगा। पीएमकेएसके किसानों की विभिन्न प्रकार की जरूरतों को पूरा करेगा और कृषि इनपुट (उर्वरक, बीज, उपकरण), मिट्टी, बीज और उर्वरक के लिए परीक्षण सुविधाएं प्रदान करेगा; साथ ही किसानों के बीच जागरूकता पैदा करना; विभिन्न सरकारी योजनाओं के बारे में जानकारी प्रदान करना और ब्लॉक/जिला स्तर के आउटलेट पर खुदरा विक्रेताओं की नियमित क्षमता निर्माण सुनिश्चित करना है। इस प्रकार 3.3 लाख से अधिक खुदरा उर्वरक दुकानों को पीएमकेएसके में बदलने की योजना है।
प्रधान मंत्री ने प्रधान मंत्री भारतीय जन उर्वरक परियोजना - एक राष्ट्र एक उर्वरक भी लॉन्च किया। इस योजना के तहत, प्रधान मंत्री भारत यूरिया बैग लॉन्च करेंगे, जो कंपनियों को एकल ब्रांड नाम 'भारत' के तहत उर्वरकों के विपणन में मदद करेगा।
कार्यक्रम के दौरान किसानों के कल्याण के प्रति प्रधानमंत्री की निरंतर प्रतिबद्धता को प्रदर्शित करते हुए प्रधानमंत्री ने 12वीं किश्त की राशि भी जारी की। प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण के माध्यम से प्रधान मंत्री किसान सम्मान निधि (पीएम-किसान) के तहत पात्र किसान परिवारों को 16,000 करोड़ रुपये रुपये का लाभ प्रदान किया गया। अब तक पात्र किसान परिवारों को 6000 रुपये प्रति वर्ष तीन समान किस्तों में, 2000 रुपये प्रत्येक, से अधिक का लाभ मिल चुका है। पीए-किसान योजना के तहत अब तक 2 लाख करोड़ रुपये किसानों के खातों में हस्तांतरित किये जा चुके हैं।
प्रधान मंत्री ने आगे कृषि स्टार्टअप कॉन्क्लेव और प्रदर्शनी का उद्घाटन किया। लगभग 300 स्टार्टअप प्रिसिजन फार्मिंग, पोस्ट-हार्वेस्ट एंड वैल्यू एड सॉल्यूशंस, एलाइड एग्रीकल्चर, वेस्ट टू वेल्थ, छोटे किसानों के लिए मशीनीकरण, सप्लाई चेन मैनेजमेंट और एग्री-लॉजिस्टिक से संबंधित अपने इनोवेशन का प्रदर्शन करेंगे। यह मंच स्टार्टअप्स को किसानों, एफपीओ, कृषि-विशेषज्ञों, कॉरपोरेट्स आदि के साथ बातचीत करने की सुविधा प्रदान करेगा। स्टार्टअप भी अपने अनुभव साझा करेंगे और तकनीकी सत्रों में अन्य हितधारकों के साथ बातचीत करेंगे।
कार्यक्रम के दौरान, प्रधान मंत्री ने उर्वरक पर एक ई-पत्रिका 'इंडियन एज' का भी शुभारंभ किया। यह घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय उर्वरक परिदृश्यों के बारे में जानकारी प्रदान करेगा, जिसमें हालिया विकास, मूल्य रुझान विश्लेषण, उपलब्धता और खपत तथा किसानों की सफलता की कहानियां शामिल हैं।
(स्रोत: पीआईबी रिलीज आईडी: 1868463)








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