30 सितम्बर, 2022, कोच्चि
भाकृअनुप-केन्द्रीय अंतर्देशीय मत्स्य अनुसंधान संस्थान, कोच्चि केन्द्र ने अनुसूचित जाति के लाभार्थियों (एनआईसीआरए एससीएसपी कार्यक्रम के तहत) के एक समूह की मदद से ओचनथुरुथु, वाइपिन में एक मछली संचयन कार्यक्रम आयोजित किया, जिसमें 25 मछुआरों ने कार्यक्रम में भाग लिया। कार्यक्रम डॉ. बी.के. दास, निदेशक, भाकृअनुप-सीआईएफआरआई के मार्गदर्शन में कार्यान्वित किया गया था और डॉ. यू.के. सरकार, पी.आई निक्रा परियोजना द्वारा समन्वयित किया गया था। कार्यक्रम का उद्देश्य जलवायु लचीला प्रौद्योगिकी की अनुकूलन क्षमता में सुधार करना और मछली उत्पादन को बढ़ावा देना था।

जलवायु अनुकूल मछली प्रजातियों के लगभग 6,000 बीज अर्थात, एट्रोप्लस सुरटेंसिस और लिजा का 9 सितंबर 2021 को जलवायु अनुकूल संस्कृति आधारित मत्स्य पालन (सीआरसीबीएफ) के लिए तालाब में स्टॉक और पालन किया गया था। ई. सुरटेन्सिस और लिजा का उपयोग खासकर कर बहु प्रजाति स्टॉकिंग सिस्टम पारिस्थितिकी तंत्र के लिए स्थान का पूर्ण उपयोग सुनिश्चित किया है। सीआरसीबीएफ तकनीक से लगभग 60 किलोग्राम जलवायु अनुकूल प्रजातियों तथा 22 किलोग्राम छोटी मछलियों की किस्मों का मूल्य 37,000 रु. आंका गया, जिनमें से एट्रोप्लस एसपी, अकेले 30,000 रु. की राशि अर्जित की। इस सीआरसीबीएफ (CRCBF) तकनीक के माध्यम से मछुआरों ने 6,870 रु. का लाभ कमाया जो वार्षिक रिटर्न का लगभग 23% है।

सीआरसीबीएफ कार्यक्रम का लाभ-लागत अनुपात (1.2), स्पष्ट रूप से इंगित करता है कि जलवायु परिवर्तन परिदृश्य में आर्द्रभूमि के साथ व्यापक खेती आधारित सीआरसीबीएफ को अपनाया जा सकता है। यह उत्पादन संस्कृति आधारित रिटर्न सुनिश्चित करता है। इसके अलावा मत्स्य पालक एक्वा फार्मिंग को आसानी से साल भर की आय के लिए व्यावहारिक, कम लागत वाली रणनीति को अपना सकता है।
(स्रोत: भाकृअनुप-केन्द्रीय अंतर्देशीय मात्स्यिकी अनुसंधान संस्थान, कोच्चि)








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