30 सितम्बर, 2022, गोवा
भाकृअनुप-सीसीएआरआई भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली द्वारा वित्त पोषित आदिवासी कल्याण परियोजनाओं को संचालित करता है ताकि, तटीय किसानों और मछुआरों की आजीविका की स्थिति में सुधार हो सके। संस्थान वर्तमान में दिवार द्वीप में मछली पर जैव विविधता अनुसंधान कर रहा है और द्वीप क्षेत्र से मछली और शंख प्रजातियों के दस्तावेजीकरण की प्रक्रिया को आगे बढ़ा रहा है।


इस अवसर पर, डॉ. ए. रायजादा, निदेशक (प्रभारी), भाकृअनुप-सीसीएआरआई ने द्वीप के मत्स्य पालन के दस्तावेजीकरण, संरक्षण और प्रबंधन के लिए संस्थान को समर्थन देने में मछुआरों के प्रयासों की सराहना की। उन्होंने मछुआरों को आगे आने और टिकाऊ और पर्यावरण अनुकूल मछली पकड़ने की प्रणाली जैसे जाल को बढ़ावा देने पर जोर दिया।
डॉ. शिरीष नारनवारे, वरिष्ठ वैज्ञानिक (पशु चिकित्सा रोग विज्ञान) और अनुभाग प्रभारी, पशु और मत्स्य विज्ञान ने द्वीप में अनुसंधान एवं विस्तार गतिविधियों के लिए संस्थान से पूर्ण सहयोग की अपेक्षा जाहिर की।
द्वीप के मछुआरों/महिलाओं की सहायता के लिए 30 सितंबर, 2022 को दिवार द्वीप में एक कार्यक्रम आयोजित किया गया था जिसमें, आदिवासी मछुआरों/महिलाओं को भाकृअनुप-अनुसूचित जनजाति घटक (भाकृअनुप-एसटीसी), को 20 मुहाना मछली जाल और मत्स्य संसाधनों के पोस्टर वितरित किए गए।
लगभग 50-60 पारंपरिक मछुआरे/महिलाएं वर्तमान में द्वीप में सक्रिय हैं, जो मछली पकड़ने के गियर का संचालन करते हैं, आजीविका के अवसर के रूप में क्लैम, सीप और मसल्स इकट्ठा करते हैं। हाल के दिनों में, प्राकृतिक आपदाएं जैसे कि चक्रवात, तूफान का बढ़ना, ऊंची लहरें, मानवजनित गतिविधियां और सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि वर्तमान कोविड -19 महामारी ने द्वीप में मत्स्य पालन आजीविका को प्रभावित किया है।
भाकृअनुप-सीसीएआरआई के मात्स्यिकी वैज्ञानिक, डॉ. श्रीकांत जीबी, वरिष्ठ वैज्ञानिक (मत्स्य संसाधन प्रबंधन) तथा श्री. त्रिवेश मायेकर, वैज्ञानिक (मछली आनुवंशिकी और प्रजनन) ने मुहाने के प्रवाहित जल में जाल के संचालन का प्रदर्शन किया।
मछुआरों ने द्वीप से पकड़ी गई सामान्य मछली प्रजातियों के प्रकार को प्रदर्शित करने के लिए स्थानीय मछली पकड़ने के गियर भी संचालित किए। इसके अलावा गणमान्य व्यक्तियों ने लाभार्थियों को जाल वितरित किए। मछुआरों/महिलाओं ने भी मछली पकड़ने की स्थिति में सुधार के लिए संस्थान के प्रयासों की सराहना की।
मछुआरों की आय एवं आजीविका और प्राकृतिक तथा मानव जनित तनावों के परिणामस्वरूप मछली पकड़ने में महत्वपूर्ण मुद्दों पर प्रकाश डाला। उन्होंने संस्थान की अनुसंधान और विकास गतिविधियों में निरंतर भागीदारी का भी आश्वासन दिया।
(स्रोत: भाकृअनुप-केन्द्रीय तटीय कृषि अनुसंधान संस्थान, गोवा)








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