1 अक्टूबर, 2022, जोधपुर
डॉ. त्रिलोचन महापात्र, पूर्व सचिव (डेयर) एवं महानिदेशक (भाकृअनुप) ने इस अवसर पर भाकृअनुप-केन्द्रीय शुष्क क्षेत्र अनुसंधान संस्थान (काजरी), जोधपुर के 64वें स्थापना दिवस पर मुख्य अतिथि के रूप में शिरकत की।

इस अवसर पर, डॉ. महापात्र ने शुष्क क्षेत्रों के लिए अनुसंधान एवं विकास में पिछले 6 दशकों के दौरान काजरी द्वारा किए गए अभूतपूर्व कार्यों की सराहना की। उन्होंने वैज्ञानिकों से अपशिष्ट जल का उपयोग करके, विभिन्न उत्पादन प्रौद्योगिकियों को बढ़ाने, शुष्क क्षेत्रों की सूक्ष्मजीव विविधता का दोहन करने और थारपारकर दूध जैसे पौधों और पशुधन उत्पादों की ब्रांडिंग करने पर काम करने का आग्रह किया।
डॉ. एस. भास्कर, सहायक महानिदेशक (एएएफ और सीसी), भाकृअनुप, नई दिल्ली और डॉ. मंजीत सिंह, पूर्व निदेशक, भाकृअनुप-मशरूम अनुसंधान निदेशालय विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित थे।
डॉ. एस. भास्कर ने न केवल अनुसंधान के नए क्षेत्रों की खोज में बल्कि नए बुनियादी ढांचे के निर्माण में संस्थान द्वारा की गई नई पहल की सराहना की।
डॉ. ओ.पी. यादव, निदेशक ने संस्थान की अनुसंधान एवं विकास गतिविधियों तथा उपलब्धियों का विवरण प्रस्तुत किया। उन्होंने संस्थान के व्यक्तियों और टीमों द्वारा प्राप्त सम्मान और पुरस्कारों का विशेष रूप से उल्लेख किया। कार्यक्रम में भाकृअनुप संस्थानों के निदेशकों और परियोजना समन्वयकों ने भी भाग लिया।
डॉ. मंजीत सिंह, जिन्होंने संस्थान में 2 दशकों से अधिक समय तक काम किया, ने रेत के टीलों के स्थिरीकरण, प्राकृतिक संसाधनों के प्रबंधन और क्षेत्र के जैविक संसाधनों के सुधार में संस्थान के योगदान को याद किया।
इस अवसर पर संस्थान के कई स्टाफ सदस्यों को उनके महत्वपूर्ण योगदान के लिए पुरस्कार प्रदान किए गए।
(स्रोत: भाकृअनुप-केन्द्रीय शुष्क क्षेत्र अनुसंधान संस्थान, जोधपुर)








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