5 जनवरी 2023, कासरगोड
भाकृअनुप-केन्द्रीय रोपण फसल अनुसंधान संस्थान (सीपीसीआरआई), कासरगोड ने आज यहां अपना 107वां स्थापना दिवस मनाया।
डॉ. ए.के. सिंह, उप महानिदेशक (बागवानी विज्ञान), भाकृअनुप, नई दिल्ली ने स्थापना दिवस को वर्चुअली संबोधित करते हुए वैज्ञानिकों से इस क्षेत्र में हो रहे बदलावों को अपनाने का आग्रह किया। उन्होंने नारियल में, मुख्य रूप से, जीर्ण रोपण आबादी के आलोक में रोपण सामग्री के उत्पादन में वृद्धि तथा बड़े पैमाने पर इसके उत्पादन की आवश्यकता पर बल दिया, जिसके लिए टिशू कल्चर तकनीक का उपयोग किया जा सकता है। उन्होंने आह्वान किया कि किसानों के लिए यह महत्वपूर्ण है कि उनके दरवाजे पर नई तकनीकों तक पहुंच हो। डॉ. सिंह ने कहा कि निर्यात में विकास दर आशाजनक है और बेहतर वैश्विक पहुंच के लिए प्रयासों को और मजबूत किये जाने की जरूरत है।

डॉ. वी.बी. पटेल, सहायक महानिदेशक (फल एवं रोपण फसल) ने नारियल पानी की बढ़ती वैश्विक मांग पर प्रकाश डाला, जो दो अंकों की वार्षिक वृद्धि दर से बढ़ रहा है। उन्होंने जलवायु अनुकूल अनुसंधान से संबन्धित बाधाओं का जवाब देने के लिए, बारहमासी वृक्षारोपण आधारित फसल प्रणालियों पर निरंतर और दीर्घकालिक डेटा एकत्र करने के महत्व पर जोर दिया।

डॉ. निर्मल बाबू, पूर्व निदेशक, भाकृअनुप-आईआईएसआर, कोझिकोड द्वारा डॉ. के.वी. अहमद बवप्पा स्मृति व्याख्यान दिया गया। उन्होंने कई वर्षों के अनुसंधान डेटा के महत्व पर प्रकाश डाला, जो कि एक आधार है, इसी आधार को अनुसरण करके श्रीलंका और वियतनाम जैसे छोटे देश दुनिया के लिए कुशलतापूर्वक उत्पादन कर रहे हैं।
डॉ. के. मुरलीधरन निदेशक (कार्यवाहक) ने संस्थान के हालिया शोध निष्कर्षों पर प्रकाश डाला।
डॉ. दिनाकरा अडिगा, निदेशक, भाकृअनुप-डीसीआर, पुत्तूर ने कर्मचारियों को संस्थान पुरस्कार प्रदान किए।
डॉ. दिनेश, निदेशक, भाकृअनुप-आईआईएसआर, कोझिकोड और डॉ. एम.एन. शीला, निदेशक (कार्यवाहक), भाकृअनुप-सीटीसीआरआई, तिरुवनंतपुरम और डॉ. एम.वी. प्रसाद, निदेशक (कार्यवाहक) भाकृअनुप-आईआईओपीआर, पेडवेगी ने बधाई दी।
स्थापना दिवस कार्यक्रम के बाद एक व्यावसायिक उद्यमी "कल्पा - ग्रीन चैट" कार्यक्रम का आयोजन भी किया गया।
(स्रोत: भाकृअनुप-केन्द्रीय रोपण फसल अनुसंधान संस्थान, कासरगोड)








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