5 जनवरी, 2023
भाकृअनुप-राष्ट्रीय माध्यमिक कृषि संस्थान, रांची द्वारा आयोजित 'हार्वेस्टिंग, प्रोसेसिंग एंड वैल्यू एडिशन ऑफ नेचुरल रेजिन एंड गम' (एनआरजीएस का एनपी-एचपीवीए) के लिए अखिल भारतीय नेटवर्क परियोजना की 14वीं वार्षिक कार्यशाला का आज वर्चुअल उद्घाटन किया गया। कार्यशाला का उद्देश्य नेटवर्क परियोजना केन्द्रों की वार्षिक प्रगति की समीक्षा करना और वर्ष 2023-24 के तकनीकी कार्यक्रमों पर चर्चा करना था।

डॉ. एस.एन. झा, उप महानिदेशक (कृषि इंजीनियरिंग), उद्घाटन सत्र के अध्यक्ष ने इस परियोजना के तहत बायोडिग्रेडेबल फिल्म और खाद्य कोटिंग के विकास पर अच्छे काम की सराहना की। उन्होंने कहा कि इस परियोजना के तहत भविष्य में अनुसंधान कार्य भाकृअनुप-एनआईएसए के संशोधित शासनादेश के तहत किया जाना चाहिए तथा उन्होंने विभिन्न नेटवर्क केन्द्रों की उप-परियोजनाओं की समीक्षा करने का आग्रह किया।
डॉ. पी.एल. सिंह, सहायक महानिदेशक (फार्म इंजीनियरिंग), सह-अध्यक्ष ने आग्रह किया कि परियोजना की बेहतर दृश्यता के लिए अधिक प्रयास करने की आवश्यकता है। उन्होंने परियोजना के तहत विकसित प्रौद्योगिकियों को एक पत्रक/विवरणिका के रूप में संकलित करने तथा इसके महत्व पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि अनुसंधान परियोजनाओं के वित्तपोषण के लिए केन्द्र राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन (एसआरएलएम) और वन विभाग जैसी विभिन्न एजेंसियों से संपर्क कर सकते हैं।
डॉ. के. नरसिया, सहायक महानिदेशक (पीई) ने उच्च मूल्य वाले यौगिक के निष्कर्षण और प्राकृतिक रेजिन और गोंद से डेरिवेटिव बनाने पर अनुसंधान पर ध्यान केन्द्रित करने का आग्रह किया।
भाकृअनुप-निसा के निदेशक, डॉ. अभिजीत कार ने कहा कि सभी केन्द्रों को भविष्य में उपयोग के लिए अन्य स्रोतों से धन एकत्रित करने के संभावनाओं का पता लगाना चाहिए। उन्होंने निजी संस्था के साथ पार्टनरशिप मोड में काम करने का भी आग्रह किया।
डॉ. एन. प्रसाद, परियोजना समन्वयक ने 13वीं वार्षिक कार्यशाला की सिफारिशों पर समन्वयक की रिपोर्ट और एटीआर प्रस्तुत की। उन्होंने परियोजना के उद्देश्यों और कार्य प्रणालियों एवं तकनीकों, प्रक्रिया तथा उत्पादों, और प्रौद्योगिकियों तथा पेटेंट को विकसित करने या नेटवर्क परियोजना को पीआई द्वारा किसानों तथा हितधारकों को हस्तांतरित किये जाने का उल्लेख किया।
उद्घाटन सत्र के दौरान गणमान्य व्यक्तियों द्वारा नेटवर्क प्रोजेक्ट के तहत विभिन्न केन्द्रों द्वारा सात प्रकाशनों का विमोचन किया गया।








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