1 मार्च, 2023, करनाल
भाकृअनुप-केन्द्रीय मृदा लवणता अनुसंधान संस्थान (सीएसएसआरआई), करनाल ने आज अपने 55वें स्थापना दिवस के अवसर पर खरीफ किसान मेला का आयोजन किया।
किसान मेले का उद्घाटन भारतीय किसान संघ के राष्ट्रीय संगठन सचिव, श्री दिनेश कुलकर्णी ने किया। उन्होंने किसानों से आग्रह किया कि कृषि लाभ में वृद्धि के लिए वैज्ञानिकों के साथ निकट संपर्क में रहें और भूमि क्षरण को रोकने और पानी की बचत करते हुए फसल की पैदावार बढ़ाने के लिए स्थायी फसल सघन प्रथाओं को अपनाएं। उन्होंने संरक्षण कृषि (सीए) और प्राकृतिक खेती के गुणों के बारे में बात की। उन्होंने दोहराया कि सीए खेती एक आशाजनक दृष्टिकोण है जो किसानों के लिए बेहतर मिट्टी के स्वास्थ्य, कम श्रम और कम ईंधन लागत, बेहतर जैव विविधता आदि जैसे लाभों की एक श्रृंखला प्रदान करता है। उन्होंने कहा कि प्राकृतिक खेती सूखे के प्रभाव को कम करने में मदद कर सकती है। यह जल संसाधनों पर दबाव को कम करता है साथ ही लचीला और टिकाऊ खाद्य प्रणालियों को बढ़ावा देता है। उन्होंने कहा कि सरकार ने किसानों के अनुकूल तकनीक और उच्च उपज वाली किस्मों के विकास और विस्तार, प्रसंस्करण और मूल्य संवर्धन, कृषि बाजारों में सुधार और किसानों की आय को दोगुना करने के लिए बुनियादी ढांचे के विकास को तेजी से ट्रैक करने के लिए कई कार्यक्रम शुरू किए हैं।

डॉ. टी. महापात्रा, पूर्व सचिव (डेयर) एवं महानिदेशक (भाकृअनुप) तथा डॉ. एस.के. चौधरी, उप महानिदेशक (एनआरएम, भाकृअनुप) सम्मानित अतिथि के रूप में उपस्थित थे।
डॉ. महापात्र ने सीएसएसआरआई द्वारा नमक प्रभावित भूमि को पुनः प्राप्त करने के लिए किए गए प्रयासों और निदेशक के नेतृत्व में वैज्ञानिकों द्वारा दिखाए गए अथक प्रयासों की सराहना की। उन्होंने किसानों को स्थायी कृषि पद्धतियों को अपनाने की आवश्यकता पर भी बल दिया।
डॉ. चौधरी ने किसानों से अनुरोध किया कि वे संस्थान द्वारा विकसित भूमि सुधार प्रौद्योगिकियों और नमक सहिष्णु किस्मों का लाभ उठाने के लिए सीएसएसआरआई से जुड़े रहें।
डॉ. गुरबचन सिंह, पूर्व, एएसआरबी अध्यक्ष, और श्री आदित्य डबास, उप निदेशक, कृषि, हरियाणा भी उपस्थित थे और किसानों को फसल की उपज बढ़ाने में नमक-सहिष्णु किस्मों को अपनाने के महत्व पर संबोधित किया।
इससे पूर्व, डॉ. पी.सी. शर्मा, निदेशक, भाकृअनुप-सीएसएसआरआई, करनाल ने अपने स्वागत संबोधन में उन्हें मेले के उद्देश्यों के बारे में जानकारी दी। उन्होंने हरियाणा को बासमती चावल के निर्यात में अग्रणी राज्य बनाने में प्रौद्योगिकियों को पुनः प्राप्त करने और गेहूं, चावल, सरसों, चना, मसूर और विशेष रूप से बासमती सीएसआर 30 की नमक-सहिष्णु किस्मों को विकसित करने में सीएसएसआरआई की भूमिका पर प्रकाश डाला।
एमजीएमजी और अन्य क्षेत्रों के तहत गोद लिए गए गांवों के लगभग 1500 किसानों, स्कूली बच्चों और लगभग 300 महिला किसानों/ एसएचजी ने भी इस किसान मेले में भाग लिया।
मेले में लवणता प्रबंधन, फसल विविधीकरण, एकीकृत खेती, बागवानी फसलों, कृषि वानिकी तथा दूध उत्पादन के लिए उन्नत तकनीकों का प्रदर्शन किया गया।
एमजीएमजी के तहत गोद लिए गए गांवों के कुल 21 नवोन्मेषी किसानों और अन्य हितधारकों को भी इस अवसर पर सम्मानित किया गया।
किसान मेले के बाद संस्थान का 55वां स्थापना दिवस मनाया गया।
मुख्य अतिथि, डॉ. टी. महापात्रा ने विभिन्न सुधार तकनीकों के विकास, विभिन्न जलवायु पारिस्थितिक क्षेत्रों के लिए नई किस्मों और अन्य पहलों के लिए भाकृअनुप-सीएसएसआरआई की सराहना की।
विशिष्ट अतिथि, डॉ. एस.के. चौधरी ने विभिन्न दृष्टिकोणों के माध्यम से बदलते जलवायु मुद्दों और स्थायी लक्ष्यों को संबोधित करने में हाल के वर्षों में संस्थान की प्रगति की सराहना की और कर्मचारियों को समय की आवश्यकता को पूरा करने के लिए आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित किया।
(स्रोत: भाकृअनुप-केन्द्रीय मृदा लवणता अनुसंधान संस्थान, करनाल)








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