6 अक्टूबर, 2016, भोपाल
डॉ. त्रिलोचन महापात्र, सचिव, डेयर एवं महानिदेशक, भाकृअनुप द्वारा भाकृअनुप – भारतीय मृदा विज्ञान संस्थान, (आईआईएसएस) भोपाल में भारत – यूके नाइट्रोजन स्थिरीकरण केन्द्र (आईयूएनएफसी) का उद्घाटन किया गया। डॉ. महापात्र ने जैविक नाइट्रोजन स्थिरीकरण में उपयोगी व्यावहारिक प्रौद्योगिकी पर बल दिया। इसके साथ ही कहा कि इससे मिट्टी में उर्वरक नाइट्रोजन की अत्यधिक कमी के लिए जिम्मेदार पर्यावरण प्रदूषण के प्रबंधन में सहयोग प्राप्त होगा। महानिदेशक महोदय ने राइजोबिया व राइस इंडोफाइट्स के जैविक अभियांत्रिकी और जैविक नाइट्रोजन स्थिरीकरण में सुधार पर चुनौतीपूर्ण योजना के दीर्घकालीन लक्ष्य प्राप्ति के सुझाव दिये।
कार्यक्रम में डॉ. महापात्र ने 'नैनोटेक्नोलॉजी प्रयोगशाला' की आधारशिला रखी और आईसीएआर-आईआईएसएस, भोपाल में ओपन टॉप चेम्बर तथा खाद यूनिट का उद्घाटन किया।

प्रो. फिलिप एस. पूले, ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय, ब्रिटेन ने कृषि नाइट्रोजन में बीबीएसआरसी पहलों और यूनीसेफ के विकास के बारे में बताया और आशा व्यक्त की कि इस तरह के अनुसंधान समन्वय द्वारा वैज्ञानिक सहयोग में बढ़ोतरी होगी जिससे बीएनएफ और उत्पादकता को बेहतर तरीके से समझने में मदद मिलेगी।
प्रो. रे. डिक्सन, एफआरएस, जॉन इन्नेस सेंटर, नॉर्विच ने वर्तमान परिदृश्य में जैविक नाइट्रोजन स्थिरीकरण और नाइट्रोजन स्थिर अनाजों के विकास और नाइट्रोजन स्थिरीकरण पर अधिक निर्भर चावल तथा साथ ही रासायनिक उर्वरक नाइट्रोजन की आवश्यकता को कम करने जैसे चुनौतीपूर्ण क्षेत्र में प्रगति हासिल करने हेतु भविष्य की संभावनाओं पर चर्चा की।

डॉ. एस. के. चौधरी, सहायक, महानिदेशक (एसडब्ल्यूएम), भाकृअनुप ने मृदा स्वास्थ्य आकलन करने के महत्व पर बल दिया और हाल में किसानों के खेतों की मिट्टी के स्वास्थ्य जांच में भारत सरकार द्वारा उठाए गए कदमों के बारे में जानकारी दी।
डॉ. अशोक के. पात्र, निदेशक, आईसीएआर – आईआईएसएस, भोपाल ने अपने स्वागत भाषण में संस्थान की प्राथमिकताओं के बारे में बताया।
डॉ. डी.एल.एन. राव. नेटवर्क समन्वयक (जैव उर्वरक), परियोजना के प्रभारी व कंसोर्टियम लीडर ने कहा कि इस परियोजना द्वारा उच्च प्रतिस्पर्धा के लिए राइजोबिया उपभेदों के विकास संबंधित महत्वपूर्ण मुद्दों से निपटा जाएगा। इसके साथ ही योजना के तहत उच्च संभावनाओं वाले प्राकृतिक चयन और जैविक अभियांत्रिकी से अरहर में नाइट्रोजन के स्थिरीकरण और नाइट्रोजन स्थिर इंडोफाइट्स द्वारा चावल की क्षमता पर भी कार्य किया जाएगा।
कृषि नाइट्रोजन पर आभासी संयुक्त केन्द्र (वीजीसी) को जैवप्रौद्योगिकी विभाग, भारत और जैवप्रौद्योगिकी तथा न्यूटन – भाभा फंड के तहत बायोटेक्नोलॉजी एंड बायोसाइंस रिसर्च काउंसिल, यूके (डीबीटी –बीबीआरसी) द्वारा धन उपलब्ध कराया जाता है। नाइट्रोजन स्थिरीकरण पर 3 वीजीसी (यूनिवर्सिटी ऑफ ऑक्सफोर्ड, यूके; जॉन इन्नस सेन्टर, नोर्विच; जेम्स हटन संस्थान, ड्यून्डी) यूके में तथा 7 भारत में (आईआईएसएस, भोपाल; एम.एस. विश्वविद्यालय, बड़ोदा; एनबीएआईएम, मऊ; कलकत्ता विश्वविद्यालय, हैदराबाद विश्वविद्यालय; आईएआरआई, नई दिल्ली और टेरी, नई दिल्ली) स्थित हैं।
अरहर के लिए बेहतर राइजोबिया प्रभेद, स्थिरीकरण से नाइट्रोजन प्राप्त करने हेतु चावल की बढ़ी हुई क्षमता की बेहतर समझ और बीएनएफ को बढ़ावा देने और रासायनिक उर्वरकों से बचाव के लिए आने वाली पीढ़ी का मजबूती से क्षमता निर्माण जो योजना को सहयोग कर सकें आदि आशाएं इस योजना से हैं।
(स्रोतः भाकृअनुप – भारतीय मृदा विज्ञान संस्थान, भोपाल)








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