28 जनवरी, 2017, विजिनजाम
श्री सुदर्शन भगत, केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री द्वारा भाकृअनुप- केन्द्रीय समुद्री मात्स्यिकी अनुसंधान संस्थान, विजिनजाम में जवजीव पालन पद्धति पुनर्परिचालिन (एआरएस) सुविधा का शुभारंभ किया गया।


मंत्री महोदय ने इस अवसर पर अपने संबोधन में कहा कि मछली पालन से लोगों को जोड़ने के लिए किसान अनुकूल प्रौद्योगिकियों का विकास होना चाहिए। उन्होंने कहा कि मात्स्यिकी क्षेत्र में समुद्र में मछलियों की उपलब्धता में कमी जैसी समस्या से निपटने के लिए वैकल्पिक तरीकों के माध्यम से मछली उत्पादन में बढ़ोतरी के लिए प्रौद्योगिकी तथा सुविधाओं में सुधार के लिए कदम उठाए जाने चाहिए।
श्री भगत ने कहा कि समुद्री मत्स्य उत्पादन बढ़ाने के लिए मरीन कल्चर पद्धति को विशेष महत्व दिया जाना चाहिए। समुद्र में पिजरा मछली पालन एक बेहतर विकल्प है जिसके माध्यम से मात्स्यिकी क्षेत्र तथा मछली उत्पादन में बढ़ोतरी की जा सकती है।
समुद्री सजावटी मछली तथा ‘माबे’ मोती उत्पादन में आईसीएआर-सीएमएफआरआई के विजिनजाम अनुसंधान केन्द्र के प्रयासों की सराहना करते हुए मंत्री महोदय ने कहा कि सजावटी मछली तथा मोती सीप पालन को भी प्रशिक्षण के माध्यम से किसानों में प्रचारित करना चाहिए। इसके साथ ही उन्होंने हैचरी तथा मरीन एक्वेरियम का दौरा किया।
डॉ. ए. गोपालकृष्णन, निदेशक, आईसीएआर- सीएमएफआरआई के अनुसार, संस्थान में नई स्थापित सुविधा द्वारा देश में मरीन कल्चर की बढ़ोतरी में गति लाई जा सकती है। देश में नीली अर्थव्यवस्था में बढ़ोतरी के लिए सिल्वर पंम्पानो, कोबिया, ग्रूपर्स, लोबस्टर इत्यादि व्यावसायिक रूप से महत्वपूर्ण मछलियों का समुद्र में पिजरा पालन द्वारा सहयोग प्रदान किया जाएगा।
(स्रोतः भाकृअनुप- केन्द्रीय समुद्री मात्स्यिकी अनुसंधान संस्थान, कोचिन)








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