सोयाबीन पर अनुसंधान एवं विकास कार्यक्रमों के लिए भाकृअनुप-भारतीय सोयाबीन अनुसंधान संस्थान, इंदौर द्वारा पिछले कुछ वर्षों से लगातार नई किस्में विकसित की जा रही हैं। भाकृअनुप-आईआईएसआर द्वारा किए गए लगातार प्रयासों में, संस्थान ने सोयाबीन की तीन किस्में एनआरसी 157, एनआरसी 131 और एनआरसी 136 विकसित की हैं, जिन्हें मध्य प्रदेश सरकार द्वारा अनुमोदित किया गया है।



प्रधान वैज्ञानिक एवं ब्रीडर, डॉ संजय गुप्ता ने कहा कि एनआरसी 157 (आईएस 157) मध्यम अवधि की किस्म है जो सिर्फ 94 दिनों में पक जाती है। इसकी औसत उपज 16.5 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है तथा अल्टरनेरिया लीफ स्पॉट, बैक्टीरियल पस्ट्यूल और टारगेट लीफ स्पॉट जैसी बीमारियों के लिए भी मध्यम प्रतिरोधी है। संस्थान में फील्ड परीक्षणों ने एनआरसी 157 को न्यूनतम उपज हानियों के साथ विलंबित रोपण (20 जुलाई तक) के लिए उपयुक्त पाया है। अपने द्वारा विकसित एक अन्य किस्म, एनआरसी 131 (आईएस131) के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा कि यह 93 दिनों की मध्यम अवधि की किस्म है, जिसकी औसत उपज 15 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है। यह किस्म चारकोल रॉट और टार्गेट लीफ स्पॉट जैसी बीमारियों के लिए मध्यम प्रतिरोधी है।



इन दो किस्मों के साथ, एनआरसी 136 (आईएस 136) जो पहले से ही देश के पूर्वी क्षेत्र में खेती के लिए अधिसूचित है, को भी इस वर्ष मध्य प्रदेश में खेती के लिए जारी किया गया है। इस किस्म के ब्रीडर और संस्थान के प्रधान वैज्ञानिक, डॉ. ज्ञानेश कुमार सतपुते ने कहा कि यह किस्म 105 दिनों में पक जाती है और औसतन 17 क्विंटल प्रति हेक्टेयर की उपज देती है। एनआरसी 136 एमवायएमवी (मूंग बीन येलो मोजेक वायरस) के लिए मध्यम प्रतिरोधी है तथा भारत की पहली सूखा-सहनशील किस्म है।
(स्रोत: भाकृअनुप-भारतीय सोयाबीन अनुसंधान संस्थान, इंदौर)
Like on Facebook
Subscribe on Youtube
Follow on X X
Like on instagram