भाकृअनुप-वीपीकेएएस के संस्थापक प्रो. बोशी सेन के जन्मोत्सव और उनके वैज्ञानिक दृष्टि व विरासत को किया गया याद

भाकृअनुप-वीपीकेएएस के संस्थापक प्रो. बोशी सेन के जन्मोत्सव और उनके वैज्ञानिक दृष्टि व विरासत को किया गया याद

22 सितम्‍बर, 2025, अल्मोड़ा

भाकृअनुप-विवेकानन्द पर्वतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (वीपीकेएएस), अल्मोड़ा में आज संस्थान के संस्थापक पद्मभूषण प्रो. बोशी सेन का जन्मोत्सव बड़े उत्साह एवं गरिमामयी वातावरण में किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ, संस्थान के हवालबाग प्रक्षेत्र स्थित नवनिर्मित भवन के प्रवेशद्वार पर स्थित स्वामी विवेकानन्द, प्रो. बोशी सेन एवं गर्ट्यूड इमरसन सेन की प्रतिमाओं पर माल्यार्पण कर परिषद गीत के साथ किया गया।

 

इस अवसर पर, डॉ. लक्ष्‍मी कान्‍त, निदेशक, वीपीकेएएस ने संस्‍थापक प्रो. बोशी सेन एवं गर्ट्यूड इमरसन सेन को याद करते हुए उन्‍हें नमन किया और श्रद्धांजलि दी। डॉ. कान्त ने प्रो. सेन के महान व्यक्तित्व एवं उनके वैज्ञानिक कृतित्व पर प्रकाश डालते कहा कि वे केवल एक कृषि वैज्ञानिक ही नहीं, बल्कि एक दूरदर्शी चिन्तक, शोधकर्ता और मानवतावादी होने के साथ-साथ भारतीय विज्ञान जगत के एक बहुमुखी प्रतिभा संपन्न व्यक्तित्व थे। उन्होंने पौध शरीर क्रिया विज्ञान से अपना शोध आरम्भ कर कृषि विज्ञान और जीव-विज्ञान के क्षेत्र में अपने अद्वितीय कार्यों से अमिट छाप छोड़ी है।

निदेशक ने कहा कि अल्मोड़ा स्थित विवेकानन्द पर्वतीय कृषि अनुसंधान संस्थान की स्थापना में उनकी दृष्टि और सोच का महत्वपूर्ण योगदान रहा। विज्ञान को उन्होंने समाज सेवा का साधन माना और कृषि अनुसंधान को किसानोन्मुखी बनाने पर बल दिया। उनके प्रयासों ने न केवल भारतीय कृषि को वैज्ञानिक दृष्टिकोण दी बल्कि पर्वतीय कृषि अनुसंधान की नींव रखकर किसानों की आजीविका सुधारने का मार्ग भी प्रशस्त किया।

 

इस अवसर पर उन्होंने संस्थान के नवनिर्मित भवन में स्थित सभागार का नाम ‘प्रो. बोशी सेन सभागार’ एवं इसी भवन में स्थित समिति कक्ष का नाम ‘गर्ट्यूड इमरसन सेन समिति कक्ष’ रखने का निर्णय सर्वसम्मति से लिया।

डॉ. निर्मल कुमार हेडाउ, विभागाध्यक्ष, फसल सुधार ने प्रो. सेन ने को नमन करते हुए उनके महत्वपूर्ण योगदान के बारे में सभी को बताया।

डॉ. के.के. मिश्रा, विभागाध्यक्ष, फसल सुरक्षा ने प्रो. सेन के जन्‍मोत्‍सव पर सभी को बधाई देते हुए उनके जीवन के कुछ वृतान्तों को सभी के समक्ष रखा।

डॉ. बृज मोहन पाण्डेय, पूर्व विभागाध्यक्ष, फसल उत्‍पादन ने प्रो. सेन को एक संत बताते हुए कहा कि उनका व्यक्तित्व इतना महान है कि किसी पुरस्कार एवं लाभ का मोह किए बिना उन्होंने पर्वतीय कृषि को इन ऊंचाइयों तक पहुँचाया।

 

डॉ. कुशाग्रा जोशी, अनुभाग अध्यक्ष, सामाजिक विज्ञान ने कहा उन्होंने कहा कि प्रो. सेन एक ऐसे महान व्यक्तित्व थे जिन्होंने विज्ञान एवं नैतिक मूल्यों को एक साथ लेकर पर्वतीय कृषि की प्रगति में विशेष योगदान दिया है।

इस कार्यक्रम में संस्थान के सभी विभागाध्यक्ष, अनुभाग अध्यक्ष, वैज्ञानिक, अधिकारी, तकनीकी, प्रशासनिक, सहायक वर्ग के कार्मिकों के साथ-साथ संस्थान में प्रशिक्षण ले रहे विद्यार्थी बड़ी संख्या में प्रतिभागिता की।

(स्रोतः भाकृअनुप-विवेकानन्द पर्वतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, अल्मोड़ा)

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