केन्द्र की योजनाएं राज्य सरकार के माध्यम से किसानों की जिंदगी बदलने का काम करेगी- श्री शिवराज सिंह चौहान
दलहन मिशन में किसानों को केन्द्र देगा अच्छे बीज व बेस्ट प्रैक्टिस की ट्रेनिंग, दाल मिलें भी लगाएंगे- श्री चौहान
खेती को जहरीले रसायनों से मुक्त कर प्राकृतिक खेती को बढ़ाना होगा- केन्द्रीय कृषि मंत्री
किसानों के व्यापक लाभ के लिए फसलों का विविधीकरण जरूरी- श्री शिवराज सिंह चौहान
10 नवंबर 2025, भुवनेश्वर/नई दिल्ली
केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण और ग्रामीण विकास मंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान के ओडिशा प्रवास के दौरान उनकी अध्यक्षता में प्रधानमंत्री धन धान्य कृषि योजना, दलहन आत्मनिर्भरता मिशन और राष्ट्रीय प्राकृतिक खेती मिशन के प्रभावी क्रियान्वयन की रणनीति पर एक बैठक में विस्तृत चर्चा हुई। इस महत्वपूर्ण बैठक में ओडिशा के उप मुख्यमंत्री व कृषि मंत्री श्री कनक वर्धन सिंह देव तथा केंद्र व राज्य के वरिष्ठ अधिकारी शामिल हुए, वहीं केंद्रीय कृषि सचिव और भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के महानिदेशक वर्चुअल माध्यम से जुड़े।
बैठक में केन्द्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह ने कहा कि केन्द्र सरकार की योजनाएं भी राज्य सरकार के माध्यम से किसानों की जिंदगी बदलने का काम करेगी। हमेशा मन में तड़प रहती है किसानों की प्रगति हों, इसलिए यहीं सोच है कि कृषि मंत्री केवल दिल्ली में कृषि भवन में बैठकर काम करें तो किसानों का भला नहीं होगा, बल्कि खेतों में- किसानों के बीच जाकर उनकी बातें समझें, उन्हें समझाएं तो बात बनेगी, यहीं सोचकर मैं यहां आया हूं।
शिवराज सिंह ने कहा- वैज्ञानिक देंखे कि किसानों को अच्छी फसल किस्में मिलें। ओडिशा में अच्छे किसान हैं, जो बेहतर खेती कर रहे हैं, यहां जलवायु दलहन उत्पादन अनुकुल हैं, ओडिशा एक तरह से मिनी इंडिया है। केन्द्र की ओर से दलहन मिशन में अच्छे बीज उपलब्ध कराने के साथ बेस्ट प्रैक्टिस की ट्रेनिंग दी जाएगी, वहीं दाल मिलें लगाने के लिए भी हम 25-25 लाख रु. मदद देंगे। मिशन में किसानों से केन्द्र द्वारा उड़द, अरहर एवं मसूर पूरी खरीदी जाएगी।

केन्द्रीय मंत्री ने कहा- खेती को जहरीले रसायनों से मुक्त करना होगा, प्राकृतिक खेती को बढ़ाना होगा, ताकि इंसान भी स्वस्थ रहें और हमारी धरती मां भी। खाद-पेस्टीसाइड्स के अंधाधुंध प्रयोग से बहुत नुकसान हो रहा है।
उन्होंने कहा कि पीएम धन धान्य कृषि योजना कम उत्पादन वाले जिलों में कृषि उत्पादन बढ़ाने के लिए लाई गई हैं, इसका फायदा ओडिशा के किसानों को भी मिलेगा। उन्होंने किसानों से इंटीग्रेटेड फार्मिंग अपनाने का आव्हान किया, ताकि उनकी आय बढ़ सकें। श्री चौहान बोले- खेती के साथ पशुपालन, मछली पालन, मुर्गी पालन जैसे उपाय भी करना होंगे। हमारा इंटीग्रेटेड फार्मिंग पर फोकस है, उसका बेस्ट माडल अपनाएं।
श्री चौहान ने कहा कि प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि केंद्र सरकार दे रही हैं, जिसमें राज्य सरकार भी अपनी तरफ से राशि मिलाकर कुल 10 हजार रु. सभी पात्र किसानों को दे रही है, जो किसानों के बहुत काम आ रही है। शिवराज सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में हम बहनों को गरीब नहीं रहने देंगे। स्वयं सहायता समूहों के माध्यम से कई तरीके के काम करके बहनें अपनी आमदनी बढ़ा रही है, दीदियां लखपति बन रही हैं, दो करोड़ दीदियां लखपति बन चुकी हैं, प्रधानमंत्री जी के नेतृत्व में जल्द ही तीन करोड़ बहनें लखपति दीदियां बन जाएगी और जल्दी ही वो दिन आएगा जब 10 करोड़ दीदियां लखपति बन जाएगी। हम गरीबी मुक्त देश बनाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।
आईसीएआर के भारतीय चावल अनुसंधान संस्थान (सीआरआरआई), कटक में आयोजित इस संयुक्त रणनीति बैठक में इन मिशनों/योजना से जुड़े किसान तथा वैज्ञानिक भी उपस्थित थे, जिन्होंने खेती-किसानी को समृद्ध करने के संबंध में अपने महत्वपूर्ण सुझाव केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह के समक्ष दिए, वहीं संबंधित वरिष्ठ अधिकारियों ने प्रेजेंटेशन के माध्यम से योजनाओं के बारे में सविस्तार जानकारी देते हुए उद्देश्य सामने रखें। बैठक में केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह ने ओडिशा में नवाचार अपनाते खेती कर रहे प्रगतिशील किसान भाई-बहनों को सम्मानित भी किया।

डॉ. एम.एल. जाट, सचिव (डेयर) एवं महानिदेशक (भाकृअनुप), वर्चुअल माध्यम से जुड़े और कहा कि तीनों मिशन के बारे में बोलना चाहता हूं कि नेचुरल फार्मिंग का जो डोमेन है उसके आधार पर कौन सी प्रोपी सिस्टम कहां पर अच्छा उत्पादन दिया है और कहां इसे बेहतर बना सकते है, इस पर भाकृअनुप ने कार्य किया है जिसे ओडिसा के संदर्भ में यूज करेंगे। दूसरा नेचुरल फार्मिंग की आईसीएआर के पास 12 वैरायटी है जो अच्छा काम कर रही है। उन्होंने कहा कि नेचुरल फार्मिंग के संदर्भ में बायोडायवर्सिटी का काफी महत्व है, क्योंकि नेचुरल फार्मिंग के कॉन्टेस्ट में जो बायोडायवर्सिटी है उसमें हर वैरायटी काम नहीं करेगी लेकिन ओडिशा की बायो डाइवर्सिटी है वह नेचुरल फार्मिंग के कांटेक्स्ट में काफी कुछ कंट्रीब्यूट कर सकती है।
उन्होंने कहा कि राईस फेलो, एक कॉम्प्लेक्स इशू है, उसी कॉम्प्लेक्स इशू को एड्रेस करने के लिए भारत सरकार का प्रधानमंत्री कृषि धन धान्य योजना है जिसका उद्देश्य ही है डिपार्टमेंट और मिनिस्ट्रीज का कन्वर्जेंस करना और इस समस्या को कन्वर्जेंस के माध्यम से सॉल्व करना। महानिदेशक ने कहा कि कृषि योजना के इंटिग्रेशन में दलहन और तिलहन को भी शामिल किया जा सकता है। उदाहरण के तौर पर उन्होंने कहा कि भाकृअनुप की निक्रा प्रोग्राम के तहत क्लाइमेट रेजिलिएंट विलेजेज में ओडिशा के आठ-दश जिले के गांव शामिल है जिसके लर्निंग का डॉक्यूमेंटेशन कर रहे है जो प्रारंभ में क्या था और अब उसमें क्या परिवर्तन है। और इसे कन्वर्जेंस के माध्यम से अन्य जिलों में कैसे उपयोग कर सकते है, इस पर काम कर रहे है। डॉ. जाट ने कहा, इंटिग्रेटेड फार्मिंग के माध्यम से, सिस्टम की जो लर्निंग है उस लर्निंग को नेचुरल फार्मिंग के साथ और कृषि धन धान्य योजना के साथ लेकर अन्य जिलों में इंटीग्रेट करने का प्रयास कर रहे है। महानिदेशक ने मेकेनाइजेशन पर भी बात की।
श्री देवेश चतुर्वेदी, सचिव, केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय, वर्चुअल माध्यम से जुड़े और कहा कि नेचुरल फार्मिंग के जो ओडिशा में जो हमारे टार्गेट थे उसमें अच्छी प्रगति देखी गई है। उन्होंने कहा कि एरिया कवर के लक्ष्य के साथ-साथ कृषि ट्रेनिंग में भी अपने लक्ष्यों को हासिल किया है। उन्होंने कहा कि सोयल हेल्थ पर कार्य करने के साथ-साथ तथा आयल पाम के उत्पादन पर एक सहमति बनाने की जरूरत है, जिससे आयात पर निर्भरता को कम किया जा सके।
(स्रोतः भाकृअनुप-कृषि ज्ञान प्रबंधन निदेशालय)








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