26 जुलाई, 2019, जोधपुर
भाकृअनुप-कृषि प्रौद्योगिकी अनुप्रयोग अनुसंधान संस्थान, जोन- II, जोधपुर में आज राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन – दालों के तहत केवीके (राजस्थान और हरियाणा) के नोडल अधिकारियों के लिए दो दिवसीय समूह बैठक का उद्घाटन किया गया।
डॉ. एस. के. सिंह, निदेशक, भाकृअनुप-अटारी, जोधपुर ने देश को दालों के आयातक से लेकर आत्मनिर्भर बनाने तक टीएमओपी (1991), आइएसओपीएएम (2004), 2007 में एनएफएसएम, 2010-11 में ए3पी आदि के बारे में दालों पर भारत सरकार की पहल के बारे में बताया। डॉ. सिंह ने कहा कि भारत के 713 केवीके में 578 केवीके 11 अटारी के तहत चार अलग जोन (उच्च क्षेत्र: उच्च उत्पादकता; निम्न क्षेत्र: उच्च उत्पादकता; उच्च क्षेत्र: कम उत्पादकता और निम्न क्षेत्र: कम उत्पादकता) के साथ एनएफएसएम को दालों पर लागू कर रहे हैं।
उन्होंने किसानों को सह-संचालक, सहयोगी और योगदानकर्ता के रूप में कार्य करने का प्रशिक्षण देने का आग्रह किया। डॉ. सिंह ने शोधकर्ताओं और विकास विभागों की प्रतिक्रिया के लिए किसान अभ्यास और अनुशंसित अभ्यास के बीच अंतर विश्लेषण करने का निर्णय लिया। उन्होंने भारत को दलहन उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाने के लिए मोठ और अरहर पर अधिक महत्त्व देने पर जोर दिया।
राजस्थान और हरियाणा के कुल 44 कृषि विज्ञान केंद्रों ने वर्ष 2018-19 के लिए अपनी प्रगति और वर्ष 2019-20 के लिए कार्य योजना प्रस्तुत की।
(स्रोत: भाकृअनुप-कृषि प्रौद्योगिकी अनुप्रयोग अनुसंधान संस्थान, जोधपुर)
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