22 जून, 2021, पटना
भाकृअनुप-कृषि प्रौद्योगिकी अनुप्रयोग अनुसंधान संस्थान, पटना, बिहार ने आज आभासी तौर पर 'निक्रा के प्रौद्योगिकी प्रदर्शन घटक की वार्षिक समीक्षा और समापन कार्यशाला' का आयोजन किया।
डॉ. आर. के. सोहाणे, कुलपति, बिहार कृषि विश्वविद्यालय, सबौर, बिहार ने बतौर मुख्य अतिथि अपने संबोधन में जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को कम करने में अनुकूल प्रौद्योगिकियों के प्रदर्शन के लिए केवीके के प्रयासों की सराहना की। उन्होंने बड़ी संख्या में किसानों को लाभान्वित करने के लिए निक्रा और राज्य स्तरीय कार्यक्रमों के माध्यम से कस्टम हायरिंग केंद्रों को अभिसरण मोड में बढ़ावा देने पर जोर दिया।
डॉ. वी. के. सिंह, निदेशक, भाकृअनुप-केंद्रीय बारानी कृषि अनुसंधान संस्थान, हैदराबाद ने किसानों के बीच अनुकूल प्रौद्योगिकियों को लागू करने में केवीके के प्रयासों की सराहना की। डॉ. सिंह के संबोधन में सभी महत्त्वपूर्ण फसलों, उपलब्ध संसाधनों और लचीलेपन को प्राप्त करने के लिए बाधाओं पर विचार करते हुए कृषि प्रणाली के परिप्रेक्ष्य में जलवायु लचीला प्रौद्योगिकियों का प्रदर्शन करके टीडीसी के अगले चरण में अपनाए जाने वाले दृष्टिकोणों पर जोर दिया गया।
क्षेत्र में अनुकूल पद्धतियों के अपनाने को रेखांकित करते हुए, डॉ. अंजनी कुमार, निदेशक, भाकृअनुप-अटारी, पटना, बिहार ने जलवायु-अनुकूल पद्धतियों के बारे में बताया, जिन्हें राज्य सरकार द्वारा बिहार के सभी जिलों में बढ़ाया जा रहा था।
कार्यशाला में भाकृअनुप-संस्थानों और राज्य कृषि विश्वविद्यालयों के वरिष्ठ अधिकारियों ने भी आभासी तौर पर भाग लिया।
लगभग 13 केवीके ने समेकित रिपोर्ट प्रस्तुत की और 4 जिलों ने निक्रा-टीडीसी के अगले चरण के लिए प्रौद्योगिकी कार्यक्रम प्रस्तुत किए।
(स्रोत: भाकृअनुप-कृषि प्रौद्योगिकी अनुप्रयोग अनुसंधान संस्थान, पटना, बिहार)
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