16-22 अगस्त, 2025, हैदराबाद
भाकृअनुप-भारतीय चावल अनुसंधान संस्थान (भाकृअनुप-आईआईआरआर), राजेंद्रनगर, हैदराबाद ने 16 से 22 अगस्त, 2025 तक पार्थेनियम जागरूकता सप्ताह मनाया। सप्ताह भर चलने वाले इस अभियान में जागरूकता तथा उन्मूलन गतिविधियों की एक श्रृंखला शामिल थी, जिसका उद्देश्य खेतिहर मजदूरों, किसानों तथा कृषि अधिकारियों को पार्थेनियम हिस्टेरोफोरस के हानिकारक प्रभावों एवं इसके प्रभावी प्रबंधन के बारे में शिक्षित करना था।
21 अगस्त, 2025 को, भाकृअनुप-आईआईआरआर अनुसंधान फार्म, राजेंद्रनगर में एक जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किया गया, जहां खेतिहर मजदूरों को पार्थेनियम की आक्रामक प्रकृति, इसके तेजी से प्रसार, इससे जुड़े स्वास्थ्य संबंधी खतरों तथा उपलब्ध प्रबंधन विधियों के बारे में जागरूक किया गया। मैनुअल, यांत्रिक, रासायनिक एवं जैविक नियंत्रण विधियों पर प्रदर्शन प्रस्तुत किया गया। निदेशक और क्षेत्रीय कर्मचारियों ने फार्म के विभिन्न ब्लॉकों में यांत्रिक एवं मैनुअल निष्कासन कार्यों में सक्रिय रूप से भाग लिया। युवा वनस्पति पौधों से खाद बनाई गई, जबकि पुष्पन और बीजन अवस्था वाले पौधों को एकत्रित कर परिसर के बाहर जला दिया गया। कैसिया टोरा, टेफ्रोसिया परपुरिया, ऐमारैंथस और टैगेटेस प्रजातियाँ, जो पार्थेनियम को दबाने में अपने ऐलीलोपैथिक प्रभावों के लिए जानी जाती हैं, के जीवित नमूने भी प्रदर्शित किया गया।

22 अगस्त, 2025 को, यह अभियान रामचंद्रपुरम के भाकृअनुपआईएसएटी परिसर स्थित भाकृअनुप-आईआईआरआर अनुसंधान फार्म में जारी रहा। कृषि कर्मचारियों और मजदूरों को पार्थेनियम की आक्रामक प्रकृति, प्रसार तथा एकीकृत प्रबंधन विधियों के बारे में समझाने के लिए तेलुगु में पोस्टर प्रदर्शित किया गया, जिसके बाद हाथ और मशीन से इसे हटाने का व्यावहारिक प्रदर्शन भी किया गया।
उसी दिन, तेलंगाना के यादाद्री भुवनगिरी जिले के राजापेट क्लस्टर में किसान सभा हॉल में एक जागरूकता कार्यक्रम भी आयोजित किया गया, जिसमें सीधी बुवाई वाले चावल की खेती वाले पांच गांवों को शामिल किया गया। इस कार्यक्रम में भाकृअनुप-आईआईआरआर के वैज्ञानिकों, कृषि विभाग के अधिकारियों तथा किसानों ने भाग लिया। जागरूकता पैदा करने के लिए तेलुगु में पोस्टर, ऐलीलोपैथिक पौधों के जीवित नमूने और शाकनाशी के प्रयोग के प्रदर्शनों का उपयोग किया गया। प्रतिभागियों ने खेत की मेड़ों, सड़क किनारे के क्षेत्रों और रायथू सभा भवन परिसर के आसपास पार्थेनियम हटाने की गतिविधियों में भी भाग लिया।
इसके अतिरिक्त, 22 अगस्त, 2025 को एक रासायनिक नियंत्रण अभियान चलाया गया, जिसमें ग्लूफ़ोसिनेट अमोनियम और पैराक्वाट + 2,4-डी जैसे गैर-चयनात्मक शाकनाशियों का छिड़काव पार्थेनियम से प्रभावित खेत की मेड़ों, बोरवेल के पास, खलिहानों, खेत की नालियों और खेत परिसर के भीतर सड़क किनारे के क्षेत्रों में किया गया।
सप्ताह भर चले इस आयोजन ने किसानों, खेतिहर मजदूरों और कृषि अधिकारियों को पार्थेनियम के खतरे के बारे में सफलतापूर्वक जागरूक किया और स्थायी नियंत्रण के लिए एकीकृत प्रबंधन पद्धतियों को अपनाने के महत्व पर बल दिया।
(स्रोत: भाकृअनुप-भारतीय चावल अनुसंधान संस्थान, हैदराबाद)
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