9 अक्टूबर, 2025, रांची
भाकृअनुप-भारतीय कृषि जैव प्रौद्योगिकी संस्थान, गढ़कटंगा, रांची ने अपना 14वां स्थापना दिवस वैज्ञानिकों, संकाय, कर्मचारियों एवं छात्रों की भागीदारी के साथ बड़े उत्साह से मनाया। इस कार्यक्रम में रांची स्थित भाकृअनुप के पड़ोसी संस्थानों के संकाय सदस्यों की भी सक्रिय भागीदारी देखी गई। इस समारोह में पूर्वी भारत में सतत खेती, आनुवंशिक सुधार और सामाजिक-आर्थिक विकास पर केन्द्रित कृषि जैव प्रौद्योगिकी में संस्थान के उल्लेखनीय योगदान पर प्रकाश डाला गया।
मुख्य अतिथि, डॉ. एस.आर. दास, मानद प्रोफेसर, पादप प्रजनन एवं आनुवंशिकी विभाग, ओयूएटी, भुवनेश्वर ने स्थापना दिवस व्याख्यान दिया। अपने व्याख्यान में, उन्होंने जलवायु परिवर्तन के बीच खाद्य एवं पोषण सुरक्षा प्राप्त करने में पादप प्रजनन और जैव प्रौद्योगिकी के बढ़ते महत्व पर जोर दिया। डॉ. दास ने किसानों के कल्याण के साथ अत्याधुनिक विज्ञान को एकीकृत करने के भाकृअनुप-आईआईएबी के प्रयासों की सराहना की और वैज्ञानिक समुदाय से कृषक समुदाय की समृद्धि सुनिश्चित करने के लिए उच्च उपज देने वाली तथा जलवायु-प्रतिरोधी फसल किस्मों का विकास जारी रखने का आग्रह किया।

सभा को संबोधित करते हुए, डॉ. डी.के. यादव, उप-महानिदेशक (फसल विज्ञान), भाकृअनुप, ने क्षेत्र-विशिष्ट प्रौद्योगिकियों के विकास और उभरती कृषि चुनौतियों से निपटने के लिए अंतःविषय सहयोग को बढ़ावा देने में संस्थान की महत्वपूर्ण भूमिका की सराहना की।
डॉ. सुजय रक्षित, निदेशक, भाकृअनुप-आईआईएबी, ने सभा का स्वागत किया और संस्थान की उपलब्धियों, अनुसंधान पहलों और शैक्षणिक प्रगति का अवलोकन प्रस्तुत किया। उन्होंने फसल लचीलापन बढ़ाने, आनुवंशिक संसाधनों में सुधार और युवाओं में कृषि उद्यमिता को बढ़ावा देने की दिशा में चल रहे प्रयासों पर जोर दिया। डॉ. रक्षित ने संस्थान के कर्मचारियों और छात्रों के समर्पण के लिए उनका आभार व्यक्त किया और एक मजबूत संस्थागत आधार तैयार करने के लिए संस्थापक निदेशकों और विशेष कार्य अधिकारियों के योगदान की सराहना की।
डॉ. अभिजीत कर, निदेशक, भाकृअनुप-राष्ट्रीय माध्यमिक कृषि संस्थान, रांची, ने भी कार्यक्रम को संबोधित किया और एनआईएसए और आईआईएबी के बीच शैक्षणिक साझेदारी तथा सहयोगात्मक प्रयासों पर प्रकाश डाला। उन्होंने संकाय एवं कर्मचारियों के योगदान की सराहना की तथा निरंतर संस्थागत समर्थन और सहयोग का आश्वासन दिया।
वक्ता का परिचय देते हुए, डॉ. विजय पाल भड़ाना, संयुक्त निदेशक (अनुसंधान), भाकृअनुप-आईआईएबी, ने चावल प्रजनन, विशेष रूप से पूर्वी भारत के लगभग 75% कृषि क्षेत्र को कवर करने वाली विशाल चावल किस्मों के विकास में डॉ. दास के उत्कृष्ट योगदान की सराहना की।
स्थापना दिवस समारोह में प्रख्यात वैज्ञानिक डॉ. जितेंद्र ठाकुर, समूह प्रमुख, अंतर्राष्ट्रीय आनुवंशिक अभियांत्रिकी एवं जैव प्रौद्योगिकी केंद्र, नई दिल्ली और डॉ. जितेंद्र गिरि, वैज्ञानिक-VI, राष्ट्रीय पादप जीनोम अनुसंधान संस्थान, नई दिल्ली द्वारा दो संसाधन व्याख्यान भी दिया गया, जिनमें कृषि जैव प्रौद्योगिकी में उभरते रुझानों और अनुप्रयोगों पर अपने विचार साझा किया गया।
उत्कृष्ट कर्मचारियों और छात्रों को अनुसंधान और संस्थागत विकास में उनके असाधारण योगदान के लिए सम्मानित किया गया। औपचारिक कार्यक्रम का समापन डॉ. किशोर कृष्णानी, संयुक्त निदेशक (शैक्षणिक), भाकृअनुप-आईआईएबी, द्वारा धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ।
शाम को, एक सांस्कृतिक कार्यक्रम ने समारोह में रंग भर दिया, जिसमें संस्थान के छात्रों और कर्मचारियों की रचनात्मकता एवं प्रतिभा का प्रदर्शन किया गया, जो भाकृअनुप-आईआईएबी की एकता, उत्साह और जीवंत भावना का प्रतीक था।
(स्रोत: भाकृअनुप-भारतीय कृषि जैव प्रौद्योगिकी संस्थान, रांची)
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