भाकृअनुप-आईएआरआई एलुमनाई एसोसिएशन ने दूसरा स्थापना दिवस का किया आयोजन

भाकृअनुप-आईएआरआई एलुमनाई एसोसिएशन ने दूसरा स्थापना दिवस का किया आयोजन

2 दिसंबर, 2025, नई दिल्ली

भाकृअनुप-भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान के एलुमनाई एसोसिएशन ने आज भाकृअनुप-भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान में दूसरा फाउंडेशन डे लेक्चर आयोजित किया, जिसमें एक मज़बूत, समावेशी तथा भविष्य के लिए तैयार कृषि क्षेत्र बनाने में इनोवेशन की अहम भूमिका पर जोर दिया गया।

अपने शुरुआती संबोधन में, डॉ. चेरुकमल्ली श्रीनिवास राव, डायरेक्टर, भाकृअनुप-आईएआरआई और चीफ पैट्रन, आएए ने लोगों के विकास तथा नवाचार पर केन्द्रित कृषि की जरूरत जैसे मुद्दों पर ज़ोर दिया। उन्होंने बताया कि आज कृषि न केवल खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करती है, बल्कि स्वास्थ्य सेवा, पोषण, आजीविका एवं कुल मिलाकर सामाजिक भलाई में भी महत्वपूर्ण योगदान देती है। उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि स्थायी कृषि बदलाव के लिए किसान-केन्द्रित तकनीकी और नीतिगत नवाचार जरूरी हैं।

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अध्यक्षीय की टिप्पणी डॉ. आर.एस. परोडा, चेयरमैन, टीएएएस और प्रेसिडेंट, भाकृअनुप-आईएआरआई एलुमनाई एसोसिएशन ने दी, जिसके बाद विशिष्ट वक्ता का सम्मान किया गया।

स्थापना दिवस व्याख्यान डॉ. आर.ए. माशेलकर, पूर्व महानिदेशक, वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) ने 'इनोवेशन का पवित्र लक्ष्य: कम से ज़्यादा, ज़्यादा के लिए' विषय पर दिया। उन्होंने कहा कि यह विज़न महात्मा गांधी के दर्शन से प्रेरणा लेता है कि पृथ्वी सभी की जरूरतों को पूरा करने के लिए पर्याप्त सुविधाएं देती है, लेकिन सभी के लालच के लिए नहीं। डॉ. माशेलकर ने आय असमानता के बावजूद, गुणवत्तापूर्ण शिक्षा तक समान पहुंच सुनिश्चित करने के महत्व पर ज़ोर दिया, जो नवाचार-आधारित विकास का एक महत्वपूर्ण घटक है।

डॉ. माशेलकर ने विकसित भारत के विज़न को साकार करने में आने वाली चुनौतियों के बारे में विस्तार से बताया, तथा राष्ट्रीय बदलाव को तेज़ करने के लिए इनोवेशन प्रोक्योरमेंट प्लेटफॉर्म सहित नवाचार पारिस्थितिकी को मज़बूत करने की ज़रूरत पर ज़ोर दिया। उन्होंने भारत की भोजन की कमी से खाद्य सुरक्षा तक की ऐतिहासिक यात्रा को याद किया, और इस उपलब्धि में कृषि वैज्ञानिकों एवं संस्थानों के योगदान की सराहना की।

भारतीय कृषि के सामने मौजूदा चुनौतियों पर प्रकाश डालते हुए, उन्होंने जलवायु परिवर्तन, ज़मीन के छोटे-छोटे जोत (टुकड़े), मिट्टी का खराब होना, पानी की कमी, बाज़ार में उतार-चढ़ाव और बढ़ते डिजिटल खाई का जिक्र किया। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि जलवायु संकट कृषि के लिए सबसे बड़ी चुनौती है, जिसके लिए पारंपरिक तरीकों से हटकर एडवांस्ड तथा उच्च-स्तरीय तकनीकी अपनाने की जरूरत है।

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डॉ. माशेलकर ने कृषि के क्षेत्र में मशीन लर्निंग और आधुनिक मैनेजमेंट तरीकों के महत्व पर ज़ोर दिया, तथा सॉइल हेल्थ कार्ड योजना जैसी पहलों का उदाहरण दिया। उन्होंने उत्पादकता, लचीलापन और टिकाऊपन को बढ़ाने के लिए मुख्य नवाचार रणनीतियों के बारे में बताया, जिसमें सटीक जल प्रबंधन, डिजिटल क्रॉप ट्विन्स, खाद एवं कीटनाशक के छिड़काव के लिए ड्रोन का इस्तेमाल, और पैरामीट्रिक जलवायु बीमा शामिल हैं।

इस कार्यक्रम में फैकल्टी सदस्यों और छात्रों के साथ डॉ. आर.ए. माशेलकर का एक इंटरैक्टिव सेशन भी शामिल था, जिससे नवाचार तथा कृषि पर विचारों का अच्छा आदान-प्रदान हुआ।

कार्यक्रम का समापन, डॉ. एस. गौतम, जॉइंट सेक्रेटरी, एलुमनाई एसोसिएशन, भाकृअनुप-आईएआरआई, द्वारा दिए गए धन्यवाद प्रस्ताव के साथ हुआ।

इस कार्यक्रम ने भाकृअनुप-आईएआरआई और आईएआरआई एलुमनाई एसोसिएशन की राष्ट्रीय प्राथमिकताओं एवं विकसित भारत के विजन के अनुरूप, इनोवेशन-आधारित, जलवायु-लचीले एवं समावेशी कृषि विकास को आगे बढ़ाने की प्रतिबद्धता की पुष्टि की।

(स्रोत: भाकृअनुप-भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, नई दिल्ली)

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