याक, जो ट्रांस-हिमालयी क्षेत्र का मूल निवासी है, एक ऊष्मा-संवेदनशील प्राणी है और ठंडी, उच्च-ऊंचाई वाली जलवायु में पनपता है। हालाँकि, जलवायु परिवर्तन के गर्म प्रभाव इसके प्राकृतिक आवास पर तेज़ी से प्रभाव डाल रहे हैं, जिससे स्वास्थ्य तथा उत्पादकता के लिए चुनौतियाँ पैदा हो रही हैं। इन समस्याओं के समाधान तथा पारंपरिक ट्रांस ह्यूमन याक पालन से अर्ध-गहन प्रबंधन प्रणालियों में बदलाव को समर्थन देने हेतु, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद ने उच्च-ऊंचाई वाले क्षेत्रों में याकों के लिए नवीन आश्रय मॉडल तैयार किया और मूल्यांकन किया है।

अर्ध-गहन मॉडल के अंतर्गत, याकों को खुले चबूतरे में रखा जाता है जहाँ चरागाह, पेयजल तथा सुरक्षात्मक आश्रय उपलब्ध होते हैं। इस पहल के तहत, अरुणाचल प्रदेश के पश्चिम कामेंग जिले में दो प्रकार के आश्रय विकसित तथा परीक्षण किया गया, एक छाया-जाली छत वाला और दूसरा फाइबरग्लास प्रबलित प्लास्टिक (एफआरपी) छत वाला शामिल है। गर्मियों के महीनों (अप्रैल-जून) के दौरान ताप प्रभाव को कम करने में उनकी प्रभावशीलता का मूल्यांकन किया गया।
आश्रय के उपयोग तथा व्यवहार संबंधी प्राथमिकताओं का आकलन करने हेतु तीन महीनों तक सीसीटीवी निगरानी में कुल 13 याकों की निगरानी की गई। निष्कर्षों से पता चला कि याकों ने एफआरपी-छत वाले आश्रय को स्पष्ट रूप से प्राथमिकता दी, खासकर सुबह और रात के समय, जबकि छाया-जाल वाले आश्रम का उपयोग ज्यादातर दिन के समय किया जाता था। याक अक्सर दोपहर के आसपास, चराई की गतिविधि के साथ, प्राकृतिक पेड़ों की छाया का विकल्प चुनते थे।

सूक्ष्म जलवायु अवलोकनों से पता चला कि दोनों प्रकार के आश्रयों ने सौर विकिरण की तीव्रता को काफी कम कर दिया। दोपहर के समय, विकिरण का स्तर छाया-जाल वाले आश्रयों में 824.50±192.56 वाट/वर्ग मीटर (बाहर) से घटकर 239.25±64.33 वाट/वर्ग मीटर हो गया और एफआरपी आश्रयों में केवल 28.00±3.67 वाट/वर्ग मीटर रह गया। महत्वपूर्ण बात यह है कि एफआरपी आश्रयों के अंदर परिवेश का तापमान याकों के तापीय आराम क्षेत्र (>15°C) के भीतर बना रहा, हालाँकि 52 से ऊपर तापमान-आर्द्रता सूचकांक (टीएचआई) मानों ने व्यस्ततम घंटों (सुबह 9 बजे से दोपहर 3 बजे तक) के दौरान हल्के तनाव का संकेत दिया।
अध्ययन से पता चला है कि अर्ध-गहन पालन परिस्थितियों में गर्मियों के दौरान पर्यावरणीय तनाव से याक की सुरक्षा में आश्रय महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। विशेष रूप से, एफआरपी-छत वाला मॉडल अधिक प्रभावी विकल्प के रूप में उभरा है, जो बेहतर तापीय आराम प्रदान करता है और उच्च-ऊंचाई वाले क्षेत्रों में पशु कल्याण, उत्पादकता तथा टिकाऊ याक प्रबंधन में सहायक है।
(स्रोत: भाकृअनुप-राष्ट्रीय याक अनुसंधान केन्द्र, दिरांग, अरुणाचल प्रदेश)
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