29 जनवरी, 2024, बेंगलुरु
भाकृअनुप-राष्ट्रीय पशु पोषण एवं शरीर क्रिया विज्ञान ने 'पशुधन उत्पादन, जीएचजी उत्सर्जन एवं पर्यावरण प्रदूषक: शमन और बायोरेमेडिएशन' पर 21 दिवसीय भाकृअनुप-प्रायोजित शीतकालीन स्कूल का आयोजन किया।
मुख्य अतिथि, डॉ. प्रोफेसर के.एम.एल. पाठक, पूर्व उप-महानिदेशक (एएस), भाकृअनुप ने 9 जनवरी, 2024 को कार्यक्रम का उद्घाटन किया। उन्होंने बताया कि कैसे वैदिक काल से पशुधन ग्रामीण अर्थव्यवस्था का एक अभिन्न अंग तथा चालक होता था।
उप-महानिदेशक (पशु विज्ञान) डॉ. राघवेंद्र भट्ट ने निरंतर सीखने और व्यावसायिक विकास की आवश्यकता पर जोर दिया। डॉ. भट्टा ने पशुधन से जीएचजी उत्सर्जन को कम करने के लिए किसान अनुकूल शमन दृष्टिकोण विकसित करने की आवश्यकता के बारे में विचार साझा किया।
समापन सत्र के मुख्य अतिथि, डॉ. एन.वी. पाटिल, कुलपति, महाराष्ट्र पशु एवं मत्स्य विज्ञान विश्वविद्यालय, नागपुर ने कहा कि खाद्य उत्पादन में आत्मनिर्भरता ने मिट्टी एवं पर्यावरण में कठोर उर्वरक और कीटनाशकों के उपयोग के निशान भी छोड़े हैं।
शीतकालीन स्कूल कार्यक्रम में 12 राज्यों से 8 विषयों के कुल 24 प्रतिभागियों ने भाग लिया।
(स्रोत: भाकृअनुप-राष्ट्रीय पशु पोषण एवं शरीर क्रिया विज्ञान, बेंगलुरु)
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