संगठनात्मक उद्देश्यों और लक्ष्यों को प्रभावी ढंग से प्राप्त करने तथा व्यक्तिगत दक्षताओं और क्षमताओं का विकास व निरंतर सुधार करने के लिए व्यवस्थित दृष्टिकोण आवश्यक है। किसी भी संगठन में मानव संसाधन सबसे निर्णायक, महत्त्वपूर्ण और गतिशील संसाधन होता है। इस अवधि में, मानव संसाधन प्रबंधन कार्यों में एक महत्त्वपूर्ण बदलाव आया है। भाकृअनुप सहित संगठन अपने कर्मचारियों के प्रबंधन और विकास को काफी महत्त्व दे रहे हैं। ऐसी मान्यता है कि किसी भी संगठन में प्रत्येक व्यक्ति एक महत्त्वपूर्ण संसाधन है और इसे केवल लागत के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए। समय-समय पर उपयुक्त प्रशिक्षण और विकास कार्यक्रमों के माध्यम से कर्मचारियों के कौशल, ज्ञान और दृष्टिकोण/व्यवहार के संदर्भ में सुधार करने की आवश्यकता होती है। अपने काम को कुशलतापूर्वक और प्रभावी ढंग से प्रबंधित करने के लिए, उनकी तकनीकी क्षमताओं, मानव क्षमताओं के साथ-साथ वैचारिक क्षमताओं को विकसित करने की आवश्यकता होती है। उनकी शिक्षा उन्हें ज्यादातर तकनीकी कार्य कौशल के साथ तैयार करती है, हालाँकि, यह कार्य प्रबंधन प्रशिक्षण संबंधित है जो मानव और वैचारिक क्षमताओं की नींव रखता है। योग्यता के ढाँचे को विकसित करने की आवश्यकता होती है और इसका मूल सिद्धांत यह है कि प्रत्येक कार्य को उस व्यक्ति द्वारा किया जाना चाहिए जिसके पास उस कार्य के लिए आवश्यक योग्यताएँ हों। आवधिक प्रशिक्षण के माध्यम से निरंतर तकनीकी और प्रबंधकीय विकास को प्रदर्शन के अत्याधुनिक स्तर पर उत्कृष्टता प्राप्त करने के लिए समय-समय पर संसाधनों को तैयार करने (आरी को तेज करने जैसा) की आवश्यकता होती है। एक कर्मचारी अधिक कुशल और उत्पादक बन जाता है यदि उसे आवश्यकताओं और योग्यता के अनुसार अच्छी तरह से प्रशिक्षित किया जाता है जो कि नियोक्ता और संगठन के कर्मचारियों दोनों के लिए उपयोगी है। भाकृअनुप कर्मचारियों की सभी श्रेणियों के प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण को मजबूत करने व सुविधा प्रदान करने के लिए सितंबर, 2014 में एचआरएम यूनिट का गठन भाकृअनुप हेड-क्वार्टर में किया गया, जिसके अध्यक्ष सहायक महानिदेशक (मानव संसाधन प्रबंधन) अर्थात भाकृअनुप के प्रशिक्षण प्रबंधक हैं
मानव संसाधन प्रबंधन इकाई
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