30 नवंबर, 2022, ऐरोली
भाकृअनुप-नेशनल ब्यूरो ऑफ फिश जेनेटिक रिसोर्सेज, लखनऊ ने मैंग्रोव फाउंडेशन, महाराष्ट्र सरकार के सहयोग से ऐरोली, थाने, नवी मुंबई में समुद्री सजावटी मछलियों के लिए एक हैचरी सुविधा स्थापित की है। भारतीय जल से क्लाउनफिश की दस विभिन्न प्रजातियों का स्टॉक किया गया, और स्वदेशी आरएएस को अपनाते हुए सात प्रजातियों के लिए कैप्टिव प्रचार तथा ब्रूडस्टॉक विकसित किया गया। तीन प्रजातियों, एम्फीप्रियन परक्यूला, ए. ओसेलारिस और ए. फ्रेनाटस के उत्पादन को बढ़ाया गया और आगे के पालन और विपणन के लिए लाभार्थियों को किशोरों/बीजों की निरंतर आपूर्ति की गई। महाराष्ट्र के पांच तटीय जिलों के 320 लोगों ने "क्लाउनफ़िश एक्वाकल्चर" के विभिन्न पहलुओं पर प्रशिक्षण प्राप्त किया, दो जिलों (सिंधुदुर्ग और रत्नागिरी) के 12 तटीय गाँवों के 93 लाभार्थियों ने प्रौद्योगिकी को अपनाया और 13 क्लस्टर मोड क्लाउनफ़िश पालन इकाइयाँ चालू की और इससे लगातार आय हो रही हैं।

ऐरोली में मैंग्रोव फाउंडेशन के तटीय समुद्री जैव विविधता केन्द्र में आज एक बीज वितरण कार्यक्रम भी आयोजित किया गया।
डॉ. उत्तम कुमार सरकार, निदेशक, भाकृअनुप-एनबीएफजीआर ने सिंधुदुर्ग जिले के लाभार्थियों को आगे पालने के लिए एम्फीप्रियन परक्यूला, ए. ओसेलारिस के 1.5 सें.मी. 500 नग सौंपे।
डॉ. सरकार ने आह्वान किया कि संस्थान अपनी तरफ से समर्थन जारी रखेगा और मैंग्रोव फाउंडेशन के सहयोग से महाराष्ट्र के तटीय जिलों में और अधिक पालन इकाइयां स्थापित की जाएंगी।
श्री प्रशांत बहादुर, क्षेत्रीय वन अधिकारी, ठाणे और डॉ. सुशांत विलास सनाय, उप निदेशक - आजीविका विकास, मैंग्रोव फाउंडेशन और डॉ. टी.टी. अजीत कुमार, परियोजना के प्रधान अन्वेषक, भाकृअनुप-एनबीएफजीआर ने भी कार्यक्रम में भाग लिया।
(स्रोत: भाकृअनुप-राष्ट्रीय मत्स्य आनुवंशिक संसाधन ब्यूरो, लखनऊ)







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