14 नवंबर, 2025, हैदराबाद
भाकृअनुप–केन्द्रीय बारानी कृषि अनुसंधान संस्थान, हैदराबाद, ने आज भारत के आदिवासी समुदायों की सांस्कृतिक विरासत, बलिदानों एवं उसके योगदानों का सम्मान करते हुए कई कार्यकलाप के साथ जनजातीय गौरव वर्ष पखवाड़ा – 2025 का समापन दिवस का आयोजन किया।
कार्यक्रम की शुरुआत औपचारिक स्वागत एवं जनजातीय गौरव वर्ष के महत्व तथा आदिवासी विरासत का जश्न मनाने में इसकी भूमिका पर प्रकाश डालते हुए एक परिचय के साथ हुई। भगवान बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती के अवसर पर देशव्यापी आयोजन के हिस्से के रूप में, भाकृअनुप-क्रीडा ने तेलंगाना के आदिलाबाद जिले के चार गांवों गरखामपेट, सीतागोंडी, मलकापुर और वैजापुर में जागरूकता अभियान, इनपुट वितरण गतिविधियां और किसान-वैज्ञानिक इंटरफ़ेस बैठकें आयोजित की।

इन सत्रों के दौरान, किसानों को प्रभावी मिट्टी स्वास्थ्य प्रबंधन हेतु मिट्टी परीक्षण के महत्व के बारे में जागरूक किया गया। वैज्ञानिकों ने मिट्टी के नमूने लेने की सही प्रक्रियाओं के बारे में बताया और वर्षा आधारित कृषि क्षेत्रों में स्थिरता बढ़ाने के लिए प्राकृतिक खेती एवं एकीकृत खेती प्रणालियों की प्रासंगिकता पर जोर दिया।
किसानों को हरी मूंग MGG-351 और ज्वार PSPY 2 सहित उन्नत किस्मों के बीज वितरित किया गया। बायोफर्टिलाइजर के उपयोग पर प्रदर्शन भी आयोजित किया गया, जिसके बाद बायो फर्टिलाइजर इनपुट का भी वितरित किया गया।
इस कार्यक्रम में कुल 150 किसानों ने भाग लिया, जिसमें नौ महिला किसान भी शामिल थीं। इसका उद्देश्य स्थायी प्रथाओं को बढ़ावा देना और आदिवासी किसान समुदायों के साथ वैज्ञानिक जुड़ाव को मजबूत करना था।
(स्रोत: भाकृअनुप–केन्द्रीय बारानी कृषि अनुसंधान संस्थान, हैदराबाद)







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