4 सितंबर, 2025, लखनऊ
भाकृअनुप-केन्द्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान, लखनऊ ने आज अपना 42वां स्थापना दिवस का आयोजन किया। यह दिवस, स्वर्गीय पद्मश्री डॉ. के.एल. चड्ढा के दूरदर्शी नेतृत्व में 1972 में केन्द्रीय आम अनुसंधान केन्द्र के रूप में अपनी स्थापना के उपलक्ष्य में मनाया गया।
भारतीय बागवानी में उनके अमूल्य योगदान को श्रद्धांजलि स्वरूप, प्रो. एस.के. सिंह, उप-महानिदेशक (बागवानी विज्ञान), भाकृअनुप, ने डॉ. चड्ढा की एक प्रतिमा का अनावरण किया। उनकी चिरस्थायी विरासत को सम्मान देते हुए, संस्थान के सभागार को भी उनके नाम पर डॉ. के. एल. चड्ढा सभागार के रूप में समर्पित किया गया।
अपने उद्घाटन संबोधन में, प्रो. एस.के. सिंह ने भारतीय बागवानी को आकार देने में डॉ. चड्ढा की अग्रणी भूमिका पर प्रकाश डाला और संस्थान की उल्लेखनीय उपलब्धियों की सराहना की। उन्होंने किस्मों के विकास, समुद्री मार्ग से आम निर्यात प्रोटोकॉल, डिजिटल बाग स्वास्थ्य कार्ड, स्मार्ट बाग प्रबंधन और कटाई-पश्चात प्रौद्योगिकियों में हुई प्रगति की सराहना की। उन्होंने भविष्य की चुनौतियों से निपटने के लिए बहु-वस्तु क्लस्टर, नवीन पोषण उत्पादों के विकास, शून्य-अपशिष्ट बागवानी, फल फसलों के विविधीकरण तथा पोषक तत्व-कुशल उत्पादन प्रणालियों की आवश्यकता पर भी बल दिया।

डॉ. वी.बी. पटेल, सहायक महानिदेशक (फल एवं बागान फसलें), ने जलवायु परिवर्तन और अन्य उभरते मुद्दों के विरुद्ध भारत के फल क्षेत्र को मज़बूत बनाने के लिए जलवायु-अनुकूल किस्मों के प्रजनन तथा स्मार्ट बाग प्रबंधन प्रथाओं को बढ़ावा देने के महत्व पर जोर दिया। स्वर्गीय डॉ. के.एल. चड्ढा के पुत्र, श्री मोहित चड्ढा ने एक निजी टिप्पणी करते हुए अपनी हार्दिक यादें साझा की और अपने पिता की विरासत का सम्मान करने के लिए संस्थान के प्रति गहरा आभार व्यक्त किया।
डॉ. टी. दामोदरन, निदेशक, भाकृअनुप-सीआईएसएच, ने संस्थान की प्रमुख उपलब्धियों और तकनीकी हस्तक्षेपों पर प्रस्तुति दी, जिनमें सीवीआरसी द्वारा आम, अमरूद, बेल और परवल की नई किस्मों का विमोचन, कैनोपी प्रबंधन के माध्यम से तकनीकी रूप से ग्रहणशील आम के बागों का विकास, डिजिटल बाग प्रबंधन में नवाचार, आम के लिए समुद्री मार्ग निर्यात प्रोटोकॉल, उत्तम कृषि पद्धतियों (जीएपी) को बढ़ावा, विल्ट प्रबंधन में प्रगति एवं कटाई-पश्चात अनुसंधान में उपलब्धियां शामिल था।
इस समारोह में सीआईएसएच की नई वेबसाइट का शुभारंभ, डिजिटल बाग स्वास्थ्य कार्ड का विमोचन, अमरूद, बेल और आंवला पर पुस्तकों सहित प्रकाशनों के साथ-साथ सीआईएसएच प्रौद्योगिकियों, मूल्य संवर्धन तथा आम व अमरूद की उत्पादन तकनीकों पर तकनीकी फ़ोल्डर भी जारी किया गया। इसके अलावा, स्नातकोत्तर शिक्षा में सहयोग को बढ़ावा देने, फल उत्पादन में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) के अनुप्रयोग एवं संस्थान द्वारा विकसित किस्मों के लाइसेंसिंग के लिए कई समझौता ज्ञापनों (एमओयू) पर हस्ताक्षर किया गया, जिससे अनुसंधान, प्रौद्योगिकी हस्तांतरण और मूल्य श्रृंखला विकास को मजबूती मिली।

इस कार्यक्रम में डॉ. आर.सी. श्रीवास्तव, पूर्व कुलपति, डॉ. राजेंद्र प्रसाद केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालय, डॉ. वी.के. मिश्रा, पूर्व निदेशक (उत्तर-पूर्वी पर्वतीय क्षेत्र), भाकृअनुप तथा भाकृअनुप के निदेशकगण एवं राज्य के अधिकारीगण उपस्थित थे। वैज्ञानिकों, केवीके, सीआईएसएच के कर्मचारियों, किसानों तथा छात्रों ने कार्यक्रम में भाग लिया और सामूहिक रूप से सतत बागवानी को आगे बढ़ाने एवं विकसित भारत के विजन में योगदान देने के लिए अपनी प्रतिबद्धता दोहराई।
(स्रोत: भाकृअनुप-केन्द्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान, लखनऊ)
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